ललित गर्ग का ब्लॉगः बदलनी होगी पुरुषवादी मानसिकता

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: November 28, 2018 04:55 PM2018-11-28T16:55:25+5:302018-11-28T16:55:25+5:30

महिलाओं को हिंसामुक्त जीवन प्रदत्त करने के लिए पुरुष-समाज को उन आदतों, महत्वाकांक्षाओं, वासनाओं एवं कट्टरताओं को अलविदा कहना ही होगा जिनका हाथ पकड़कर वे उस ढलान में उतर गए जहां रफ्तार तेज है और विवेक अनियंत्नित है, जिसका परिणाम है नारी पर हो रहे नित-नए अपराध और अत्याचार.

Lalit Garg's Blog: Must Change Men's Mindset | ललित गर्ग का ब्लॉगः बदलनी होगी पुरुषवादी मानसिकता

ललित गर्ग का ब्लॉगः बदलनी होगी पुरुषवादी मानसिकता

दुनियाभर में महिलाओं के प्रति हिंसा, शोषण एवं उत्पीड़न की बढ़ती घटनाएं संयुक्त राष्ट्र के लिए गंभीर चिंता का विषय बनी हैं. इस तरह की जाने वाली हिंसा के उन्मूलन के लिए 25 नवंबर को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में विश्वभर में मनाया जाता है. इस दिन महिलाओं के विरुद्ध हिंसा रोकने के और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता को रेखांकित करने वाले अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. 

25 नवंबर, 1960 को डोमिनिकन शासक राफेल ट्रजिलो (1930-1961) के आदेश पर तीन बहनों- पैट्रिया मर्सिडीज मिराबैल, मारिया अर्जेटीना मिनेर्वा मिराबैल तथा एंटोनिया मारिया टेरेसा मिराबैल की  क्रूरता से हत्या कर दी गई थी. इन तीनों बहनों ने ट्रजिलो की तानाशाही का कड़ा विरोध किया था. महिला अधिकारों के समर्थक व कार्यकर्ता वर्ष 1981 से इस दिन को इन तीनों बहनों की मृत्यु की स्मृति के रूप में मनाते हैं. 17 दिसंबर 1999 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में एकमत से यह निर्णय लिया गया कि 25 नवंबर को महिलाओं के विरुद्ध अंतर्राष्ट्रीय हिंसा उन्मूलन दिवस के रूप में मनाया जाएगा. वर्ष 2000 में इसे मनाने की शुरू आत हुई.

अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा-उन्मूलन दिवस महिलाओं के अस्तित्व एवं अस्मिता से जुड़ा एक ऐसा दिवस है जो दायित्वबोध की चेतना का संदेश देता है, जिसमें महिलाओं के प्रति बढ़ रही हिंसा को नियंत्रित करने का संकल्प भी है. इसमें जहां नारी की अनगिनत जिम्मेदारियों के सूत्न गुंफित हैं, वहीं नारी पर घेरा डालकर बैठे खतरों एवं उसे दोयम दर्जे की समझे जाने की मानसिकता को झकझोरने के प्रयास भी सम्मिलित हैं. इसलिए इस दिवस का मूल्य केवल नारी तक सीमित न होकर संपूर्ण मानवता से जुड़ा है.

महिलाओं को हिंसामुक्त जीवन प्रदत्त करने के लिए पुरुष-समाज को उन आदतों, महत्वाकांक्षाओं, वासनाओं एवं कट्टरताओं को अलविदा कहना ही होगा जिनका हाथ पकड़कर वे उस ढलान में उतर गए जहां रफ्तार तेज है और विवेक अनियंत्नित है, जिसका परिणाम है नारी पर हो रहे नित-नए अपराध और अत्याचार. पुरुष-समाज के प्रदूषित एवं विकृत हो चुके तौर-तरीके ही नहीं बदलने हैं बल्किउन कारणों की जड़ों को भी उखाड़ फेंकना है जिनसे बार-बार नारी को जहर के घूंट पीने को विवश होना पड़ता है.

Web Title: Lalit Garg's Blog: Must Change Men's Mindset

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