BJP धीरे-धीरे तोड़ रही है मजबूत NDA की कमर, लोकसभा चुनाव- 2019 जीतने के लिए 'चाणक्य' की है नई रणनीति?
By रामदीप मिश्रा | Published: June 27, 2018 02:05 PM2018-06-27T14:05:46+5:302018-06-27T14:05:46+5:30
Lok Sabha Election: बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह अब लोकसभा चुनाव नजदीक आने की वजह से नए-नए पासे फेंक रहे हैं। बीजेपी का मजबूत गठबंधन (एनडीए) धीरे-धीरे कमजोर हो रहा है।
भारतीय राजनीति का ऊंट किस करवट बैठगा ये किसी भी चाणक्य को पता नहीं होता है। वह तमाम तरह की अटकलें लगाए रहता है, लेकिन जब परिणाम सामने आते हैं तो सभी संभावनाएं और कयास धरे के धरे रह जाते हैं। फिर इसके लिए नई परिभाषा बनने लगती हैं और राजनीति हर परिभाषा को झुठला देती है। हर कोई अपने-अपने तरीके से चुनाव आने से पहले दावे करने लगता है कि किसका पलड़ा भारी है और किसका हलका।
महागठबंधन के खिलाफ लड़ने की तैयारी?
अब जैसे-जैसे 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव पास आ रहे हैं वैसे-वैसे राजनीति करने के अंदाज भी बदलते जा रहे हैं। सबसे दिलचस्प बात तो ये है कि मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरने के लिए तकरीबन सभी पार्टियां एक महागठबंधन बनाना चाहती हैं। वहीं, दूसरी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अपने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की मजबूत इकाइयों को धीरे-धीरे अलग कर रही है।
बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह अब लोकसभा चुनाव नजदीक आने की वजह से नए-नए पासे फेंक रहे हैं। बीजेपी का मजबूत गठबंधन (एनडीए) धीरे-धीरे कमजोर हो रहा है। अभी तक तीन बड़ी पार्टियां लगभग टूट गईं और चौथी का नंबर लगभग आने जैसा दिखाई देने लगा है, जोकि बिहार के सुशासन बाबू नीतीश की जनता दल यूनाइटिड (जेडीयू) है।
ये भी पढ़ें-ऐसा हुआ तो 2019 में कांग्रेस की राह हो जाएगी बेहद आसान, बीजेपी के खेमे में बढ़ सकती हैं मुश्किलें
जम्मू-कश्मीर में पीडीपी से अलग हुई
बीजेपी ने अभी हाल ही जम्मू-कश्मीर में पीडीपी से अपना नाता तोड़ा और उन पर आरोप मढ़ दिए कि उम्मीद के अनुसार काम नहीं हो पा रहा था, जिसकी वजह से उनको अलग होना पड़ा। बीजेपी के चाणक्य की ये तुरुप चाल हिन्दुत्व के एजेंडे को लेकर देखी जा रही है, जिसके सहारे वे महागठबंधन नामक नदी को नाव के सहारे पार करने की कोशिश में हैं। हालांकि उनकी ये चाल कितनी कारगर साबित होगी ये तो वक्त बताएगा।
शिवसेना भी चल रही नाराज
अब उनके (बीजेपी) अपने भी नाराज चल रहे हैं। शायद इस पर भी कोई तगड़ी राजनीति खेली जा रही है। महाराष्ट्र में लोकसभा की 48 सीटें हैं और दोनों पार्टियां शिवसेना और बीजेपी अलग-अलग अपने उम्मीदवार उतारेंगी तो एनसीपी को नुकसान हो सकता है और चुनाव के बाद दोनों दोस्त एक हो सकते हैं। शायद यही वजह है जो बीजेपी अपने बड़े-बड़े दोस्तों को गठबंधन से अलग कर रही है।
ये भी पढ़ें-जम्मू-कश्मीर: रस्साकशी की इस सरकार में कश्मीरी आवाम सिर्फ दर्शक के रूप में मौजूद थी
चंद्रबाबू का छूटा साथ
इधर, तेलगू देशम पार्टी (टीडीपी) के मुखिया चंद्रबाबू नायडू पहले ही आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलने से गठबंधन से अलग हो चुके हैं। बीजेपी यहां भी अपने आपको मजबूत करने की कोशिश करेगी और लोकसभा चुनाव बाद या तो चंद्रबाबू से हाथ मिलाने का प्रयास कर सकती है या फिर किसी अन्य दोस्त को खोजेगी।
नीतीश कुमार होंगे बीजेपी से अलग?
सबसे दिलचस्प कहानी इस समय नीतीश कुमार को लेकर चल रही है। बीजेपी और जेडीयू दोनों दल एक-दूसरे को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं। योग दिवस के दिन सुशासन बाबू के गायब होने के चलते सियासी गलियारा में गर्माहट बढ़ गई और अब तो कयास लगने लगे हैं दोनों दोस्तों के बीच दोस्ती की दरारें बढ़ने लगी हैं क्योंकि सीट बंटवारे को लेकर पिछले कई दिनों से जेडीयू बिहार में खुद को बीजेपी से बड़ी पार्टी बता रही है, जोकि बीजेपी को पच नहीं रहा है। ऐसे में पार्टी के चाणक्य अमित शाह सूबे की 40 सीटों के लिए बड़ा दांव खेल सकते हैं। इसकी यह भी वजह है कि नीतीश कुमार चुनाव के बाद कहीं और न जाकर बीजेपी को अहमियत देंगे इसलिए सबसे मजेदार राजनीतिक लड़ाई बिहार को लेकर हो चली है। अब आने वाला वक्त बताएगा कि बीजेपी बिहार को लेकर क्या निर्णय लेती है?
लोकमत न्यूज के लेटेस्ट यूट्यूब वीडियो और स्पेशल पैकेज के लिए यहाँ क्लिक कर सब्सक्राइब करें!