चेतावनियों को नजरंदाज करने से आई तबाही

By पंकज चतुर्वेदी | Updated: July 3, 2025 07:29 IST2025-07-03T07:27:51+5:302025-07-03T07:29:07+5:30

जलभूवैज्ञानिक है जिसमें देखा गया कि झीलों और भूजल स्रोतों में जल स्तर कम हो रहा है.

Ignoring the warnings resulted in disaster | चेतावनियों को नजरंदाज करने से आई तबाही

चेतावनियों को नजरंदाज करने से आई तबाही

सुंदर, शांत, सुरम्य हिमाचल प्रदेश में इन दिनों मौत का सन्नाटा है. छोटे से राज्य का बड़ा हिस्सा अचानक आई तेज बरसात और जमीन खिसकने से कब्रिस्तान बना हुआ है तो जहां आपदा आई नहीं वहां के लोग भी आशंका में जी रहे हैं.

इसी साल 14-15 फरवरी को आईआईटी बॉम्बे में सम्पन्न दूसरे इंडियन क्रायोस्फीयर मीट (आईसीएम) में आईआईटी रोपड़ के वैज्ञानिकों ने एक शोध पत्र प्रस्तुत कर बताया था कि हिमाचल प्रदेश का 45% से ज्यादा हिस्सा बाढ़, भूस्खलन और हिमस्खलन जैसी आपदाओं से ग्रस्त है. 5.9 डिग्री और 16.4 डिग्री के बीच औसत ढलान वाले और 1,600 मीटर तक की ऊंचाई वाले क्षेत्र विशेष रूप से भूस्खलन और बाढ़ दोनों के लिए प्रवण हैं.

इस मीटिंग में दुनिया भर के लगभग 80 ग्लेशियोलॉजिस्ट, शोधकर्ता और वैज्ञानिक शामिल हुए. इतनी स्पष्ट चेतावनी के बावजूद भी न समाज चेता, न ही सरकार.

नेशनल रिमोट सेंसिंग एजेंसी, इसरो द्वारा तैयार देश के भूस्खलन नक्शे में हिमाचल प्रदेश के सभी 12 जिलों को  बेहद संवेदनशील की श्रेणी में रखा गया है. देश के कुल 147 ऐसे जिलों में संवेदनशीलता की दृष्टि से मंडी को 16 वें स्थान पर रखा गया है.

यह आंकड़ा और चेतावनी फाइल में सिसकती रही और इस बार मंडी में तबाही का भयावह मंजर सामने आ गया.  यह बात कई शोध पत्र  कह  चुके हैं कि हिमाचल प्रदेश में अंधाधुंध जल विद्युत परियोजनाओं से चार किस्म की दिक्कतें आ रही हैं.

पहला इसका भूवैज्ञानिक प्रभाव है, जिसके तहत भूस्खलन, तेजी से मिट्टी का ढहना शामिल है.  यह सड़कों, खेतों, घरों को क्षति पहुंचाता है. दूसरा प्रभाव जलभूवैज्ञानिक है जिसमें देखा गया कि झीलों और भूजल स्रोतों में जल स्तर कम हो रहा है.

तीसरा नुकसान है - बिजली परियोजनाओं में नदियों के किनारों पर खुदाई और बह कर आए मलबे के जमा होने से वनों और चरागाहों में जलभराव बढ़ रहा है. ऐसी परियोजनाओं का चौथा खतरा है, सुरक्षा में कोताही के चलते हादसों की संभावना.

यह सच है कि विकास का पहिया बगैर अच्छी सड़कों और ऊर्जा के घूम नहीं सकता लेकिन इसके लिए ऐसी परियोजनाओं से बचा जाना चाहिए जो कुदरत की अनमोल देन हिमालय पहाड़ के मूल स्वरूप के लिए खतरा हों.

Web Title: Ignoring the warnings resulted in disaster

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