अवधेश कुमार का ब्लॉग: भारत-रूस संबंधों के नए अध्याय की शुरुआत

By अवधेश कुमार | Published: September 7, 2019 09:17 AM2019-09-07T09:17:49+5:302019-09-07T09:17:49+5:30

2014 से लेकर अब तक मोदी चार बार रूस की यात्ना कर चुके हैं, लेकिन इस यात्ना का महत्व सबसे अलग था. मोदी इस यात्ना में पूरी तैयारी से गए थे और रूस ने उसके समानांतर जवाबी तैयारी की थी.

India, Russia begin new era of cooperation Indo-Russian relations | अवधेश कुमार का ब्लॉग: भारत-रूस संबंधों के नए अध्याय की शुरुआत

अवधेश कुमार का ब्लॉग: भारत-रूस संबंधों के नए अध्याय की शुरुआत

रूस ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने पर जिस तरह खुलकर भारत का समर्थन किया उससे बड़ा प्रमाण संबंधों की गहराई का तत्काल कुछ नहीं हो सकता. सुरक्षा परिषद की बंद कमरे की मंत्नणा में रूस का मुखर तेवर भारत की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला साबित हुआ था. ऐसे समय प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी की दो दिवसीय रूस यात्ना का महत्व बढ़ जाता है. हालांकि पूरी यात्ना के परिणामों को देखते हुए यह कहना गलत होगा कि मोदी ने केवल कश्मीर पर रूस के समर्थन को भविष्य के लिए सुदृढ़ कर आश्वस्त हो जाने के लक्ष्य से यह यात्ना की थी. 

इस यात्ना के आयाम काफी व्यापक थे. सच कहा जाए तो इस यात्ना से दोनों देशों के संबंधों में ऐसे अध्यायों की शुरु आत हुई है जिनके बारे में शायद पहले विचार नहीं किया गया था. मूल रूप में यह भारत-रूस का 20 वां शिखर सम्मेलन था. रूस ने मोदी को अपने देश का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल से सम्मानित करने का ऐलान पहले से किया हुआ था. पुतिन ने ईस्टर्न इकोनॉमिक सम्मेलन में उन्हें विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया. यह रूस की नजर में प्रधानमंत्नी मोदी और भारत के बढ़ते कद का परिचायक है.

हालांकि 2014 से लेकर अब तक मोदी चार बार रूस की यात्ना कर चुके हैं, लेकिन इस यात्ना का महत्व सबसे अलग था. मोदी इस यात्ना में पूरी तैयारी से गए थे और रूस ने उसके समानांतर जवाबी तैयारी की थी. प्रधानमंत्नी के साथ फिक्की का 50 सदस्यीय बड़ा प्रतिनिधिमंडल था. इसका सीधा अर्थ था कि सरकारी स्तरों से परे निजी स्तर पर व्यापार एवं निवेश को प्रोत्साहित किया जाएगा. साझा पत्नकार वार्ता में मोदी ने कहा भी कि हमने सहयोग को सरकारी दायरे से बाहर लाकर उसमें लोगों और निजी उद्योग की असीम ऊर्जा को जोड़ा है. अपने रिश्तों को हम राजधानियों के बाहर भारत के राज्यों और रूस के अन्य क्षेत्नों तक ले जा  रहे हैं.

प्रधानमंत्नी मोदी रूस के सुदूर पूर्व क्षेत्न (फार ईस्ट रीजन) की यात्ना करने वाले देश के पहले प्रधानमंत्नी हैं. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने मोदी को अपने देश के सुदूर पूर्व हिस्सों में विकास कार्यो की जानकारी दी. प्रधानमंत्नी को कई मॉडल्स और प्रजेंटेशन के जरिये विभिन्न परियोजनाओं की जानकारी दी गई. दरअसल, रूस इस क्षेत्न का विकास चाहता है और उसमें वह भारतीय कंपनियों का ही नहीं, कुशल भारतीय कामगारों का भी स्वागत करने को तैयार बैठा है. भारत के लिए भी यह अवसर उस क्षेत्न में निवेश कर लाभ उठाने तथा अपने मानव श्रम तक के निर्यात करने का है. व्लादिवोस्तोक में खनिज और ऊर्जा के बड़े भंडार मौजूद हैं. यहां कम जनसंख्या की वजह से प्राकृतिक संसाधनों के खनन में भी परेशानी आती है. ऐसे में कृषि और खनन सेक्टर में भारत के लिए यह बड़ा मौका होगा. हमारे प्रशिक्षित लोग यहां काम कर दोनों देशों के विकास में योगदान दे सकते हैं.

भारत ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम का सदस्य नहीं है, लेकिन मोदी राष्ट्रपति पुतिन के विशेष आमंत्नण पर इसकी पांचवीं बैठक में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए. मोदी ने वहां बदलते हुए बेहतर भारत की तस्वीर पेश की जिसे दुनिया ने सुना. उसी मंच से उन्होंने रूस के सुदूर पूर्व में एक अरब डॉलर के निवेश का ऐलान कर संदेश दिया कि भारत पूरे क्षेत्न में प्रभावी उपस्थिति की ओर अग्रसर है. इस मंच से भारत को रूस के सुदूर पूर्व को विकसित करने के साथ एशिया-प्रशांत क्षेत्न में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने का अवसर मिलेगा. 

सम्मेलन में जापान के प्रधानमंत्नी शिंजो आबे, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, मलेशिया के प्रधानमंत्नी महातिर मोहम्मद और मंगोलिया के राष्ट्रपति खाल्तमागिन बत्तुलगा आदि भी शामिल थे. प्रधानमंत्नी ने कम समय में ही इन नेताओं से भी अलग-अलग बातचीत की. वैसे अमेरिका के विरोध के बावजूद भारत द्वारा रूस से एस 400 मिसाइल प्रणाली खरीदने पर दिखाई दृढ़ता एवं उसका अग्रिम भुगतान कर देने से भी रूस का झुकाव ज्यादा बढ़ा है. अमेरिका एवं पश्चिमी यूरोप ने रूस को प्रतिबंधित किया हुआ है, लेकिन भारत ने क्रीमिया और यूक्रेन पर रूस की नीति से असहमत होते हुए भी उसको बिल्कुल नजरअंदाज नहीं किया. इससे भारत और रूस के संबंधों में व्यापक बदलाव आ गया.

इस दौरे से साबित हो गया कि रूस की प्राथमिकता में भारत शामिल है. दोनों देशों की अनेक अंतर्राष्ट्रीय मामले पर एकजुटता का व्यापक असर होगा. अफगानिस्तान को लेकर भी दोनों नेताओं के स्वर एक ही थे. पाकिस्तान और चीन वहां भारत की भूमिका बिल्कुल नहीं चाहता. इस मायने में दोनों नेताओं की यह घोषणा बहुत महत्वपूर्ण है कि हम आतंकवाद से मुक्त एक शांतिपूर्ण, लोकतांत्रिक बाहरी हस्तक्षेप से परे अफगानिस्तान देखना चाहते हैं.
 

Web Title: India, Russia begin new era of cooperation Indo-Russian relations

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