जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: कोविड-19 के संकट से बाहर निकलती अर्थव्यवस्था
By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Published: December 31, 2020 12:14 PM2020-12-31T12:14:31+5:302020-12-31T12:19:22+5:30
कोरोना वायरस संक्रमण ने दुनिया के साथ-साथ देश के आर्थिक और सामाजिक जीवन में हाहाकार मचा दिया. देश में फरवरी 2020 के बाद जैसे-जैसे कोविड-19 की चुनौतियां बढ़ने लगीं, वैसे-वैसे देश में अकल्पनीय आर्थिक निराशा का दौर बढ़ने लगा.
वर्ष 2020 कोरोना वायरस से निर्मित अप्रत्याशित आर्थिक चुनौतियों के कारण आजादी के बाद का सबसे बुरा आर्थिक वर्ष रहा है. यद्यपि वर्ष 2020 में देश की विकास दर में भारी गिरावट आई, रोजगार के अवसरों में कमी आई, लोगों की आमदनी घट गई, फिर भी 2020 के अंतिम छोर पर देश की अर्थव्यवस्था कोविड-19 की आर्थिक मुश्किलों से बाहर निकलती हुई दिखाई दी है.
गौरतलब है कि जब वर्ष 2020 की शुरुआत हुई, तब जनवरी में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), वल्र्ड बैंक तथा दुनिया के अनेक वैश्विक संगठन यह कहते हुए दिखाई दे रहे थे कि वर्ष 2019 की आर्थिक निराशाओं को बदलते हुए वर्ष 2020 में भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन सुधरेगा और विकास दर तेजी से बढ़ेगी, लेकिन कोविड-19 के कारण ऐसी सब उम्मीदें धरी रह गईं.
कोरोना वायरस संक्रमण ने दुनिया के साथ-साथ देश के आर्थिक और सामाजिक जीवन में हाहाकार मचा दिया. देश में फरवरी 2020 के बाद जैसे-जैसे कोविड-19 की चुनौतियां बढ़ने लगीं, वैसे-वैसे देश में अकल्पनीय आर्थिक निराशा का दौर बढ़ने लगा. देश के उद्योग-कारोबार मुश्किलों का सामना करते हुए दिखाई दिए और इनमें रोजगार चुनौतियां बढ़ गईं.
नि:संदेह कोविड-19 के कारण वर्ष 2020 में देश में पहली बार प्रवासी श्रमिकों की अकल्पनीय पीड़ाएं देखी गईं. खासतौर से जो सूक्ष्म, लघु और मध्यम आकार के उद्योग (एमएसएमई) पहले से ही मुश्किलों के दौर से आगे बढ़ रहे थे, कोरोना और लॉकडाउन के कारण इन उद्योगों के उद्यमियों और कारोबारियों के सामने उनके कर्मचारियों को वेतन और मजदूरी देने का संकट खड़ा हो गया.
देश के करीब 45 करोड़ के वर्कफोर्स में से असंगठित क्षेत्न के 90 फीसदी श्रमिकों और कर्मचारियों की रोजगार मुश्किलें बढ़ गईं. देश के कोने-कोने में पैदल, ट्रकों और ट्रेनों से लाखों श्रमिक शहर छोड़कर अपने-अपने गांवों में जाते हुए दिखाई दिए.
इन आर्थिक एवं रोजगार चुनौतियों के बीच कोविड-19 के संकट से चरमराती देश की अर्थव्यवस्था के लिए आत्मनिर्भर अभियान के तहत वर्ष 2020 में मार्च से लगाकर नवंबर के बीच सरकार ने एक के बाद एक 29.87 लाख करोड़ की राहतों के ऐलान किए.
निश्चित रूप से भारत ने वर्ष 2020 में कोविड-19 की आर्थिक चुनौतियों का सफल मुकाबला किया. एशियन डेवलपमेंट बैंक सहित विभिन्न वैश्विक संगठनों के मुताबिक कोविड-19 से जंग में भारत के रणनीतिक प्रयासों से कोविड-19 का भारतीय अर्थव्यवस्था पर अन्य देशों की तुलना में कम प्रभाव पड़ा.
सरकार द्वारा घोषित किए गए 29 लाख करोड़ रु. से अधिक के आत्मनिर्भर भारत अभियान और 41 करोड़ से अधिक गरीबों और किसानों के जनधन खातों तक सीधी राहत पहुंचाने से कोविड-19 के आर्थिक दुष्प्रभावों से बहुत कुछ बचा जा सका है.
वर्ष 2020 में कोरोना महामारी के बीच इंडिया ने आपदा को अवसर में भी बदलने का पूरा प्रयास किया है. भारत ने दुनिया के कई देशों को दवाई, स्वास्थ्य और कृषि उत्पादों जैसी कई वस्तुओं का निर्यात करके उन्हें कोरोना की चुनौतियों से राहत भी पहुंचाई है.
कोरोना से जंग में सरकार के द्वारा उठाए गए रणनीतिक कदमों से वर्ष 2020 के अंतिम सोपान पर देश की अर्थव्यवस्था कोविड-19 की आर्थिक महात्नासदी से बाहर निकलकर विकास की डगर पर आगे बढ़ते हुए दिखाई दी है. लेकिन अभी कोविड-19 की चुनौतियां समाप्त नहीं हुई हैं, अब 21वीं शताब्दी के तीसरे दशक में प्रवेश करते समय आगामी वर्ष 2021 में देश में बुनियादी व्यवस्थाओं और आर्थिक संसाधनों के अधिकतम तथा अच्छे उपयोग की रणनीति जरूरी होगी.