दिनकर कुमार का ब्लॉग: मणिपुर चुनाव में क्षेत्रीय दल निभा सकते हैं किंगमेकर की भूमिका

By दिनकर कुमार | Published: January 14, 2022 03:16 PM2022-01-14T15:16:11+5:302022-01-14T15:19:52+5:30

2017 के चुनावों में कांग्रेस के 28 के मुकाबले भाजपा के 21 की संख्या भी छोटी पार्टियों के प्रदर्शन का परिणाम थी, जिन्होंने पहली बार सत्ता की गतिशीलता को प्रभावित करते हुए कुल 60 सीटों में से 10 सीटें जीतीं। भाजपा ने कोनराड संगमा की नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) और नगालैंड के नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के साथ गठबंधन में सरकार बनाई थी, जिसने चार-चार सीटें जीती थीं।

Manipur Election 2022 regional parties may become kingmaker in Manipur Assembly Poll | दिनकर कुमार का ब्लॉग: मणिपुर चुनाव में क्षेत्रीय दल निभा सकते हैं किंगमेकर की भूमिका

मणिपुर विधानसभा चुनाव 2022

मणिपुर विधानसभा के चुनाव दो चरणों में होंगे। मतदान 27 फरवरी और 3 मार्च को होगा जबकि परिणाम 10 मार्च को घोषित किए जाएंगे। मणिपुर विधानसभा की 60 सीटों के लिए जनमत सर्वेक्षणों ने संकेत दिया है कि न तो सत्तारूढ़ भाजपा और न ही विपक्षी कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिलने की उम्मीद है, इसलिए क्षेत्रीय दल किंगमेकर की भूमिका निभा सकते हैं, यदि परिणाम जनमत सर्वेक्षण की तर्ज पर हों।

60 सदस्यीय विधानसभा में से 40 निर्वाचन क्षेत्र घाटी क्षेत्र में आते हैं जबकि 20 क्षेत्र पहाड़ी क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव से अब तक परिदृश्य काफी बदल चुका है, जब भाजपा ने मणिपुर में कांग्रेस को पछाड़कर सात सीटें पीछे रहकर भी अपनी पहली सरकार बनाई थी। कांग्रेस, जो 2017 से पहले 15 साल की सरकार के साथ राज्य में सबसे शक्तिशाली पार्टी थी, वह खुद की छाया बन चुकी है, जिसने भाजपा के हाथों अपने कई दिग्गज नेताओं को खो दिया है।

2017 के चुनावों में कांग्रेस के 28 के मुकाबले भाजपा के 21 की संख्या भी छोटी पार्टियों के प्रदर्शन का परिणाम थी, जिन्होंने पहली बार सत्ता की गतिशीलता को प्रभावित करते हुए कुल 60 सीटों में से 10 सीटें जीतीं। भाजपा ने कोनराड संगमा की नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) और नगालैंड के नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के साथ गठबंधन में सरकार बनाई थी, जिसने चार-चार सीटें जीती थीं।

इन क्षेत्रीय दलों के इस बार भी अपनी बढ़त बनाने की संभावना है, हालांकि चुनाव पूर्व गठबंधन नहीं है। राज्य और केंद्र दोनों में सत्तारूढ़ दल के रूप में भाजपा निश्चित रूप से एक अधिक आशाजनक विकल्प प्रदान करती नजर आ रही है। मौजूदा मुख्यमंत्री बीरेन सिंह भी कई सकारात्मक नीतियों के साथ चुनाव लड़ने वाले हैं।

सिंह ने पहाड़ी और घाटी क्षेत्रों के बीच की खाई को पाटने की कोशिश की है। पूर्व सीएम ओकराम इबोबी सिंह पर दरार पैदा करने का आरोप लगाया जाता रहा है। लंबे बंद और नाकाबंदी की प्रवृत्ति में गिरावट आई है, जबकि उन्हें भीतर से बागियों का सामना करना पड़ा, पूर्व फुटबॉल खिलाड़ी बीरेन सिंह लोहा मनवाने में सफल रहे।

बीरेन सरकार पर यूएपीए के तहत कई गिरफ्तारियों के साथ असंतोष की आवाजों पर नकेल कसने का आरोप लगाया गया। इनमें कम से कम तीन पत्रकार शामिल थे, जिनमें किशोरचंद्र वांगखेम को दो बार एनएसए के तहत हिरासत में लिया गया। अदालत ने उन्हें रिहा करते हुए कहा कि उनके खिलाफ लगे आरोप देशद्रोह नहीं हैं।

कांग्रेस तब से पीछे खिसक रही है, जब भाजपा ने सत्ता पर कब्जा करने के लिए उसे पछाड़ दिया। मणिपुर कांग्रेस के प्रमुख कीशम मेघचंद्र ने कहा कि अन्य दलों के विधायकों को खरीदने की भाजपा की आदत है। ‘यह सुशासन नहीं है.. सच्चाई यह है कि राजमार्ग अभी भी बदहाल है, लोगों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर पहरे हैं।

भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और उत्पीड़न है। जनता जानती है कि यह सरकार जनविरोधी है। हम इसी तर्ज पर प्रचार करेंगे।’भाजपा के सबसे बड़े सिरदर्दो में से एक हिल एरिया कमेटी द्वारा स्वायत्त जिला परिषदों को अधिक अधिकार देने के लिए एक विधेयक की मांग हो सकती है। जनजातीय निकायों ने विधेयक की मांग को लेकर आंदोलन की एक श्रृंखला शुरू की है, लेकिन सरकार कानूनी मुद्दों का हवाला देकर रु क रही है।

भाजपा को उम्मीदवारों के चयन में भी बाधा आ सकती है, क्योंकि पार्टी के टिकटों के लिए कड़ा मुकाबला है, कुछ विधानसभा क्षेत्रों के लिए पांच-छह के बीच मुकाबला है। अपनी सीएम उम्मीदवारी पर कोई निश्चितता नहीं होने के कारण बीरेन सिंह को अपने अवसरों को मजबूत करने के लिए इस अधिकार का प्रबंधन करना होगा।

हाल ही में कांग्रेस से भाजपा नेता बने गोविंददास कोंथौजम के समर्थकों द्वारा की गई हिंसा, जिसमें हवा में फायरिंग भी शामिल है, आने वाली चीजों का संकेत हो सकता है। इस घटना को उन रिपोर्टो से प्रेरित किया गया कि कोंथौजम को टिकट नहीं मिल सकता है। जब नगालैंड में सुरक्षा बलों की कार्रवाई में 14 लोगों की मौत हो गई, तब से सशस्त्न बल विशेष अधिकार अधिनियम को निरस्त करने की मांग को पूर्वोत्तर में एक नया मोड़ मिला है।

हालांकि यह देखा जाना बाकी है कि यह अभियान भाजपा पर कैसे प्रभाव डालता है या प्रतिबिंबित करता है, अफस्पा का विरोध ऐतिहासिक रूप से मणिपुर में सबसे मजबूत रहा है। भाजपा प्रवक्ता चोंगथम बिजॉय ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि पार्टी 40 सीटों के साथ सत्ता में वापसी करेगी और टिकटों का वितरण कोई मुद्दा नहीं होगा।

Web Title: Manipur Election 2022 regional parties may become kingmaker in Manipur Assembly Poll

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