लोकसभा चुनाव में हरियाणा (पार्ट-3): जींद उपचुनाव नतीजों में छिपे हैं आगामी लोकसभा चुनाव के लिए सबक

By बद्री नाथ | Published: March 7, 2019 04:03 PM2019-03-07T16:03:07+5:302019-03-07T16:03:07+5:30

कैसे बना जींद में बीजेपी के पक्ष में माहौल: जाट वोटों के बिखराव और नान जाट वोटों की एकता ने बीजेपी को बनाया था विजेता। हरियाणा की राजनीति में कई अहम बदलावों के आसार बढ़े हैं। कई समीकरण बिगड़े हैं तो कई और समीकरणों के बनने की संभावना बढ़ी है। जींद उपचुनाव व नगर निगमों में बीजेपी की जीत के बाद कैसे बदला है हरियाणा की राजनीति का समीकरण? पढ़िए हर पहलुओं का विश्लेषण...

Lok Sabha Elections 2019: how Jind Bypoll Results affect Haryana Lok sabha Elections | लोकसभा चुनाव में हरियाणा (पार्ट-3): जींद उपचुनाव नतीजों में छिपे हैं आगामी लोकसभा चुनाव के लिए सबक

लोकसभा चुनाव में हरियाणा (पार्ट-3): जींद उपचुनाव नतीजों में छिपे हैं आगामी लोकसभा चुनाव के लिए सबक

लोकसभा चुनाव के पहले होने वाले देश के अंतिम उपचुनाव यानी कि जींद उपचुनाव पर पूरे देश की नजर थी। राहुल गांधी के चहेते और कांग्रेस के मीडिया इंचार्ज रणदीप सिंह सुरजेवाला चुनाव मैदान में थे। साथ ही वहां की राजनीति के केन्द्र बिंदु में रहने वाली इंडियन नेशनल लोकदल से अलग होकर बनी जन नायक जनता दल ने भी अपने सबसे दमदार प्रत्याशी पर दांव लगाया था। इन सबके होने के बाद भी खट्टर के नेतृत्व वाली बीजेपी ने यह उपचुनाव एक बड़े मार्जिन से जीत लिया। मुख्य तौर से जीटी रोड बेल्ट और नान जाट इलाकों में एकतरफा जीत हासिल करके हरियाणा की सत्ता पर काबिज होने वाली बीजेपी ने जाट बाहुल्य विधान सभा में अपना झंडा गाड़ने में सफलता प्राप्त कर ली है। तीन जाट नेताओं दिग्विजय, रणवीर और रेनू में जाट वोटों के बंटवारे और जाट उम्मीदवार के उतारे जाने की रणनीति के जबाब में बीजेपी द्वारा नॉन जाट उमीदवार उतारने का फैसला बीजेपी को दोहरा लाभ दिया। 

बीजेपी की इस रणनीति से जहां बीजेपी के पक्ष में नान जाट वोट एकतरफा मिले वहीं दिवंगत नेता की सहानुभूति का वोट भी बीजेपी के पक्ष में पड़ा। शुरुआती दौर मे दोतरफा प्रतीत होने वाला यह उपचुनाव तब त्रिकोणीय मुकाबले में तब्दील हो गया था। जब गुटबाजी से ग्रस्त कांग्रेस ने अपने ब्रहमास्त्र माने जाने वाले रणदीप सिंह सुरजेवाला को चुनाव में उतार दिया उधर चौटाला के नाम पर जाट और दिवंगत इनेलो विधायक हरिचंद मिड्डा के नाम पर  नान जाट वोट मिलते रहने के वजह से लगातार 2 चुनावों से इनेलो के खाते में आने वाली सीट दिवंगत विधायक के बेटे  कृष्ण मिड्डा के इनेलो छोड़ने और जींद जिले के कद्दावर नेताओं के नवगठित जननायक जनता पार्टी के साथ चले जाने के बाद कोई दमदार प्रत्याशी ही नहीं रहा था। इसी का परिणाम भी रहा कि इनेलो इस सीट पर जमानत बचाने में भी असफल रही।

पहली बार चुनाव लड़ रही जेजेपी तो चुनाव हार गई लेकिन इस हार में भी जेजेपी की जीत है। नई बनी जेजेपी कांग्रेस और इनेलो से चुनाव जीत गई इनेलो के जाट वोटों का असली वारिस जेजेपी को माना। बीजेपी नें सुरेन्द्र बरवाला, टेकराम कंडेला को टिकट नहीं दिया इससे बीजेपी को नॉन जाट वोटों को लामबंद करने में मदद मिली। यहां हरिचंद मिड्डा के द्वारा किये गए कार्यों की वजह से लोगों के बीच इनके परिवार के प्रति सहानुभूति थी। वहीं दुष्यंत और दिग्विजय ने अपने भाषणों के माध्यम से मूल पार्टी इनेलो द्वारा निकाले जाने को मुद्दा बनाकर सहानुभूती हासिल करने में सफलता हासिल की। 

जींद की राजनीति की धुरी माने जाने वाले पूर्व कांग्रेसी नेता मांगेराम गुप्ता के कांग्रेस छोड़ने के बाद जींद विधान सभा आईएनएलडी का गढ़ बन गया था। अगर बात जींद जिले की हो तो यहां से आईएनएल 5 में से 5 सीटें जीत चुकी है। इस बार आईएनएलडी के बीएसपी से गठबंधन के बाद भी भी बुरी हार हुई। चौटाला को पैरोल न मिलने और उनकी पत्नी स्नेहलता द्वारा अजय चौटाला के परिवार पर लगाये जाने वाले आरोपों वाले वीडियो के वायरल होने पर भी इनेलो को कोई फायदा नहीं हुआ और वो 3,450 वोटों में सिमट कर रह गई। केजरीवाल ने अंतिम दिन के अंतिम घंटे में अनाज मंडी में जो रैली की उसका भी फायदा जेजेपी को मिला नतीजा रहा कि दिग्विजय ने कई शहरी सेक्टरों में अच्छे खासे वोट हासिल किये। अंत समय में सुरजेवाला को लाकर कांग्रेस ने कहीं न कहीं मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की पुरजोर कोशिश की थी। 

पांच नगर निगम जीतकर जींद उपचुनाव में उतरने वाली बीजेपी कॉन्फिडेंस से लबरेज थी। नगर निगम के चुनाव में बीजेपी की जीत ने 5 राज्य में आने वाले हार के नतीजों से पार्टी कार्यकर्ताओं में आई निराशा को मिटाने में ऑक्सीजन का काम किया था। इनेलो और जेजेपी में जुबानी जंग की बात करें तो परिवार के लोग एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करने में ही लगे रहे और बीजेपी के खिलाफ की नाकामियों पर इसे घेरा नहीं जा सका। नतीजतन वर्तमान सरकार के खिलाफ बनने वाले माहौल से भी सरकार बच गई थी। कांग्रेस ने सभी प्रचारकों की टीम में बाहरी लोगों की ड्यूटी लगा रखी थी साथ ही कांग्रेस के द्वारा उठाये गए कंडेला गोली कांड से बीजेपी को ही फायदा हुआ। क्योंकि बीजेपी व जेजेपी ने विधायक (रणवीर सिंह सुरजेवाला) को विधायक चुनने के मुद्दे को अपने प्रचार में बड़े ही जोरों से उठाया था और वो जनता के बीच अपने संदेश को पहुँचाने में सफल रहे थे। जारी....

इस लेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं।

Web Title: Lok Sabha Elections 2019: how Jind Bypoll Results affect Haryana Lok sabha Elections