वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः एक्जिट पोल के निष्कर्ष
By वेद प्रताप वैदिक | Published: October 23, 2019 07:19 AM2019-10-23T07:19:43+5:302019-10-23T07:19:43+5:30
भाजपा के नेताओं को यह अच्छी तरह समझ लेना चाहिए कि वे बिना ब्रेक की गाड़ी चला रहे हैं. उन्हें वह काफी सोच-समझकर चलानी होगी. सिर्फ भोंपू बजाते रहने से काम नहीं चलेगा. भोंपू की आवाज से जनता आकर्षित होगी लेकिन बिना ब्रेक की गाड़ी किसी दिन किसी खंभे से टकरा सकती है. भगवान करे, ऐसा न हो.
हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनावों के जो एक्जिट पोल आए हैं, वे क्या बता रहे हैं? दोनों राज्यों में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो सकता है. विरोधी दल बुरी तरह से पटकनी खा रहे हैं. हरियाणा की 90 सीटों में से भाजपा को 70 के आसपास और महाराष्ट्र की 288 सीटों में से भाजपा-शिवसेना गठबंधन को 200 से 244 तक सीटें मिलने की संभावना बताई जा रही है. यदि ये भविष्यवाणियां कमोबेश सिद्ध हो गईं तो मानना पड़ेगा कि भाजपा को दोनों प्रांतों में अपूर्व सफलता मिल रही है.
ऐसा क्यों है? इसके बावजूद भी क्यों है कि लाखों लोग बेरोजगार होते जा रहे हैं, व्यापार-धंधे चौपट होते जा रहे हैं, बैंक दिवालिया हो रहे हैं, विदेश व्यापार का घाटा बढ़ रहा है, सरकार चार्वाक नीति पर चल रही है यानी कर्ज ले रही है और घी पी रही है. नोटबंदी व जीएसटी ने अर्थव्यवस्था को पंगु कर दिया है?
इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि भारत में विपक्ष को लकवा मार गया है. जनता के दुख-दर्दो को जोरदार ढंग से उठाने की बजाय वह सरकार और भाजपा की निंदा ऐसे मुद्दों पर करता है, जो उसे टाटपट्टी पर बिठा देते हैं. ये मुद्दे हैं भावकुता से भरे हुए. वह चाहे बालाकोट का हो, कश्मीर के पूर्ण विलय का हो, सावरकर का हो या सर्जिकल स्ट्राइक का हो. हर विरोधी नेता डरा हुआ है कि उसका हाल कहीं चिदंबरम जैसा न हो जाए.
जनता के मन का हाल क्या है? वह मजबूर है. उसके सामने कोई विकल्प नहीं है. उसका उत्साह ठंडा पड़ता जा रहा है. इसका प्रमाण है- दोनों राज्यों में हुए मतदान का गिरता हुआ प्रतिशत! विरोधी दलों का हाल जो भी हो, इस माहौल में भाजपा की जिम्मेदारी बहुत ज्यादा बढ़ जाती है.
भाजपा के नेताओं को यह अच्छी तरह समझ लेना चाहिए कि वे बिना ब्रेक की गाड़ी चला रहे हैं. उन्हें वह काफी सोच-समझकर चलानी होगी. सिर्फ भोंपू बजाते रहने से काम नहीं चलेगा. भोंपू की आवाज से जनता आकर्षित होगी लेकिन बिना ब्रेक की गाड़ी किसी दिन किसी खंभे से टकरा सकती है. भगवान करे, ऐसा न हो.