श्रीनिवास रामानुजन जयंती: गौरवशाली गणित परंपरा की नजीर
By देवेंद्र | Updated: December 22, 2025 06:01 IST2025-12-22T06:01:10+5:302025-12-22T06:01:10+5:30
जन्मदिन यानी 22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में घोषित किया था. प्राचीन काल से ही सभी प्रकार के ज्ञान-विज्ञान में गणित का स्थान सर्वोपरि रहा है.

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गणित में श्रीनिवास रामानुजन के योगदान को ध्यान में रखते हुए हर साल 22 दिसंबर को उनका जन्मदिन राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में मनाया जाता है. भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने चेन्नई में महान गणितज्ञ श्रीनिवास अयंगर रामानुजन की 125वीं वर्षगांठ के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में रामानुजन को श्रद्धांजलि देते हुए वर्ष 2012 को राष्ट्रीय गणित वर्ष और साथ ही उनके जन्मदिन यानी 22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में घोषित किया था. प्राचीन काल से ही सभी प्रकार के ज्ञान-विज्ञान में गणित का स्थान सर्वोपरि रहा है.
आज गणित का बहुआयामी योगदान किसी से छिपा नहीं है. गणित केवल एक विषय न होकर हमारे जीवन कौशल के मुख्य आधार के रूप में स्थापित हो चुका है. रामानुजन की गणना आधुनिक भारत के उन गणितज्ञों में की जाती है, जिन्होंने विश्व में नए ज्ञान को पाने और खोजने की पहल की. इन्हें आधुनिक काल के महानतम गणितज्ञों में गिना जाता है.
रामानुजन को गणित में कोई विशेष प्रशिक्षण नहीं मिला, फिर भी उन्होंने विश्लेषण एवं संख्या सिद्धांत के क्षेत्रों में गहन योगदान दिया. उन्होंने स्वाध्याय के बल पर गणित सीखा और अपने जीवनभर में गणित की 3,884 प्रमेयों का संकलन किया. इनमें से अधिकांश प्रमेय सही सिद्ध किए जा चुके हैं.
उन्होंने गणित के सहज ज्ञान और बीजगणित प्रकलन की अद्वितीय प्रतिभा के बल पर बहुत से मौलिक और अपारंपरिक परिणाम निकाले, जिनसे प्रेरित शोध आज तक हो रहे हैं. उनके स्वर्णिम योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता, जिन्होंने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के ट्रिनिटी परिसर में अपनी शोध पताका फहराकर भारत को गौरवान्वित कराया. उनकी असाधारण प्रतिभा ने पिछली सदी के दूसरे दशक में गणित की दुनिया को एक नया आयाम दिया. पाश्चात्य गणितज्ञ जी.एस. हार्डी ने रामानुजन को यूलर, गॉस, आर्किमिडीज तथा आईजैक न्यूटन जैसे दिग्गज गणितज्ञों की श्रेणी में रखा था.
रामानुजन की गणित में की गई अद्भुत खोजें आज के आधुनिक गणित और विज्ञान की आधारशिला बनीं. संख्या-सिद्धांत पर रामानुजन के अद्भुत कार्य के लिए उन्हें ‘संख्याओं का जादूगर’ माना जाता है. रामानुजन को गणित से इतना लगाव था कि वे गणित में तो पूरे के पूरे नंबर लाते थे और अन्य विषय में फेल हो जाते थे.
33 साल की उम्र में टीबी की बीमारी के कारण 26 अप्रैल, 1920 को उनका निधन हो गया. रामानुजन मानते थे कि गणित से ही ईश्वर का सही स्वरूप जाना जा सकता है. गणित और अध्यात्म दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. अध्यात्म सैद्धांतिक पक्ष है तो विज्ञान उसका व्यावहारिक पक्ष. शून्य सभी का आधार है. शून्य परम ब्रह्म है. शून्य आत्मा का आधार है. शून्य अपने व्यापक स्वरूप वाला पूर्णांक है.
महान गणितज्ञ रामानुजन का यह कथन आज भी प्रासंगिक बना हुआ है कि हमारे जीवन की कोई भी ऐसी धारा नहीं है, जिसमें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से गणित का योगदान न हो. हमें ऐसी प्रतिभाओं को उत्साहित करना चाहिए, जो गणित के क्षेत्र में मेधावी हों. उस महान गणितज्ञ को सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम देश की भावी पीढ़ी को गणित में सशक्त कर देश को अग्रणी बनाने में अपना योगदान देने का संकल्प लें.