मध्य प्रदेश कांग्रेस: भाषणों के सहारे या जमीन की मेहनत से बदलेगी तकदीर?  

By मुकेश मिश्रा | Updated: June 4, 2025 14:26 IST2025-06-04T14:25:36+5:302025-06-04T14:26:28+5:30

Madhya Pradesh Congress: कांग्रेस पार्टी  गुटबाजी, संगठनात्मक खोखलेपन और रणनीतिक अंधापन के गहरे जाल में फंसी हैं।

Madhya Pradesh Congress rahul gandhi fate change help speeches or hard work ground | मध्य प्रदेश कांग्रेस: भाषणों के सहारे या जमीन की मेहनत से बदलेगी तकदीर?  

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Highlightsछिंदवाड़ा जैसे परंपरागत गढ़ का हाथ से निकलना इस पतन की पराकाष्ठा है।कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के बीच दो दशक पुरानी दुश्मनी ने युवा नेतृत्व के उभार को रोक दिया।प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी के नेतृत्व में भी यह "कैंसर" (उनके शब्दों में) बना हुआ है।

इंदौरः राहुल गांधी ने भोपाल में कांग्रेस नेताओं को ललकारा, "गुटबाजी खत्म करो, भीतरघातियों को बाहर निकालो, नहीं तो पार्टी का अस्तित्व खतरे में है।" उनका यह आह्वान तब आया है, जब मध्य प्रदेश कांग्रेस 2003 से लगातार चुनावी हार का दंश झेल रही है। 2003 के विधानसभा चुनाव में 38 सीटें, 2018 में 114 (मगर 15 महीने की सरकार), 2023 में 66 और 2024 लोकसभा में "शून्य"।यह गिरावट साबित करती है कि पार्टी ने न केवल जनता, बल्कि अपने कार्यकर्ताओं का भी विश्वास खो दिया है। छिंदवाड़ा जैसे परंपरागत गढ़ का हाथ से निकलना इस पतन की पराकाष्ठा है।

प्रदेश में कांग्रेस पार्टी  गुटबाजी, संगठनात्मक खोखलेपन और रणनीतिक अंधापन के गहरे जाल में फंसी हैं। कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के बीच दो दशक पुरानी दुश्मनी ने युवा नेतृत्व के उभार को रोक दिया। प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी के नेतृत्व में भी यह "कैंसर" (उनके शब्दों में) बना हुआ है। 60% जिलों में अध्यक्ष तक नहीं हैं, ब्लॉक-पंचायत स्तर पर संगठन निष्क्रिय है। भाजपा के विपरीत बूथ प्रबंधन का कोई ढांचा नहीं। 2023 के चुनाव में 90% टिकट पुराने नेताओं को दिए गए, जिनमें 70% हारे, क्योंकि पार्टी स्थानीय मुद्दों (किसान कर्ज, बेरोजगारी) को भूलकर राष्ट्रीय नारों में उलझ गई।

राहुल गांधी के "संगठन सृजन अभियान" में चार प्रमुख बातें हैं

गुटबाजी पर सर्जिकल स्ट्राइक, जिला समितियों को अधिकार, बूथ-स्तर की मजबूती और परफॉर्मेंस आधारित जवाबदेही। उन्होंने स्पष्ट किया कि भाजपा के "स्लीपर सेल" की पहचान कर उन्हें बाहर निकाला जाएगा, जिला अध्यक्ष उम्मीदवार चयन से लेकर रणनीति तय करने में प्राथमिक भूमिका निभाएंगे, और हर मोहल्ले में 30-40 घरों को कवर कर "मोहल्ला कमेटी" बनाई जाएगी।

साथ ही, वोट शेयर न बढ़ने पर जिला अध्यक्षों को हटाने की बात कही गई।  लेकिन यह योजना तभी सफल होगी जब पार्टी पुराने नेताओं को सक्रिय राजनीति से हटाकर सलाहकार बनाए, युवाओं को मौका दे और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करे। 2028 तक 55 नए चेहरे तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है,

जिसके तहत विदिशा में 150 युवाओं को गांवों में रहकर समस्याएं दर्ज करने का पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। साथ ही, ब्लॉक स्तर पर कार्यकर्ताओं को सोशल मीडिया और आंदोलन प्रबंधन की ट्रेनिंग देने, तथा हर जिले में व्हाट्सएप ग्रुप्स के जरिए रियल-टाइम फीडबैक लेने पर जोर दिया गया है।

चुनौतियां गंभीर हैं। 2023 में हार के बाद 12 वरिष्ठ नेता भाजपा में शामिल हुए, जो असंतोष की गहराई दिखाता है। एआईसीसी ऑब्ज़र्वर के बिना कोई फैसला न होने की प्रवृत्ति जिला अध्यक्षों के अधिकारों में बाधक है। 2018 में बनी मोहल्ला समितियां फंड और प्रशिक्षण के अभाव में विफल रहीं, जिससे सवाल उठता है कि क्या इस बार यह प्रयोग अलग होगा।

कांग्रेस के पास अब एक ही रास्ता है "नेताओं की पार्टी" से "कार्यकर्ताओं की पार्टी" बनना। इसके लिए 40 वर्ष से कम उम्र के नेताओं को 50% टिकट देना होगा, जिला अध्यक्षों का मूल्यांकन बूथ-स्तर वोट शेयर से जोड़ना होगा, और हर ब्लॉक में 10 समर्पित कार्यकर्ता तैयार करने होंगे। राहुल के शब्द तभी सार्थक होंगे जब पुराने घोड़ों को अस्तबल में भेजकर नई पीढ़ी को मैदान में उतारा जाए। वरना, भाषणों का यह सिलसिला भी इतिहास के पन्नों में दफन हो जाएगा।

Web Title: Madhya Pradesh Congress rahul gandhi fate change help speeches or hard work ground

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