ब्लॉग: कहीं संसाधनों को न निगल जाए बढ़ती आबादी!

By योगेश कुमार गोयल | Published: July 11, 2024 11:29 AM2024-07-11T11:29:43+5:302024-07-11T11:30:32+5:30

शिक्षा के अभाव में देश की बड़ी आबादी को छोटे परिवार के लाभ को लेकर जागरूक नहीं किया जा सका है। 

Lest the growing population swallow up the resources | ब्लॉग: कहीं संसाधनों को न निगल जाए बढ़ती आबादी!

ब्लॉग: कहीं संसाधनों को न निगल जाए बढ़ती आबादी!

भारत में वर्ष 1951 से ही जनसंख्या नियंत्रण के उद्देश्य से परिवार नियोजन कार्यक्रम चलाया जा रहा है किंतु जोर-शोर से यह कार्यक्रम चलाए जाने के बावजूद जनसंख्या पर नियंत्रण पाने के मामले में भारत अन्य देशों के मुकाबले फिसड्डी साबित हुआ है।

आजादी के समय भारत की आबादी करीब 36 करोड़ थी, जो बढ़कर लगभग 143 करोड़ हो चुकी है। 2019 में संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि 2024 तक भारत और चीन की जनसंख्या बराबर हो जाएगी और 2027 में भारत चीन को पछाड़कर विश्व का सर्वाधिक आबादी वाला देश बन जाएगा। लेकिन भारत 2023 में ही दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन चुका है। 

जनसंख्या संबंधित समस्याओं पर वैश्विक चेतना जागृत करने के लिए प्रतिवर्ष 11 जुलाई को ‘विश्व जनसंख्या दिवस’ मनाया जाता है। भारत के संदर्भ में देखें तो तेजी से बढ़ती आबादी के कारण ही हम सभी तक शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी जरूरतों को पहुंचाने में पिछड़ रहे हैं।

बढ़ती आबादी की वजह से ही देश में बेरोजगारी की समस्या विकराल हो चुकी है। 1951 में देश में करीब 33 लाख व्यक्ति बेरोजगार थे लेकिन अब यह संख्या कई करोड़ हो चुकी है। हालांकि विगत दशकों में विभिन्न योजनाओं के माध्यम से नए रोजगार जुटाने के कार्यक्रम चलाए गए लेकिन बढ़ती आबादी के कारण ये सभी कार्यक्रम ‘ऊंट के मुंह में जीरा’ ही साबित हुए।

बढ़ती आबादी की विस्फोटक परिस्थितियों के कारण ही संविधान में जिस उद्देश्य से प्राथमिक शिक्षा का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, वह भी गौण होकर रह गया है। बढ़ती जनसंख्या के कारण देश में आबादी और संसाधनों के बीच असंतुलन बढ़ रहा है। विगत दशकों में देश की जनसंख्या जिस गति से बढ़ी, उस गति से कोई भी सरकार जनता के लिए आवश्यक संसाधन जुटाने की व्यवस्था करने में सफल नहीं हो सकती थी। आज देश की बहुत बड़ी आबादी निम्न स्तर का जीवन जीने को विवश है।

जनसंख्या में स्थायित्व और कामकाजी युवाओं की स्थिर संख्या के लिए महिलाओं की सामान्य प्रजनन दर 2.1 होनी चाहिए। आंकड़े देखें तो सर्वाधिक साक्षरता वाले केरल राज्य की जनसंख्या वृद्धि एक दशक में 4.9 प्रतिशत रही जबकि सबसे कम साक्षरता दर वाले बिहार में यह दर 25.1 प्रतिशत रही।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार भारत में गरीब महिलाओं की प्रजनन दर 3.2 है जबकि सम्पन्न महिलाओं में सिर्फ 1.5 है. इसी प्रकार अनपढ़ महिलाओं के औसतन 3.1 बच्चे हैं जबकि शिक्षित महिलाओं में यह संख्या औसतन 1.7 है। इसका स्पष्ट अर्थ है कि जनसंख्या विस्फोट का सीधा संबंध सामाजिक और शैक्षिक स्थितियों से जुड़ा है। शिक्षा के अभाव में देश की बड़ी आबादी को छोटे परिवार के लाभ को लेकर जागरूक नहीं किया जा सका है। 

Web Title: Lest the growing population swallow up the resources

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे