जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: दिवाली पर चीनी नहीं, स्थानीय उत्पादों की चमक
By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Published: November 13, 2020 09:27 AM2020-11-13T09:27:29+5:302020-11-13T09:40:51+5:30
पिछले कई सालों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्थानीय उत्पादों के उपयोग पर जोर देते हुए दिखाई दे रहे हैं. पिछले पांच-छह महीनों में भारत में चीन से आयात में बड़ी गिरावट आई है और भारत से चीन को निर्यात में बढ़ोत्तरी हुई है.
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 नवंबर को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में विकास परियोजनाओं का शिलान्यास करते हुए देशवासियों से दीपावली पर खरीदारी में स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता देने का आह्वान किया है. उन्होंने यह भी कहा कि लोकल फॉर दीपावली से अर्थव्यवस्था में नई चेतना आएगी.
प्रधानमंत्री मोदी पिछले छह वर्षो से लगातार स्थानीय उत्पादों के उपयोग पर जोर देते हुए दिखाई दे रहे हैं. खासतौर से जैसे-जैसे चीन की भारत के प्रति आक्रामकता और विस्तारवादी नीति सामने आई, वैसे-वैसे उनके भाषणों के माध्यम से स्थानीय उत्पादों के उपयोग की लहर देश भर में बढ़ती गई है.
इस दिवाली लोकल प्रोडक्ट्स पर है जोर
प्रधानमंत्री मोदी की स्थानीय उत्पादों के उपयोग की अपील को अंजाम तक पहुंचाने में देश के कोने-कोने में सभी प्रमुख मंत्रालयों और दुकानदार और करोड़ों उपभोक्ता एकजुट हो गए हैं. देश के कई मंत्रालयों की तरफ से स्थानीय कारीगरों के नंबर तक ट्विटर पर मुहैया कराए गए हैं.
यह कोई छोटी बात नहीं है कि स्थानीय उत्पादों के उपयोग की लहर का जोरदार असर इस बार दीपावली के बाजार में दिखाई भी देने लगा है. निश्चित रूप से दिवाली की खरीदारी में स्थानीय कारीगरों को आर्थिक फायदा दिखाई दे रहा है और लोग चीन के सामान का बहिष्कार कर रहे हैं.
दीपावली के दौरान घरों में इस्तेमाल होने वाले सामान से लेकर गिफ्ट आइटम तक की बिक्री में चीन के सामानों की जगह स्थानीय उत्पादों की अच्छी हिस्सेदारी दिखाई दे रही है. पिछले कई वर्षो तक दीपावली के समय देश के बाजारों में दुकानें सस्ते चीनी सामानों से भर जाती थीं, लेकिन इस बार दीपावली पर बाजारों में चीनी सामानों की जगह स्थानीय सामानों की बहुतायत है. दीपावली पर्व पर भारतीय बाजार से चीनी दीपक, चीनी झालर और अन्य सजावट के चीनी सामान लगभग गायब दिखाई दे रहे हैं.
ज्ञातव्य है कि पिछले छह-सात महीनों में देश के कोने-कोने में चीन विरोधी माहौल लगातार बढ़ता गया है. लोग चीनी वस्तुओं का बहिष्कार करते हुए दिखाई दे रहे हैं.
चीन को आर्थिक चुनौती देने के लिए सरकार के द्वारा टिकटॉक सहित विभिन्न चीनी एप्प पर प्रतिबंध, चीनी सामान के आयात पर नियंत्नण, कई चीनी सामान पर शुल्क वृद्धि, सरकारी विभागों में चीनी उत्पादों की जगह यथासंभव स्थानीय उत्पादों के उपयोग की प्रवृत्ति जैसे विभिन्न कारण चीन से आयात में बड़ी गिरावट की वजह बन गए हैं.
चीन के उत्पादों के बहिष्कार का अभियान
चीन में निर्मित सस्ते कच्चे माल को प्राथमिकता देने वाले भारतीय उत्पादकों ने भी सस्ते कच्चे चीनी माल का आयात कम कर दिया है. गौरतलब है कि कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने विगत 10 जून से देश भर में चीन के उत्पादों के बहिष्कार का अभियान शुरू किया हुआ है. कैट का मानना है कि इस बार दीपावली पर्व पर दिवाली से संबंधित करीब 40 हजार करोड़ रुपए के विभिन्न सामान भी भारतीय बाजार में नहीं आएंगे.
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय कामधेनु आयोग ने इस वर्ष दिवाली के दौरान चीनी दीपक और लाइट्स का आयात रोकने के लिए गाय के गोबर से बने हुए दीये बाजार में ला दिए हैं. इसके अलावा देश के हर क्षेत्न में स्थानीय कारीगरों के द्वारा बनाई गई दीपावली की वस्तुएं क्षेत्नीय बाजारों में चमकती हुई दिखाई दे रही हैं.
नि:संदेह देश के बाजारों में चीनी सामानों की कमी का जो परिदृश्य है, वह आंकड़ों में भी दिखाई दे रहा है. हाल ही में वाणिज्य मंत्नालय के द्वारा प्रकाशित आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष 2020-21 के शुरुआती पांच महीनों अप्रैल से अगस्त में चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा तेजी से घटकर करीब 12.6 अरब डॉलर का रह गया है. यह व्यापार घाटा वर्ष 2019-20 में करीब 22.6 अरब डॉलर, 2018-19 में 23.5 अरब डॉलर और 2017-18 में 26.33 अरब डॉलर था.
भारत में चीन से आयात में बड़ी गिरावट
पिछले पांच-छह महीनों में भारत में चीन से आयात में बड़ी गिरावट आई है और भारत से चीन को निर्यात में बढ़ोत्तरी हुई है. जहां इस वर्ष 2020 के अप्रैल से अगस्त के बीच भारत में चीन से आयात में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 27.63 फीसदी की गिरावट आई है, वहीं अप्रैल से अगस्त 2020 के बीच भारत से चीन को निर्यात में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 27 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है.
निश्चित रूप से जिस तरह से देशभर में चीनी सामान का बहिष्कार हो रहा है और सरकार जिस तरह चीनी सामान के आयात को नियंत्रित कर रही है, उससे चालू वित्त वर्ष 2020-21 में चीन से आयात में और कमी होगी तथा चीन के साथ देश के व्यापार असंतुलन में भी कमी आएगी.
हम उम्मीद करें कि पूरे देश में इस समय जिस तरह दीपावली पर लोग चीनी सामानों का बहिष्कार करते हुए दिखाई दे रहे हैं, उसी तरह भविष्य में और अधिक करोड़ों लोग चीनी उत्पादों की जगह यथासंभव स्थानीय उत्पादों के उपयोग को जीवन का मूलमंत्न बनाएंगे.
हम उम्मीद करें कि पूरे देश में और अधिक उद्यमी और कारोबारी आयातित चीनी कच्चे माल और आयातित चीनी वस्तुओं के स्थानीय विकल्प प्रस्तुत करेंगे. स्थानीय उत्पादों को प्रोत्साहन दिए जाने से देश में कुटीर और लघु उद्योगों को पुनर्जीवित कर बड़ी संख्या में रोजगार और स्वरोजगार के अवसर बढ़ाए जा सकेंगे. आत्मनिर्भर भारत ही चीन को आर्थिक टक्कर देने और चीन की महत्वाकांक्षाओं पर नियंत्रण का प्रभावी उपाय है.