ब्लॉग: रहस्यमय ऑडियो-टेप से रिजिजु का संबंध! आखिर कानून मंत्री के पद से क्यों हटाया गया

By हरीश गुप्ता | Published: July 6, 2023 07:49 AM2023-07-06T07:49:51+5:302023-07-06T07:50:58+5:30

Kiren Rijiju's connection with mysterious audio-tape, he removed from the post of Law Minister | ब्लॉग: रहस्यमय ऑडियो-टेप से रिजिजु का संबंध! आखिर कानून मंत्री के पद से क्यों हटाया गया

ब्लॉग: रहस्यमय ऑडियो-टेप से रिजिजु का संबंध! आखिर कानून मंत्री के पद से क्यों हटाया गया

जब 18 मई को किरण रिजिजु को केंद्रीय कानून मंत्री के पद से हटा दिया गया और साधारण से पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में स्थानांतरित कर दिया गया तो यह अप्रत्याशित घटना थी. आखिरकार, रिजिजु पूर्वोत्तर में भाजपा का मूल चेहरा थे और अरुणाचल प्रदेश से पार्टी के तीन बार के लोकसभा सांसद थे. उन्हें मई 2019 में मोदी-2 सरकार में युवा मामले और खेल राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में शामिल किया गया था. 

रविशंकर प्रसाद को हटाए जाने के बाद वे 8 जुलाई, 2021 को एक आश्चर्यजनक फेरबदल में 11 अन्य लोगों के बीच महत्वपूर्ण कानून विभाग के कैबिनेट मंत्री बने. लेकिन न्यायपालिका की आलोचना करने के लिए सुर्खियों में रहने के बाद मई 2023 में उन्हें कानून मंत्री के पद से हटा दिया गया था. 

आम धारणा यह है कि उन्हें पद से इसलिए हटा दिया गया क्योंकि पीएम मोदी चुनावी वर्ष में न्यायपालिका के साथ कोई विवाद नहीं चाहते थे, खासकर कर्नाटक विधानसभा चुनावों में भाजपा की अपमानजनक हार के बाद. लेकिन अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि यह एक गलत धारणा है क्योंकि कानून मंत्रालय से उन्हें हटाने का कारण एक ऑडियो-टेप के सामने आने से जुड़ा था. 

इस ऑडियो-टेप की सामग्री के बारे में किसी को कोई निश्चित जानकारी नहीं है लेकिन एक बात स्पष्ट है कि इसमें किरण रिजिजु की आवाज है. हालांकि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (हरियाणा) के घोटाले से संबंधित एक व्हाट्सएप्प चैट और 12 ऑडियो टेप थे लेकिन एक टेप में किरण रिजिजु की आवाज थी. ऑडियो क्लिप का कुछ संबंध एक विशेष न्यायाधीश द्वारा सुनवाई किए जा रहे सीबीआई के एक मामले से है, जिसे रिश्वत मांगने और लेने के आरोप में निलंबित कर दिया गया था. 

कोई नहीं जानता कि रिजिजु का इससे क्या लेना-देना था. ऐसा लगता है कि यह घोटाला जितना दिखता है, उससे कहीं अधिक गहरा है और आने वाले दिनों में कई लोगों पर इसकी गाज गिर सकती है.

कामराज योजना की शुरुआत !

क्या पीएम मोदी 2023 में वही करेंगे जो भारत के पहले प्रधानमंत्री नेहरू ने 60 साल पहले 1963 में किया था? नेहरू ने एक ही बार में पांच वरिष्ठतम कैबिनेट मंत्रियों और कई शक्तिशाली मुख्यमंत्रियों को हटा दिया और उन्हें ‘कामराज योजना’ के तहत पार्टी के काम के लिए नियुक्त किया था. 

कामराज ने स्वयं उस समय मद्रास राज्य के मुख्यमंत्री का पद छोड़ दिया था और बाद में उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष नियुक्त किया गया. ऐसी खबरें हैं कि पीएम मोदी 2024 में 300 से अधिक लोकसभा सीटें जीतने के लिए वरिष्ठ मंत्रियों और कुछ मुख्यमंत्रियों को पार्टी का काम करने के लिए तैयार करने के विचार पर भी काम कर रहे हैं. 

