शोभना जैन का ब्लॉग: भारत-पाक तनाव में उलझती कुलभूषण जाधव की रिहाई
By शोभना जैन | Published: September 16, 2019 06:06 AM2019-09-16T06:06:01+5:302019-09-16T06:06:01+5:30
भारत सरकार के तमाम प्रयासों और अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय द्वारा राहत दिए जाने के सकारात्मक फैसले के बावजूद पाक के अमानवीय रुख के चलते पहले से ही उलझा जाधव की रिहाई का मामला और उलझता जा रहा है.
भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव निरंतर बढ़ रहा है. जम्मू-कश्मीर में संविधान के अनुच्छेद 370 का हटाया जाना भारत का आंतरिक और उसकी अपनी संप्रभुता से जुड़ा मसला रहा, लेकिन पाकिस्तान इस फैसले से बुरी तरह से बौखला गया. सीमा पर तनाव बढ़ा, पाकिस्तान द्वारा चलाई जा रही सीमा पार से आतंकी गतिविधियां बढ़ीं, स्थितियां ऐसी बनीं कि परमाणु शक्ति संपन्न दोनों देशों के राजनेताओं बीच वाक्युद्ध कूटनीतिक मर्यादाओं को पार कर रहा है. इस सबसे दूर पाकिस्तान की एक जेल की काल-कोठरी में फांसी की सजा प्राप्त भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव तिल-तिल मर रहे हैं.
भारत सरकार के तमाम प्रयासों और अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय द्वारा राहत दिए जाने के सकारात्मक फैसले के बावजूद पाक के अमानवीय रुख के चलते पहले से ही उलझा जाधव की रिहाई का मामला और उलझता जा रहा है. भारत और पाकिस्तान के बीच निरंतर बढ़ते तनाव के बीच पाकिस्तान जिस तरह से इस मामले को ले कर अमानवीय रुख अपना रहा है और हाल ही में जिस तरह से पाक ने जाधव को दूसरी बार भारतीय राजनयिकों से मिलने देने की बात से इंकार किया, उस सबसे जाधव की जल्द रिहाई को लेकर अनिश्चितता और बढ़ रही है. इस मामले को ले कर भारत की कानूनी लड़ाई लंबी खिंचने के अंदेशे के साथ हालांकि ऐसा भी लगता है कि जाधव की खैरियत को लेकर पाकिस्तान किसी तरह का कोई अतिवादी कदम उठाने से बचेगा, क्योंकि ऐसा कोई भी अतिवादी कदम आईसीजे के निर्देशों की धज्जियां उड़ाना होगा.
आईसीजे के निर्देशों के बाद काफी दिनों तक मामले को लटकाए रखने के बाद आखिरकार गत दो सितंबर को पाकिस्तान ने जाधव से भारतीय राजनयिक को मिलने की इजाजत तो दी, लेकिन मुलाकात हुई पाकिस्तानी गुप्तचर और सैन्य अधिकारियों की निगाहों के घेरे के बीच. नतीजतन जाधव के चेहरे पर दहशत साफ दिखाई दी और उन्होंने मन की बात कहने की बजाय वही कहा जो उनसे जबरन कहलवाया गया. अब पाकिस्तान के उस कान्सुलर एक्सेस की रस्म अदायगी के बाद जाधव के साथ दूसरी बार काउंसलर एक्सेस देने से इंकार कर देने से मामला और उलझ गया है. इसके मायने साफ हैं कि पाकिस्तान आईसीजे के निर्देशों का पालन नहीं कर रहा है.
सवाल है कि इस बढ़ते तनाव में आखिर जाधव का हश्र क्या होगा? क्या उन्हें अकेले में भारतीय राजनयिक से मुलाकात की अनुमति मिल पाएगी जिससे भारत उनकी रिहाई के लिए उसी आधार पर प्रयास कर सके? पाकिस्तान क्या इस मामले पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव को समझेगा? क्या इस मुद्दे को द्विपक्षीय बातचीत से हल किया जा सकेगा या पाकिस्तान इसे ले कर किसी प्रकार की सौदेबाजी करने की फिराक में है?