ब्लॉग: नैतिकता के अभाव में समाज को खोखला करता जा रहा है भ्रष्टाचार

By गिरीश्वर मिश्र | Published: September 15, 2022 12:25 PM2022-09-15T12:25:07+5:302022-09-15T12:25:51+5:30

भ्रष्टाचार आज के दौर में घर, परिवार, निजी और सरकारी संस्थाओं में हर कहीं फैलता जा रहा है और इसका परिणाम जन, जीवन और धन की हानि के रूप में दिख भी रहा है.

In absence of morality, corruption is making our Indian society hollow | ब्लॉग: नैतिकता के अभाव में समाज को खोखला करता जा रहा है भ्रष्टाचार

समाज को खोखला करता जा रहा है भ्रष्टाचार


टीवी पर नोएडा में सुपरटेक के बहुमंजिले ट्विन टावरों के गिराने और उससे उड़ते धूल-धुआं के भयावह दृश्य दिखाने के कुछ समय बाद उसके निर्माता का बयान आ रहा था कि उन्होंने सब कुछ बाकायदा यानी नियम कानून से किया था और हर कदम पर जरूरी अनुमति भी ली थी. करीब 800 करोड़ रुपयों की लागत की यह संपत्ति थी जिसे सिर्फ 10 सेकंड में जमींदोज कर दिया गया. 

वहां आसपास रहने वाले राहत की सांस ले रहे हैं कि सालों से ठहरी धूप और हवा उन तक पहुंच सकेगी. निश्चय ही यह एक काबिलेगौर घटना है जो भ्रष्टाचार होने और उस पर लगाम लगाने, इन दोनों ही पक्षों पर रोशनी डालती है. खबरों में यह भी बताया गया कि सालों से चलते इस पूरे मामले में काफी बड़ी संख्या में अधिकारी संलिप्त रहे थे पर तीन के निलंबन के सिवा शेष पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. 

उत्तर प्रदेश के मंत्री का बयान था कि जांच के अनुसार उचित कार्रवाई की जाएगी. कुल मिला कर यह पूरा घटनाचक्र भारत में भ्रष्टाचार की व्यापक उपस्थिति के ऊपर बहुत कुछ कहता है.

देश में भ्रष्टाचार-निरोधी उपाय कमजोर और समय-साध्य होने के कारण इतने लचर हैं कि उनका ज्यादा असर नहीं पड़ता. इसी साल पंद्रह अगस्त के दिन लाल किले से बोलते हुए प्रधानमंत्री ने भ्रष्टाचार की समस्या की विकरालता की ओर देशवासियों का ध्यान दिलाया था. यह दु:खद है कि आज प्रतिदिन के समाचारों में किस्म -किस्म के भ्रष्टाचारों की घटनाओं की ही संख्या सर्वाधिक होती है. 

अब भ्रष्टाचार घर, परिवार, निजी और सरकारी संस्थाओं में हर कहीं फैलता जा रहा है और इसका परिणाम जन, जीवन और धन की हानि के रूप में दिख रहा है. इससे सामाजिक जीवन विषाक्त और खोखला होता जा रहा है. आर्थिक लोभ के चलते अधिकाधिक कमाई करने के लिए नीचे से लेकर ऊपर तक लोग भरोसे, विश्वास और जिम्मेदारी को दांव पर लगा रहे हैं. 

पश्चिम बंगाल और झारखंड में जिस तरह शासन के उच्च स्तर पर गहन भ्रष्टाचार के तथ्य निकल कर सामने आए हैं वह आम आदमी के भरोसे को तोड़ने वाला है. आर्थिक अपराध करने वाले बैंकों के साथ किस तरह हजारों करोड़ की धोखाधड़ी  कर विदेश भागते रहे हैं यह बात कहीं न कहीं व्यवस्था में कमियों की ओर ध्यान आकृष्ट करती है.

आज चारों ओर धर्म का लोप हो रहा है और उसके दुष्परिणाम भी भ्रष्टाचार के रूप में दिख रहे हैं. धर्म से हीन व्यक्ति को पशु कहा गया है. भौतिक साधन और सुविधा अंतत: सीमित होती है. सीमाओं के अतिक्रमण की इच्छा करते हुए लोभ की चकाचौंध विनाशकारी है. आचार अर्थात् परस्पर उचित व्यवहार करना ही श्रेयस्कर है. धर्म में ही निजी कल्याण और लोक हित संभव है.

Web Title: In absence of morality, corruption is making our Indian society hollow

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