ब्लॉग: कानपुर की शान चमड़ा कारखाने अब बन गए शहर के लिए चुनौती! आखिर कब तक कराहती रहेगी गंगा ?

By पंकज चतुर्वेदी | Published: December 28, 2022 01:52 PM2022-12-28T13:52:38+5:302022-12-28T13:52:38+5:30

Kanpur Ganga Pollution: leather factory now become a challenge for the city | ब्लॉग: कानपुर की शान चमड़ा कारखाने अब बन गए शहर के लिए चुनौती! आखिर कब तक कराहती रहेगी गंगा ?

ब्लॉग: कानपुर की शान चमड़ा कारखाने अब बन गए शहर के लिए चुनौती! आखिर कब तक कराहती रहेगी गंगा ?

कभी कानपुर के चमड़ा कारखाने वहां की शान हुआ करते थे, आज यही यहां के जीवन के लिए चुनौती बने हुए हैं. रानिया, कानपुर देहात और राखी मंडी, कानपुर नगर आदि में गंगा में अपशिष्ट के तौर पर मिलने वाले क्रोमियम की दहशत है. वह तो भला हो एनजीटी का जो क्रोमियम कचरे के निबटान के लिए सरकार को कसे हुए है. यह सरकारी अनुमान है कि इन इलाकों में गंगा किनारे सन् 1976 से अभी तक कोई 122800 घन मीटर क्रोमियम कचरा एकत्र है. 

विदित हो कि क्रोमियम ग्यारह सौ सेंटीग्रेड तापमान से अधिक पर पिघलने वाली धातु है और इसका इस्तेमाल चमड़ा, इस्पात, लकड़ी और पेंट के कारखानों में होता है. यह कचरा पांच दशक से यहां की जमीन और भूजल को जहरीला बनाता रहा और सरकारें कभी जुर्माना तो कभी नोटिस देकर औपचारिकताएं पूरी करती रहीं.

सन् 2021 का एक शोध बताता है कि कानपुर में परमट से आगे गंगाजल अधिक जहरीला है. इसमें न सिर्फ क्रोमियम की मात्रा 200 गुना से अधिक है, बल्कि पीएच भी काफी ज्यादा है. यह जल सिर्फ मानव शरीर को नहीं बल्कि मवेशियों और फसलों को भी नुकसान पहुंचा रहा है. यह खुलासा छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के बायोसाइंस एंड बायोटेक्नोलॉजी (बीएसबीटी) विभाग की ओर से हुई जांच में हुआ है. 

विभाग के छात्रों और शिक्षकों ने नौ घाटों पर जाकर गंगाजल का सैंपल लिया. इनकी जांच कर टीम ने रिपोर्ट तैयार की है जो काफी चौंकाने वाली है. कन्नौज के आगे गंगाजल की स्थिति बहुत अधिक भयावह नहीं है मगर परमट घाट के आगे अचानक प्रदूषण और केमिकल की स्थिति बढ़ती जा रही है.

मार्च 2022 में कानपुर के मंडल आयुक्त द्वारा गठित एक सरकारी समिति ने स्वीकार किया कि परमिया नाले से रोजाना 30 से 40 लाख लीटर, परमट नाले से 20 लाख और रानीघाट नाले से 10 लाख लीटर प्रदूषित कचरा रोजाना सीधे गंगा में जा रहा है. कानपुर में गंगा किनारे कुल 18 नाले हैं. इनमें से 13 नालों को काफी पहले टैप किए जाने का दावा किया गया है. हकीकत यह है कि अक्सर ये नाले ओवरफ्लो होकर गंगा को गंदगी से भर रहे हैं.

क्रोमियम की सीमा से अधिक मात्रा ने जाजमऊ और वाजिदपुर में भयावह हालात पैदा किए हैं. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक पानी में क्रोमियम की मात्रा 0.05 होनी चाहिए. कन्नौज से लेकर गंगा बैराज तक स्थिति लगभग सामान्य है मगर जाजमऊ और वाजिदपुर में अचानक क्रोमियम की मात्रा खतरनाक होती जा रही है. इसने 85 गांवों के करीब पांच लाख लोगों की जिंदगी में जहर घोल दिया है. क्रोमियम युक्त पानी ने धरती को भी बंजर किया है.

Web Title: Kanpur Ganga Pollution: leather factory now become a challenge for the city

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