जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: महामारी के मद्देनजर और अधिक राजकोषीय प्रोत्साहन की जरूरत

By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Published: April 13, 2020 07:16 AM2020-04-13T07:16:03+5:302020-04-13T07:16:03+5:30

वास्तव में कोरोना प्रकोप और लॉकडाउन के बीच सरकार ने अभी जो राहत दी है वह सराहनीय है लेकिन उद्योग कारोबार तथा कृषि व सर्विस सेक्टर में रोजगार बचाने के लिए वित्त मंत्नी को और अधिक खुले हाथों से राहत देनी होगी.

Jayantilal Bhandari blog: More fiscal stimulus needed in wake of epidemic | जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: महामारी के मद्देनजर और अधिक राजकोषीय प्रोत्साहन की जरूरत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। (फाइल फोटो)

हाल ही में प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी से कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने राजकोषीय घाटे के आकार में उपयुक्त वृद्धि करने की अपील की. कहा गया कि राजकोषीय दायित्व एवं प्रबंधन कानून के प्रावधानों में ढील दी जानी चाहिए. कहा गया कि नए वित्तीय वर्ष 2020-21 में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.5 प्रतिशत निर्धारित है, इसे बढ़ाकर 4 प्रतिशत किया जाना चाहिए.

जहां देश के विभिन्न मुख्यमंत्रियों ने सरकार से व्यापक राजकोषीय प्रोत्साहन की मांग की है वहीं भारतीय उद्योग परिसंघ सीआईआई के द्वारा उद्योग कारोबार से संबंधित करीब 200 सीईओ के बीच किए गए जिस ऑनलाइन सर्वे का प्रकाशन 5 अप्रैल को किया गया है, उसमें उद्योग कारोबार को बचाने के लिए सरकार से राजकोषीय प्रोत्साहन के व्यापक पैकेज की जरूरत बताई गई है.

वास्तव में कोरोना प्रकोप और लॉकडाउन के बीच सरकार ने अभी जो राहत दी है वह सराहनीय है लेकिन उद्योग कारोबार तथा कृषि व सर्विस सेक्टर में रोजगार बचाने के लिए वित्त मंत्नी को और अधिक खुले हाथों से राहत देनी होगी.

गौरतलब है कि 26 मार्च को कोरोना महामारी और देशव्यापी लॉकडाउन के बीच वित्त मंत्नी निर्मला सीतारमण के द्वारा गरीब किसान, महिला एवं अन्य प्रभावित वर्गो के 100 करोड़ से अधिक लोगों को राहत पहुंचाने का जो एक लाख 70 हजार करोड़ रुपए का बहुआयामी पैकेज घोषित किया गया है वह सराहनीय है. इसी तरह 2 मार्च को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने उद्योग कारोबार और लोगों को वित्तीय व बैंकिंग संबंधी राहत देने के लिए कई महत्वपूर्ण ऐलान किए हैं.

खास तौर से रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट घटाकर बड़ी राहत दी गई है. ब्याज दर में कमी का महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है. 3 माह तक ईएमआई नहीं दिए जाने संबंधी राहत भी दी गई है. एनपीए के नियमों में बड़ा बदलाव किया गया है. रिजर्व बैंक के नए फैसलों से चलन में नगदी की मात्ना बढ़ेगी. यह अनुमान है कि करीब 3 लाख करोड़ रु पए की नगदी चलन में आएगी.

दुनिया की प्रसिद्ध ब्रिटिश ब्रोकरेज फर्म बार्कलेज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कोरोना प्रकोप से इस वर्ष 2020 में भारत की अर्थव्यवस्था को करीब नौ लाख करोड़ रु पए नुकसान होगा. यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि लॉकडाउन ने देश के उद्योग-कारोबार को सबसे अधिक प्रभावित किया है. देश में सबसे अधिक रोजगार सूक्ष्म, छोटे और मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) के द्वारा दिया जाता है, देश के करीब साढ़े सात करोड़ ऐसे छोटे उद्योगों में करीब 18 करोड़ लोगों को नौकरी मिली हुई है.

हम आशा करें कि वित्त मंत्नी ने चालू वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में जो राजकोषीय घाटा जीडीपी का 3.5 प्रतिशत निर्धारित किया है, उसे वे विस्तारित कर 4 प्रतिशत तक ले जाने में पीछे नहीं हटेंगी.

Web Title: Jayantilal Bhandari blog: More fiscal stimulus needed in wake of epidemic

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