ब्लॉग: हिंदुस्तान को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए 'हिंदी' का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने का संकल्प लें
By विवेकानंद शांडिल | Published: September 14, 2021 12:05 PM2021-09-14T12:05:43+5:302021-09-14T12:05:43+5:30
हिंदी को भारत माँ की बिंदी के रूप में परिभाषित किया जाता है। हिंदी भाषा न सिर्फ हिंदुस्तान की पहचान है बल्कि यह हमारे जीवन मूल्यों, संस्कृति और संस्कारों की सच्ची संवाहक है। हिंदी के बिना हिंदुस्तान की कल्पना ही नहीं की जा सकती।
यह दुनिया की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। जो हमारे पारंपरिक ज्ञान, प्राचीन सभ्यता और आधुनिक प्रगति के बीच एक सेतु की तरह है। हिंदी भारत संघ की राजभाषा होने के साथ ही ग्यारह राज्यों और तीन संघ शासित क्षेत्रों की भी प्रमुख राजभाषा है। संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल अन्य इक्कीस भाषाओं के साथ हिंदी का एक विशेष स्थान है।
'हिंदी' पर हावी होती अंग्रेज़ी!
आधुनिकता और आर्थिक विकास के दौर में हिंदुस्तान में हिंदी पर अंग्रेजी हावी होती नजर आती है। राजभाषा हिंदी होने के बावजूद हर जगह अंग्रेजी का बोलबाला दिखता है। आलम ये है कि जो बेहतर हिंदी बोल सकते हैं या बोलना जानते हैं वो भी हिंदी बोलने से संकोच करने लगे हैं।
हालांकि अब माहौल बदल रहा है। बीते कुछ सालों में केंद्र सरकार ने हिंदी के विकास को लेकर प्रयासरत दिखी है। केंद्र सरकार के अधीन कार्यालयों में मोदी सरकार के आने के बाद संवाद की भाषा अधिक से अधिक हिंदी में किया गया है। मंत्रालयों/विभागों व सरकारी दफ्तरों के काम हिंदी में होने से जनहित से जुड़ी सूचना समझना गरीब, दलित व पिछड़े वर्ग को आसान हुआ है।
नई शिक्षा नीति 2020 हिंदी के उत्थान की संजीवनी!
नई शिक्षा नीति ने पढ़ाई में आने वाली भाषा की बाधाओं को दूर कर दिया है। हिंदी में इंजीनियरिंग, मेडिकल आदि प्रोफेशनल कोर्सेस की पढ़ाई की शुरुआत हो चुकी है।
ज़ाहिर है इससे भाषा की आड़ में छुपी प्रतिभाएं बाहर आएगी, हिंदी बोलने में जो संकोच आज कल के युवाओं में होता है वो संभवतः दूर होगी और छोटे शहरों - गांव - कस्बों में रहने वाले छात्र भी अपनी प्रतिभानुसार अपने सपने को जीने में सफल हो पाएंगे। जिनके लिए भाषा उनके लक्ष्य के बीच बाधा बन जाती थी।
दुनियाभर में सुनाई दे रही 'हिंदी' की गूंज!
हिंदी को संघ की राजभाषा के रूप में 14 सितंबर, 1949 को स्वीकार किया था। हिंदी के प्रचार - प्रसार के लिए साल 1953 के उपरांत हर साल 14 सितंबर को हिन्दी दिवस मनाया जाता है। दुनियाभर के देशों में भारतीय रहते हैं। वैश्विक स्तर पर भी हिन्दी ने एक अलग पहचान बनाई है। यूनेस्को की सात भाषाओं में हिंदी को भी मान्यता दी गई है। आज संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्थाओं में भी हिंदी की गूंज सुनाई देने लगी है।
एकता की भाषा है हिंदी!
हिंदी को लेकर गुरूदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर ने कहा था कि भारत की भाषायें नदियां हैं और हिंदी महानदी है। हिंदी आम आदमी की भाषा है, एकता की भाषा है। हिंदी जन आंदोलन की भी भाषा रही है। विश्व भर में 175 से अधिक विश्वविद्यालयों में हिन्दी भाषा पढ़ाई जा रही है। ज्ञान-विज्ञान की पुस्तकें बड़े पैमाने पर हिंदी में लिखी जा रही है। सोशल मीडिया और संचार माध्यमों में हिंदी का प्रयोग निरंतर बढ़ रहा है।
देश की प्रगति के लिए हिंदी का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने का संकल्प लें!
भाषा का विकास उसके साहित्य पर निर्भर करता है। भाषा वही जीवित रहती है जिसका प्रयोग जनता करती है। भारत में लोगों के बीच संवाद का सबसे बेहतर माध्यम हिंदी है। इसलिए इसको एक-दूसरे में प्रचारित करना चाहिये। देश की प्रगति को अगर सुदृढ़ करना है तो आइये हम सभी भारतवासी हिंदी का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने संकल्प लें।