किस दिशा में जाएंगे श्रम-सुधार?

By भरत झुनझुनवाला | Published: April 20, 2019 03:37 PM2019-04-20T15:37:47+5:302019-04-20T15:40:30+5:30

भारत के श्रमिक वर्ग के लिए इस समय एक बड़ा मुद्दा यह है कि बहुचर्चित श्रम-सुधार किस दिशा में जा रहे हैं. सुधार का सामान्य अर्थ पहले की स्थिति को बेहतर करना होता है

In what direction will labor reform? | किस दिशा में जाएंगे श्रम-सुधार?

किस दिशा में जाएंगे श्रम-सुधार?

भारत के श्रमिक वर्ग के लिए इस समय एक बड़ा मुद्दा यह है कि बहुचर्चित श्रम-सुधार किस दिशा में जा रहे हैं. सुधार का सामान्य अर्थ पहले की स्थिति को बेहतर करना होता है, पर अनेक मजदूरों व मजदूर संगठनांे की चिंता यह है कि कहीं तथाकथित सुधारों के नाम पर मजदूरों की हकदारी को पहले से और कमजोर न कर दिया जाए.      

इन श्रम-सुधारों का एक मुख्य रूप यह रहा है कि मजदूरों से जुड़े 44 केंद्रीय कानूनों को चार श्रम कोडों में एकत्र किया जा रहा है. इसका उद्देश्य यह बताया जाता है कि इस तरह बहुत बिखरे हुए कानून सरलीकृत, स्पष्ट व सुगठित हो सकेंगे. लेकिन जिस तरह से यह कार्य किया जा रहा है, उससे यह संकट उत्पन्न होता है कि कहीं इस बहाने मजदूरों के कई वर्षो के संघर्ष से प्राप्त किए गए अनेक अधिकारों को पहले से और कमजोर न कर दिया जाए. हालांकि नए श्रम कोड अभी प्रारूप की स्थिति में हैं, कानून नहीं बने हैं पर इस चिंता के संदर्भ में इन पर चर्चा होती रही है.

हाल ही में इस विषय पर एक विस्तृत अध्ययन श्रमिक मामलों के विशेषज्ञ वैभव राज ने किया है. इस अध्ययन में भी ऐसे अनेक संदर्भ आए हैं जिनसे मजदूरों की हकदारी कम होने की चिंता ने जोर पकड़ा है. औद्योगिक संबंधों पर श्रम कोड के बारे में इस अध्ययन ने बताया है कि इसमें अनेक प्रावधान ऐसे हैं जिनसे श्रमिक संगठनों या ट्रेड यूनियनों की स्थिति पहले से कमजोर होती है व उन पर बड़े जुर्माने लग सकते हैं. उनके रजिस्ट्रेशन के समाप्त होने की संभावना भी पहले से बढ़ सकती है.

उन्हें श्रम संबंधी मामले उठाने के लिए कानून में जो अपेक्षाकृत सुरक्षित स्थिति मिली हुई है, वह बहुत कम हो सकती है. उनके द्वारा अपने हकों के लिए हड़ताल या तालाबंदी की कार्रवाई करने की संभावना भी पहले की अपेक्षा बहुत कम हो सकती है. ऐसा प्रयास भी हो रहा है कि 40 मजदूरों से कम के रोजगार वाली फैक्ट्री या छोटी फैक्ट्री को अनेक श्रम कानूनों के दायरे से बाहर ही कर दिया जाए.

दूसरा कोड मजदूरी पर तैयार हो रहा है. इसमें कुछ प्रावधान ऐसे हैं जिससे न्यूनतम मजदूरी में समुचित व न्यायसंगत वृद्धि की राह में बाधा आ सकती है. इसे तय करने में सरकारों के अधिकार बढ़ा दिए गए हैं. 

Web Title: In what direction will labor reform?

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