हरीश गुप्ता का ब्लॉगः चर्चित हो रहा केजरीवाल का ‘दिल्ली मॉडल’!

By हरीश गुप्ता | Published: October 8, 2021 10:37 AM2021-10-08T10:37:46+5:302021-10-08T10:37:53+5:30

अगर मोदी के व्यक्तित्व ने लोगों को मंत्रमुग्ध करना जारी रखा और उन्हें दो बार भारी जनादेश मिला, तो केजरीवाल ने भी दिल्ली में लगातार दो विधानसभा चुनावों 2015 और 2020 में मोदी-अमित शाह की जोड़ी को हराया।

harish gupta blog kejriwal delhi model becoming popular | हरीश गुप्ता का ब्लॉगः चर्चित हो रहा केजरीवाल का ‘दिल्ली मॉडल’!

हरीश गुप्ता का ब्लॉगः चर्चित हो रहा केजरीवाल का ‘दिल्ली मॉडल’!

अगर मोदी का ‘गुजरात मॉडल’ जनता को पसंद आया और 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को प्रचंड जीत मिली, तो अरविंद केजरीवाल का ‘दिल्ली मॉडल’ भी चुपचाप माहौल बना रहा है। अगर मोदी के व्यक्तित्व ने लोगों को मंत्रमुग्ध करना जारी रखा और उन्हें दो बार भारी जनादेश मिला, तो केजरीवाल ने भी दिल्ली में लगातार दो विधानसभा चुनावों 2015 और 2020 में मोदी-अमित शाह की जोड़ी को हराया। अगर देश ने 2014 से मोदी की लहर देखी है, तो केजरीवाल भी 2015 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का सफाया करते हुए और भाजपा को बहुत भारी अंतर से हराते हुए जीत हासिल करने में सफल रहे। लेकिन 2020 में उनका अपनी जीत को दोहराना अभूतपूर्व था। यह केजरीवाल ही थे जिन्होंने राज्य दर राज्य भाजपा की जीत पर विराम लगाया।

संयोग से, नीतीश कुमार ने भी 2017 में बिहार में भाजपा के ‘अश्वमेध यज्ञ’ को रोका था। लेकिन वह राजद के लालू प्रसाद यादव की मदद से ही ऐसा करने में सफल हो सके थे। यह भी विडंबना ही है कि मोदी-अमित शाह की जोड़ी और दिवंगत अरुण जेटली ने नीतीश कुमार को अपने पक्ष में करके सुनिश्चित किया कि उत्तर भारत में मोदी को चुनौती देने लिए कोई राजनीतिक ताकत न बचे। 2014 के बाद से कांग्रेस कई कारणों से आगे नहीं बढ़ सकी है। यहां तक कि महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार भी मोदी के लिए सिरदर्द नहीं बन पाई है। पश्चिम बंगाल में भारी जीत के बावजूद ममता बनर्जी की फिलहाल अभी तक तो पूरे देश में अपील सीमित ही है। इसलिए इस संदर्भ में केजरीवाल का उभरना भाजपा के लिए चिंता का विषय है। हालांकि भाजपा नेतृत्व ने उन्हें एक छोटे केंद्र शासित प्रदेश का नेता मानकर खारिज किया है, लेकिन वे अंदर से जानते हैं कि केजरीवाल के ‘दिल्ली मॉडल’ ने कई राज्यों विशेष रूप से पंजाब, उत्तराखंड और गोवा में बड़ी हलचल पैदा की है, जहां फरवरी-मार्च 2022 में चुनाव होने जा रहे हैं। यहां यह याद रखना चाहिए कि आईआईटी ग्रेजुएट केजरीवाल 2014 से ही राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाएं पाल रहे हैं, जब उनकी पार्टी ने 450 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था। भाजपा दिल्ली के बाहर केजरीवाल के उभार को रोकने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है क्योंकि वह दिल्ली में मोदी के लिए एकमात्र वास्तविक खतरा बने हुए हैं।

