अवधेश कुमार का ब्लॉग: भारत की सैन्य ताकत चीन से कमजोर नहीं

By अवधेश कुमार | Published: June 30, 2020 03:02 PM2020-06-30T15:02:13+5:302020-06-30T15:02:13+5:30

भारत द्वारा 3,488 किमी की वास्तविक नियंत्नण रेखा पर तैनात सैनिकों में वे विशेष युद्ध बल शामिल हैं जो चीनी सेना के पश्चिमी, मध्य या पूर्वी सेक्टरों में किसी भी प्रकार के हमले से जूझ सकते हैं.

India's Army strength is not weaker than China troops | अवधेश कुमार का ब्लॉग: भारत की सैन्य ताकत चीन से कमजोर नहीं

भारतीय सेना ( प्रतीकात्मक तस्वीर)

चीन जिस सीमा तक चला गया है उसमें भारत के बहुत सारे राष्ट्रीय उद्देश्यों को लंबे समय से आघात पहुंच रहा है. चीन द्वारा भारत की हरसंभव घेरेबंदी और नियंत्नण रेखा पर उसकी आक्रामक रणनीति का जवाब दिए बगैर हमारे पास चारा क्या है? चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भारत के साथ तनाव के बीच जो तीन भाषण अलग-अलग मौकों पर दिए हैं उन सब में अपनी जन मुक्ति सेना (पीएलए) को युद्ध की तैयारी का निर्देश है. उन्होंने एक भाषण में तो यहां तक कहा कि सबसे बुरी स्थिति की कल्पना कर अपनी राष्ट्रीय संप्रभुता एवं आर्थिक हितों की रक्षा के लिए युद्ध की तैयारी कीजिए. इसमें शांति की भाषा बोलना आत्मघाती ही होगा. इसलिए भारत जैसे को तैसा तेवर अपना चुका है.

भारत के एक तबके के अंदर धारणा है कि चीन की सैन्य ताकत हमसे काफी ज्यादा है और हम कमजोर पड़ते हैं. यह धारणा सही नहीं है. वे अगर चीन को ध्यान में रखकर की गई हमारी सैन्य तैयारियों को देखेंगे तो इस धारणा से मुक्त हो जाएंगे. हम देख रहे हैं कि लद्दाख से लगी सीमा पर चीनी लड़ाकू जेट का मूवमेंट बढ़ गया है.

गलवान घाटी (प्रतीकात्मक तस्वीर)
गलवान घाटी (प्रतीकात्मक तस्वीर)

इसके जवाब में भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान मिग-29, मिराज 2000, सुखोई एसयू 30 एमकेआई और टैंक किलर हेलिकॉप्टर अपाचे और चिनूक हेलिकॉप्टर हवा में गश्त लगा रहे हैं. एयर डिफेंस सिस्टम भी तैनात हो गया है. यह सब पूर्व तैयारी के कारण ही संभव हुआ है.

हिंद महासागर में नौसना के युद्धपोतों को आपात स्थिति में ला दिया गया है, जहां चीनी गतिविधियां हमेशा जारी रहती हैं. टी 90 टैंकों को भी लद्दाख में पहुंचा दिया गया है. भारत द्वारा 3,488 किमी की वास्तविक नियंत्नण रेखा पर तैनात सैनिकों में वे विशेष युद्ध बल शामिल हैं जो चीनी सेना के पश्चिमी, मध्य या पूर्वी सेक्टरों में किसी भी प्रकार के हमले से जूझ सकते हैं.

<a href='https://www.lokmatnews.in/topics/indian-army/'>भारतीय सेना</a> (फाइल फोटो)
भारतीय सेना (फाइल फोटो)

भारतीय पर्वतीय सैनिकों को गुरिल्ला युद्ध में प्रशिक्षित किया जाता है और ये पहाड़ों पर कारगिल युद्ध लड़ चुके हैं. उत्तराखंड, लद्दाख, अरुणाचल और सिक्किम में तैनात सैनिक दुर्लभ ऊंचाइयों में रहते हैं और इसलिए उनकी लड़ने की क्षमता बहुत अधिक है.

 जिस चीनी सेना को कुछ लोग अजेय मान बैठे हैं, उसने 1962 के बाद कौन सा युद्ध जीता है? 1967 में हमारी सेना ने ही सिक्किम के दो मोर्चो पर उसे बुरी तरह पराजित किया जिसमें उसके करीब 400 जवान मारे गए. वर्ष 1979 में चीनी सेना को वियतनाम ने धूल चटाई थी. वियतनाम के रिकॉर्ड में अंकित है कि जब चीन ने आक्र मण किया तो उन्होंने उनके 62,500 जवान मारे और 550 गाड़ियां तबाह की थीं. कहने का तात्पर्य यह कि हमें आत्मविश्वास के साथ चीन से निपटने के लिए तैयार होना चाहिए.

Web Title: India's Army strength is not weaker than China troops

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