ब्लॉग: सिंधु जल संधि को लेकर क्यों शुरू हुआ विवाद? अंतरराष्ट्रीय अदालत की शरण में पाकिस्तान
By वेद प्रताप वैदिक | Published: January 30, 2023 01:30 PM2023-01-30T13:30:22+5:302023-01-30T13:30:46+5:30
करीब 62 साल पहले जवाहरलाल नेहरू और अयूब खान के प्रयत्नों से सिंधु नदी के पानी को लेकर दोनों देशों के बीच सिंधु जल संधि हुई थी, जिसका पालन कई युद्धों के दौरान भी होता रहा. लेकिन भारत ने अब संधि के नियमों का हवाला देते हुए इसके प्रावधानों को बदलने की पहल की है.
भारत ने पाकिस्तान को 90 दिन का नोटिस दिया है कि दोनों देश मिलकर अब संधि के मूलपाठ में संशोधन करें. संशोधन क्या-क्या हो सकते हैं, यह भारत सरकार ने अभी स्पष्ट नहीं किया है लेकिन जाहिर है कि वह ऐसे नियम अब बनाना चाहेगी कि जैसा तूल इस संधि ने अभी पकड़ा है, वैसा भविष्य में दोहराया न जाए.
अभी भारत और पाकिस्तान के बीच जो विवाद चला है, वह इस बात पर है कि पाकिस्तान ने भारत की शिकायत हेग के अंतरराष्ट्रीय न्यायालय को कर दी है. मूल संधि के अनुसार किसी भी आपसी विवाद को लेकर अंतरराष्ट्रीय अदालत में जाना तीसरा विकल्प है. पहले दो विकल्प हैं-या तो सिंधु आयोग में जाना या फिर किसी तटस्थ मध्यस्थ की सहायता लेना.
भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद छिड़ा दो बांधों को लेकर, जो भारत बनवा रहा था. पाकिस्तान ने जब आपत्ति की तो सिंधु आयोग कोई फैसला नहीं कर सका. इस आयोग में दोनों देशों के अफसर शामिल हैं. तब पाकिस्तान ने पहल की कि कोई तीसरा तटस्थ व्यक्ति मध्यस्थता करे. पाकिस्तान की यह पहल सिंधु जल संधि के अनुकूल थी लेकिन 2015 में की गई इस पहल को अचानक 2016 में उसने वापस ले लिया.
इसका कोई कारण भी उसने नहीं बताया. यह तो संधि की धारा-9 का उल्लंघन है. अब भारत की सहमति के बिना ही पाकिस्तान हेग के अंतरराष्ट्रीय न्यायालय की शरण में चला गया है. इसी से नाराज होकर भारत ने अब पाकिस्तान को 90 दिन का नोटिस दे दिया है.