हिमाचल और कर्नाटक की हार के बाद भाजपा नेतृत्व बेहद चिंतित है और बिहार, महाराष्ट्र, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, पंजाब, पश्चिम बंगाल और कुछ अन्य राज्यों में अपनी कमजोरियों से परिचित है. प्रधानमंत्री चाहते हैं कि युवा चेहरों, महिलाओं, आदिवासियों और वंचित वर्गों को युवा पीढ़ी से जोड़ने के लिए अधिक जिम्मेदारियां दी जाएं. जेपी नड्डा, अमित शाह और भाजपा महासचिव (संगठन) बी.एल. संतोष ने स्थिति पर विस्तार से चर्चा की है और पीएम को जमीनी स्तर की स्थिति से अवगत कराया है. 

2 जुलाई को महाराष्ट्र में हुआ तख्तापलट इसी योजना का हिस्सा था. पीएम मोदी मंत्रिमंडल से बातचीत के बाद अपने व्यापक फेरबदल अभियान को अंतिम रूप दे रहे हैं. वे सभी 7 जुलाई के बाद दिल्ली में तैनात रहेंगे.

आखिरकार सितारा चमका

वे दिन गए जब राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधराराजे सिंधिया दिल्ली में भाजपा की सत्ता के लिए लगभग अछूत थीं. साढ़े चार साल से अधिक समय से उन्हें राज्य भाजपा या विधायक दल में कोई पद नहीं दिया गया था. वह केंद्रीय नेताओं द्वारा संबोधित भाजपा की कई रैलियों का भी हिस्सा नहीं थीं. लेकिन समय बदल गया है और उन्हें राजस्थान में मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर लंबी चर्चा के लिए भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने विशेष रूप से बुलाया. 

जब प्रधानमंत्री एक रैली को संबोधित करने के लिए राजस्थान गए तो वसुंधरा मंच पर नहीं थीं और दर्शकों की अगली पंक्ति में बैठी थीं. प्रोटोकॉल तोड़कर उन्हें मंच पर आमंत्रित किया गया और पीएम के बगल में सीट दी गई. जब भाजपा महासचिव अरुण सिंह ने उनसे पीएम के संबोधन से पहले बोलने के लिए कहा तो उन्होंने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि उन्होंने कोई तैयारी नहीं की है और उन्हें पहले सूचित किया जाना चाहिए था. 

जब अमित शाह ने हाल ही में एक रैली को संबोधित करने के लिए राज्य का दौरा किया तो वह केंद्रीय गृह मंत्री के बगल में बैठीं और बात भी की. राज्य और केंद्र में उनके विरोधी नाराज हैं तो क्या हुआ? ऐसा लगता है कि आलाकमान को यह एहसास हो गया है कि उनके नेतृत्व के बिना पार्टी विधानसभा चुनावों में जीत हासिल नहीं कर पाएगी. उनकी नई जिम्मेदारी के बारे में घोषणा का इंतजार है.

एक रहस्यमय भविष्यवाणी

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) मानसून कमजोर होने पर लोगों के बीच डर पैदा करने से बचता है. आईएमडी ने कहा था कि मानसून में एक हफ्ते की देरी हो सकती है लेकिन देशभर में 95 प्रतिशत से ज्यादा बारिश होगी. हालांकि खाद्य मंत्रालय के अधिकारियों ने यह संकेत देकर डर पैदा कर दिया है कि इस साल अल नीनो के कारण खराब मानसून की आशंका है और इसके परिणामस्वरूप खाद्यान्न उत्पादन कम हो सकता है. 

इसके कारण कई लोगों ने खाद्यान्न की जमाखोरी कर ली. यह भी पता चला है कि डर के कारण भारतीय खाद्य निगम ने कर्नाटक को गरीबों के लिए अपनी कल्याण योजनाओं के लिए बेहद जरूरी चावल देने से इनकार कर दिया. मानसून थोड़ी देरी से आया और अनुमान के मुताबिक 95 प्रतिशत बारिश हुई.

Web Title: Kiren Rijiju's connection with mysterious audio-tape, he removed from the post of Law Minister

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