बापू की 150वीं जयंती: गांधी आज भारत में पैदा हो जाएं तो क्या वे अपना माथा नहीं कूट लेंगे?
By वेद प्रताप वैदिक | Published: October 1, 2018 06:58 PM2018-10-01T18:58:00+5:302018-10-01T19:02:48+5:30
Mahatma Gandhi 150th Birth Anniversary: मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म दो अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। महात्मा गांधी की हत्या 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने कर दी थी।
महात्मा गांधी के जन्म की 150वीं जयंती अब शुरू होनेवाली है. उन्हें गए हुए भी सत्तर साल हो गए लेकिन मन में सवाल उठता है कि भला गांधी का भारत कहां है?
ऐसा नहीं है कि पिछले 70-71 वर्षो में भारत ने कोई प्रगति नहीं की है. प्रगति तो की है और कई क्षेत्नों में की है लेकिन इस प्रगति में भारत की अपनी मौलिकता कहां है?
भारत ने शिक्षा, स्वास्थ्य, खान-पान, रहन-सहन, रख-रखाव, निजी और सामाजिक बर्ताव में या तो साम्यवाद की नकल की है या पूंजीवाद की!
नेहरू-काल में हमारे नेताओं पर रूस का नशा सवार था और उसके बाद अमेरिकी पद्धति के पूंजीवाद ने भारतीय मन-मस्तिष्क पर कब्जा जमा लिया है. गांधी के सपनों का भारत अब तो किताबों में बंद है और किताबें अलमारियों में बंद हैं.
देश में अब कोई गांधी तो क्या, विनोबा, लोहिया और जयप्रकाश-जैसा भी दिखाई नहीं पड़ता. हमारी संसद थोक वोटों के लालच में पीड़ितों को ऐसे अधिकार बांट रही है कि वे परपीड़क बन जाएं.
दलितों को अनंत-काल तक दलित बनाए रखने में ही उनका स्वार्थ सिद्ध होता है. देश में आज नेता कौन है? नेता का अर्थ होता है, जो नयन करे यानी जिसका आचरण अनुकरण के योग्य हो.
गांधी की तरह सत्य के लिए कौन मर मिटेगा?
क्या कोई नेता है ऐसा आज हमारे पास? नोट और वोट के लिए लड़ मरनेवाले लोग हमारे नेता हैं.
गांधी की तरह सत्य के लिए मर मिटना तो दूर, सत्य के लिए लड़नेवाले तो क्या, सत्य बोलनेवाले नेता भी हमारे पास नहीं हैं.
सारे दक्षिण एशिया के देशों यानी प्राचीन आर्यावर्त को जोड़ने की कोशिश तो उनकी बुद्धि के परे है लेकिन वर्तमान खंडित भारत के मन को भी उन्होंने खंड-खंड कर दिया है.
वे जातिवाद, सांप्रदायिकता, आर्थिक विषमता, नशाखोरी और अंग्रेजी की गुलामी को दूर करने के प्रति भी सचेष्ट दिखाई नहीं पड़ते.
ईश्वर न करे, अगर गांधी आज भारत में पैदा हो जाएं तो क्या वे अपना माथा नहीं कूट लेंगे?