कैप्टन-भाजपा के बीच 2017 का गुप्त समझौता

पंजाब में भाजपा के लिए बड़े पैमाने पर आंतरिक सव्रेक्षण करने वालों और चुनाव विश्लेषकों का मानना है कांग्रेस शासित इस राज्य में आम आदमी पार्टी अपने दोनों प्रतिद्वंद्वियों से आगे है और उसका मुख्य मुकाबला अकाली दल से है। वास्तव में, आप 2017 के विधानसभा चुनावों में भी सरकार बनाने के करीब थी क्योंकि अकाली दल-भाजपा गठबंधन भारी सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रहा था और कांग्रेस आम आदमी पार्टी से कुछ हद तक पीछे चल रही थी। यह केजरीवाल के कमाल से ही संभव हो पाया था। मैं एक ऐसी गुप्त बैठक के बारे में जानता हूं जो प्रतिद्वंद्वी दलों ने आयोजित की थी। इसमें अकाली दल-भाजपा गठबंधन ने कुछ चुनिंदा निर्वाचन क्षेत्रों में कांग्रेस को जिताने का फैसला किया था। अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि दिवंगत अरुण जेटली भी पंजाब प्रभारी के रूप में इस डील में शामिल थे। यह विडंबना ही है कि जेटली को कैप्टन को समर्थन देना पड़ा, जिन्होंने तीन साल पहले अमृतसर लोकसभा चुनाव में उन्हें शिकस्त दी थी। 2017 के विधानसभा चुनावों में 117 में से केवल तीन सीटें हासिल कर भाजपा ऐतिहासिक निचले स्तर पर आ गई थी। योजना सफल हुई और आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका लगा क्योंकि अरविंद केजरीवाल ने अंत तक अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा नहीं की और अन्य ने गंभीर रणनीतिक त्रुटियां कीं। आम आदमी पार्टी को प्रमुख सीमावर्ती राज्य में शांति के लिए खतरा बताते हुए राष्ट्र विरोधी ताकतों के पक्षधर के रूप में प्रचारित किया गया था। कैप्टन पूर्व फौजी भी थे। इसलिए, कैप्टन के लिए 2017 का भाजपा का कर्ज चुकाने का समय आ गया है। देखते हैं कि कैप्टन का अगला कदम क्या होता है।

दिल्ली मॉडल क्या है?

यह एकाधिक बार साबित हुआ है कि लोकसभा चुनाव के दौरान ‘मोदी मॉडल’ बिकता है। लेकिन केजरीवाल के ‘दिल्ली मॉडल’ का पंजाब, गोवा और उत्तराखंड के तीन राज्यों में गुप्त प्रभाव है। दिल्ली एक महानगर है और देश भर से लोग यहां नौकरी की तलाश में, व्यापार और यात्र के लिए आते हैं। वे केजरीवाल के काम के उदाहरण को अपने साथ लेकर जाते हैं कि कैसे उन्होंने आम आदमी के जीवन में बदलाव लाया है। पिछले कई सालों से केजरीवाल राजनीति के बारे में बातें कम कर रहे हैं और नागरिकों को एक के बाद एक सुविधाएं देने पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। ऐसा वे केंद्रीय एजेंसियों, पुलिस, भाजपा और उपराज्यपाल द्वारा पैदा की जाने वाली सभी रुकावटों के बावजूद कर रहे हैं। सभी को मुफ्त पानी, बिजली और शिक्षा के अलावा केजरीवाल के ‘मोहल्ला क्लीनिक’ और डोर-स्टेप डिलीवरी जैसे कदम चर्चा हैं। इन तीनों राज्यों के मतदाता कांग्रेस और भाजपा तथा उसके सहयोगियों से तंग आ चुके हैं और एक नया चेहरा चाहते हैं। देखना होगा कि मार्च 2022 तक ऊंट किस करवट बैठता है।

Web Title: harish gupta blog kejriwal delhi model becoming popular

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे