जयंतीलाल भंडारी का नजरियाः देश में बढ़ती हुई आर्थिक असमानता कम करना जरूरी
By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Published: July 25, 2019 02:28 PM2019-07-25T14:28:50+5:302019-07-25T14:28:50+5:30
ल ही में 12 जुलाई को संयुक्त राष्ट्र ने 101 देशों में गरीबी पर पॉवर्टी इंडेक्स रिपोर्ट 2019 जारी की है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इन 101 देशों में 130 करोड़ गरीब हैं. भारत ने 2006-2016 के बीच 10 विकासशील देशों के समूह में सबसे तेजी से गरीबी कम की है.
इस समय देश में बढ़ती हुई आर्थिक असमानता को घटाना देश की सबसे बड़ी आर्थिक-सामाजिक चुनौती है. हाल ही में 12 जुलाई को संयुक्त राष्ट्र ने 101 देशों में गरीबी पर पॉवर्टी इंडेक्स रिपोर्ट 2019 जारी की है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इन 101 देशों में 130 करोड़ गरीब हैं. भारत ने 2006-2016 के बीच 10 विकासशील देशों के समूह में सबसे तेजी से गरीबी कम की है.
इन 10 सालों में देश के 27.1 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर आए हैं. पॉवर्टी इंडेक्स रिपोर्ट के मुताबिक भारत में गरीब 55.1 फीसदी (64 करोड़) से घटकर 27.9 फीसदी (36.9 करोड़) रह गए हैं. इंडेक्स के आठ पैमानों के आधार पर गरीबी की रेटिंग की गई है. जिनमें पोषण की कमी, शिशु मृत्यु दर में कमी, रसोई गैस में कमी, स्वच्छता में कमी, पीने का पानी कम होना, बिजली की कमी, घरों की कमी तथा संपत्तियों का अभाव शामिल हैं.
जहां संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में भारत में गरीबी तेजी से घटने की बात कही गई है, वहीं ऑक्सफैम इंडिया के द्वारा प्रस्तुत आर्थिक असमानता रिपोर्ट 2018 में कहा गया है कि भारत में 1991 के बाद शुरू हुए उदारीकरण के बाद आर्थिक असमानता और अधिक भयावह होती जा रही है. कहा गया कि वर्ष 2017 में भारत में अरबपतियों की कुल संपत्ति देश की जीडीपी के 15 फीसदी के बराबर हो गई है. जबकि पांच वर्ष पहले यह 10 फीसदी थी.
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत विश्व के सबसे अधिक आर्थिक असमानता वाले देशों में से एक है. वर्ष 2017 में भारत में जितनी संपत्ति बढ़ी उसका 73 फीसदी हिस्सा देश के एक फीसदी अमीरों के पास पहुंचा. इसी तरह वैश्विक वित्तीय सेवा कंपनी क्रेडिट सुइस द्वारा प्रकाशित एक ताजा अध्ययन में कहा गया है कि दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ रही भारतीय अर्थव्यवस्था में अमीर-गरीब के बीच खाई बढ़ती जा रही है. अति धनाढ्य लोगों की संख्या के हिसाब से भारत का दुनिया में छठा स्थान है. ऑक्सफैम और डेवलपमेंट फाइनेंस इंटरनेशनल द्वारा दुनिया में असमानता को कम करने की प्रतिबद्धता के सूचकांक 2018 में कहा गया है कि असमानता को दूर करने में दुनिया के अन्य देशों की तुलना में भारत का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहा है.
हम आशा करें कि अब सरकार वर्ष 2019-20 के बजट के बाद धनकुबेरों पर कर बढ़ाने के साथ-साथ गरीबों के लिए बनी तमाम कल्याणकारी योजनाओं को कारगर तरीके से लागू करेगी. ऐसा होने पर ही आर्थिक विकास के साथ-साथ सामाजिक कल्याण के विभिन्न कदमों से वर्ष 2020 में भारत संयुक्त राष्ट्र की पॉवर्टी इंडेक्स रिपोर्ट में तेजी से गरीबी कम करने वाले देशों की सूची में ऊंचाई प्राप्त कर सकेगा.