ब्लॉग: बेहतरीन आपदा प्रबंधन की मिसाल पेश की भारत ने
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: June 17, 2023 01:54 PM2023-06-17T13:54:55+5:302023-06-17T13:56:45+5:30
नब्बे के दशक तक कोई यह सोच भी नहीं सकता था कि महाविनाश करने में सक्षम बिपरजॉय जैसा तूफान प्राणहानि नहीं कर पाएगा। गुजरात ने सत्तर के दशक में भी विनाशकारी समुद्री तूफान देखा है जिसमें भरूच तथा सूरत जैसे शहरों में लाशों के ढेर लग गए थे।
नई दिल्ली: आज से कुछ दशक पहले जब भारत में चक्रवाती तूफान आते थे तब हजारों की संख्या में लोगों की मौत होती थी, लाखों लोग घायल हो जाते थे, अनगिनत पशु जान गंवा बैठते थे लेकिन पिछले दो दशकों में स्थिति काफी बदली है। तूफानों के बारे में सही भविष्यवाणी होने लगी है और आपदा प्रबंधन में देश कुशलता हासिल कर चुका है। ऐसी प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में केंद्र तथा राज्यों के बीच जबर्दस्त तालमेल देखने को मिलता है। ताजा उदाहरण शक्तिशाली चक्रवाती तूफान बिपरजॉय का है।
तूफान अत्यंत शक्तिशाली था, उससे संपत्ति का नुकसान जरूर हुआ लेकिन जनहानि नहीं हुई। पशुओं की भी बहुत कम संख्या में मौत हुई है। बिपरजॉय के खतरे से निपटने के लिए उससे प्रभावित होने वाले राज्य गुजरात, राजस्थान, कर्नाटक, महाराष्ट्र मुस्तैद हो गए और केंद्र से उन्हें पूरा सहयोग मिला। केंद्र और इन राज्यों ने मिलकर बिपरजॉय का मुकाबला किया। तूफान गुरुवार की शाम से देर रात तक गुजरात के सौराष्ट्र तथा कच्छ इलाकों को प्रभावित करता रहा। पेड़, बिजली के खंभे, कच्चे मकान, खेत-खलिहान ध्वस्त हो गए, सड़कें क्षतिग्रस्त हो गईं, बिजली तथा दूरसंचार सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुईं लेकिन प्राणहानि नहीं हुई।
गुजरात में तूफान आने के पूर्व भारी वर्षा से कुछ नदियों में बाढ़ आ गई थी। बाढ़ की चपेट में आकर भावनगर जिले में चरवाहा पिता-पुत्र की मौत हो गई मगर बिपरजॉय के गुजरात के तट पर टकराने के बाद कोई जनहानि नहीं हुई। गुजरात, राजस्थान, कर्नाटक तथा महाराष्ट्र में राज्य सरकारों की मशीनरी और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन टीमों के बीच बेहतरीन तालमेल दिखाई दिया। गुजरात में सबसे ज्यादा खतरा था, इसीलिए वहां तूफान के पहुंचने के पहले ही करीब एक लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया था।
नब्बे के दशक तक कोई यह सोच भी नहीं सकता था कि महाविनाश करने में सक्षम बिपरजॉय जैसा तूफान प्राणहानि नहीं कर पाएगा। गुजरात ने सत्तर के दशक में भी विनाशकारी समुद्री तूफान देखा है जिसमें भरूच तथा सूरत जैसे शहरों में लाशों के ढेर लग गए थे। सत्तर और अस्सी के दशक में अविभाजित आंध्रप्रदेश ने भी आधा दर्जन से ज्यादा चक्रवाती तूफानों का सामना किया और कम से कम दो लाख लोगों को प्राण गंवाने पड़े। अब प्राकृतिक आपदाओं के बारे में सटीक अनुमान और आपदा प्रबंधन के नजरिये में क्रांतिकारी बदलाव से हालात बदल गए हैं।
गुजरात में 4 जून 1998 को आए समुद्री तूफान में सैकड़ों लोग मारे गए थे लेकिन उसके बाद देश में जहां भी तूफान आए, उनमें उत्कृष्ट आपदा प्रबंधन के कारण कम से कम प्राणहानि हुई। 2019 में गुजरात ने बेहद शक्तिशाली चक्रवाती तूफान क्यार का भी सामना किया लेकिन वह सिर्फ संपत्ति को नुकसान पहुंचा सका। महाराष्ट्र ने 2020 में ‘निसर्ग’ चक्रवात को झेला लेकिन एक बार फिर कुशल आपदा प्रबंधन के नतीजे सामने आए और कम से कम नुकसान हुआ। मई 2021 में गुजरात में ‘तौकते’ तूफान के दौरान उत्कृष्ट आपदा प्रबंधन कौशल फिर दिखाई दिया। तूफान आने के पहले ही दो लाख लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया गया था। तूफान में 170 लोगों ने जान गंवाई लेकिन आपदा प्रबंधन के मजबूत उपाय न किए गए होते तो मृतकों की संख्या हजारों में हो सकती थी।
2019 में भी ओडिशा में बेहतरीन आपदा प्रबंधन के चलते चक्रवाती तूफान ‘फानी’ ज्यादा विनाश नहीं कर सका। चक्रवाती तूफान बार-बार आ रहे हैं। मौसम वैज्ञानिक तथा पर्यावरणवादी इसके लिए जलवायु परिवर्तन को बड़ा कारण मानते हैं। बहरहाल जलवायु परिवर्तन की प्रक्रिया को थामने के लिए वैश्विक स्तर पर प्रयास जारी हैं। लेकिन भारत ने खुद को जलवायु परिवर्तन से आने वाली प्राकृतिक आपदाओं का सामना करने में खुद को सक्षम बना लिया है। उसने एक ऐसी विश्वसनीय आपदा प्रबंधन प्रणाली विकसित कर ली है, जिसकी मिसाल दुनिया में दी जाने लगी है।