हरीश गुप्ता का ब्लॉग: देवेंद्र फड़नवीस- संजय राऊत का रहस्यमय मिशन
By हरीश गुप्ता | Published: October 1, 2020 01:34 PM2020-10-01T13:34:24+5:302020-10-01T13:52:07+5:30
मिलनसार सरोज पांडे के जाने के बाद कोई महासचिव महाराष्ट्र का प्रभारी नहीं है. क्या महाराष्ट्र में भाजपा फिर से अवसर नहीं देख रही है? पार्टी जल्दबाजी में नहीं है और उसे लगता है कि मौजूदा उद्धव ठाकरे सरकार अंतर्विरोधों के कारण गिर जाएगी.
देवेंद्र फड़नवीस और संजय राऊत के बीच 150 मिनट की बंद दरवाजे की बातचीत के झटके का असर घटना के कई दिनों बाद तक बना रहा और यहां तक कि दिल्ली में भी महसूस किया गया. भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने सोची-समझी चुप्पी साध रखी है और सिर्फ इतना कहा है कि फड़नवीस को बिहार चुनाव की देखरेख का जिम्मा सौंपा गया है.
मिलनसार सरोज पांडे के जाने के बाद कोई महासचिव महाराष्ट्र का प्रभारी नहीं है. क्या महाराष्ट्र में भाजपा फिर से अवसर नहीं देख रही है? पार्टी जल्दबाजी में नहीं है और उसे लगता है कि मौजूदा सरकार अंतर्विरोधों के कारण गिर जाएगी.
फिर पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस के साथ संजय राऊत की 150 मिनट की बंद दरवाजे की बैठक क्यों? किसी को भी यह बात हजम नहीं हो रही है शिवसेना के मुखपत्र सामना के लिए फड़नवीस के साक्षात्कार के तौर-तरीकों पर चर्चा के लिए यह बैठक थी.
फड़नवीस के बयान पर भी किसी को विश्वास नहीं हो रहा है जिसमें उन्होंने कहा कि ‘राजनीति पर चर्चा नहीं की गई थी.’ हालांकि शरद पवार महाराष्ट्र में सत्ता का फल चख रहे हैं और उद्धव भी फसल की कटाई कर रहे हैं. क्या उन्होंने संजय राऊत को एक गुप्त मिशन पर अपने दूत के रूप में भेजा था? क्या ऐसा नहीं लगता है!
क्या राऊत एकल खेल रहे हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि संजय राऊत इन दिनों केवल अपनी ही सुनते हैं.
अमित शाह-जगन की असफल मुलाकात
यदि फड़नवीस -राऊत बैठक रहस्य में डूबी हुई है, तो भारत के दूसरे सबसे शक्तिशाली व्यक्ति अमित शाह और आंध्र के सीएम जगनमोहन रेड्डी के बीच एक अनौपचारिक बैठक फुस्स साबित होकर रह गई.
जगन पोलावरम परियोजना के लिए धन, जीएसटी मुआवजा और अन्य मदद चाहते थे. लेकिन अमित शाह चिंतित थे कि शिवसेना और अकाली दल के बाहर निकलने के बाद एनडीए कमजोर हुआ है.
अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि अमित शाह ने जगन के विचार जानने चाहे कि क्या उनकी पार्टी, वाईएसआर कांग्रेस एनडीए में शामिल हो सकती है. अमित शाह ने जगन को बताया कि टीडीपी नेता चंद्रबाबू नायडू भी एनडीए में फिर से शामिल होने के इच्छुक हैं. लेकिन भाजपा वाईएसआर कांग्रेस के साथ एक नई पारी शुरू करना चाहती है.
पता चला है कि जगन ने अपनी पार्टी के मजबूत ईसाई-मुस्लिम-रेड्डी वोट बैंक के कारण एनडीए में शामिल होने के प्रति अनिच्छा व्यक्त की. लेकिन वे जहां भी जरूरत हो एनडीए को समर्थन देने को तैयार हो गए. अमित शाह प्रभावित नहीं हुए और बैठक विफलता की भेंट चढ़ गई.
दक्षिण से भाजपा का नया मोदी!
क्या आपने बी. एल. संतोष के बारे में सुना है? वह भाजपा के क्षितिज पर उभरते व्यक्तित्व हैं. सत्तारूढ़ पार्टी में कई लोगों का कहना है कि वे दक्षिण के नरेंद्र मोदी हैं, हालांकि पीएम की तरह करिश्माई नहीं हैं.
यदि मोदी गुजरात में भाजपा को सत्ता में लाए तो संतोष 2008 में कर्नाटक में भगवा पार्टी को सत्ता में लाए. यदि मोदी ने केशुभाई पटेल को सीएम के रूप में स्थापित किया तो संतोष ने बी. एस. येदियुरप्पा को सीएम के रूप में स्थापित किया.
संतोष ने तब से कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और 11 साल बाद संगठन के भाजपा महासचिव प्रभारी के रूप में पदोन्नत हुए. एक केमिकल इंजीनियर, तकनीक प्रेमी और खुले दिमाग व नए विचारों वाले व्यक्ति हैं.
उन्होंने शाहरुख खान की ‘चक दे इंडिया’ को दस बार देखा, यह समझने के लिए कि दृश्य माध्यम से पार्टी कार्यकर्ताओं में देशभक्ति की भावना कैसे जगाई जा सकती है. वह स्वर्गीय सुंदर सिंह भंडारी के दिनों की याद दिलाते हैं जिन्होंने अटल-आडवाणी-नानाजी देशमुख के साथ पार्टी का निर्माण किया था.
हाल ही में भाजपा में आमूल परिवर्तन का श्रेय मोदी-शाह-नड्डा त्रिमूर्ति को जाता है. लेकिन इस पूरी कसरत, जिसमें चार शक्तिशाली महासचिवों और सात उपाध्यक्षों को हटाया गया, के पीछे बी. एल. संतोष थे.
संतोष ने आरएसएस और पार्टी आलाकमान को विश्वास दिलाया कि अगर भाजपा पांच प्रमुख दक्षिण भारतीय राज्यों, उत्तर-पूर्व और पश्चिम बंगाल में बढ़त हासिल करना चाहती है तो 2024 के लिए नए जोश की आवश्यकता है.
बढ़ती दाढ़ी का राज
पीएम मोदी इन दिनों अपनी दाढ़ी क्यों बढ़ा रहे हैं? हर कोई इसके बारे में बात कर रहा है लेकिन किसी के पास इसका जवाब नहीं है. एक व्याख्या यह है कि पीएम कोविड के कारण किसी को भी अपने निकट नहीं आने देना चाहते हैं.
उनकी दाढ़ी को ट्रिम करने वाला हेयर ड्रेसर संक्रमण का कारण बन सकता है. इसलिए, सभी के साथ एक दूरी बनाकर रखी जाती है, जिसमें उनके आधिकारिक निवास पर सेवा करने वाले लोग भी शामिल हैं.
कुछ ऐसे भी लोग हैं जिन्हें लगता है कि यह कोरोना वायरस से लड़ाई में ‘दैवीय’ मदद मांगने के लिए है.