ब्लॉग: फड़नवीस की शरद पवार से और उद्धव ठाकरे की पीएम मोदी से मुलाकात! क्या है पूरी इनसाइड स्टोरी?

By हरीश गुप्ता | Published: June 17, 2021 10:26 AM2021-06-17T10:26:55+5:302021-06-17T10:26:55+5:30

दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उद्धव ठाकरे के बीच निजी मुलाकात में क्या बातें हुईं, इसे लेकर जानकारी सामने नहीं आई है. हालांकि उद्धव ठाकरे ने दिखा दिया है कि वे पूरी तरह से परिपक्व हो चुके हैं.

Harish Gupta Blog: BJP Need booster dose for Maharashtra | ब्लॉग: फड़नवीस की शरद पवार से और उद्धव ठाकरे की पीएम मोदी से मुलाकात! क्या है पूरी इनसाइड स्टोरी?

महाराष्ट्र की राजनीति में भाजपा को 'बूस्टर डोज' की तलाश (फोटो-एएनआई)

पश्चिम बंगाल में हार के बाद भाजपा नेतृत्व ‘बूस्टर डोज’ के लिए बेताब हो रहा है. अपने खिलाफ जाने वाली लहर को पलटने के लिए, सरकार ने अपनी टीकाकरण नीति पर यू-टर्न लिया. प्रधानमंत्री ने खुद स्कूलों के लिए बोर्ड परीक्षा रद्द करने की घोषणा की और मुफ्त भोजन योजना को अगली दिवाली तक बढ़ा दिया. 

यह एक बहुत बड़ा बूस्टर था लेकिन पार्टी पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले एक राजनीतिक डोज की तलाश में है. इस मिशन के ही हिस्से के अंतर्गत महाराष्ट्र को पुन: हासिल करने के लिए विभिन्न स्तरों पर नई पहल शुरू हुई. पहली पहल महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने की, जो राकांपा प्रमुख शरद पवार से मिले. 

बैठक को सौहाद्र्रपूर्ण बताया गया और इस बात पर जोर दिया गया कि कोई भी राजनीतिक चर्चा नहीं हुई. लेकिन राजनीति में समय मायने रखता है. पवार की सर्जरी मार्च में हुई थी और मई की शुरुआत में पश्चिम बंगाल में भाजपा की हार के बाद फड़नवीस उनसे 31 मई को मिले. दोनों के बीच क्या हुआ, यह रहस्य में डूबा हुआ है. 

अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि मिशन का उद्देश्य पवार को फिर से राजग में शामिल होने पर विचार करने के लिए राजी करना था, जबकि पहला प्रयास दो साल पहले विफल हो गया था. फिर आई ठाकरे की चौंकाने की बारी. उन्होंने महाराष्ट्र के राजनेताओं को दिखा दिया कि वे पूरी तरह से परिपक्व हो चुके हैं. 

दिल्ली में प्रधानमंत्री के आवास पर प्रधानमंत्री और उद्धव ठाकरे के बीच हुई निजी मुलाकात में क्या हुआ, इसकी जानकारी किसी को नहीं है. लेकिन एक बात स्पष्ट रूप से सामने आई कि उद्धव ठाकरे इस पद का आनंद ले रहे हैं और किसी भी शर्त पर इसे त्यागने को तैयार नहीं हैं. 

अगर राकांपा के पास भाजपा के साथ जाने का विकल्प है तो आरएसएस शिवसेना को साथ लेना चाहता है. महाराष्ट्र के तीन दलों के अप्राकृतिक गठबंधन पर अंतिम अध्याय लिखा जाना अभी बाकी है.

शाह का यूपी बूस्टर डोज

सरकार समर्थक निजी मीडिया संगठनों की रिपोर्टो के विपरीत, दो दिनों के दिल्ली दौरे के दौरान योगी आदित्यनाथ और पार्टी आलाकमान के बीच सब कुछ ठीक नहीं रहा. आलाकमान यूपी से आने वाली रिपोर्टो और विश्वसनीय एजेंसियों के कई सर्वेक्षणों से बेहद चिंतित है, जिनके अनुसार भाजपा को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है. 

विधानसभा चुनावों में भाजपा और समाजवादी पार्टी के बीच ध्रुवीकरण हो सकता है जो बसपा, रालोद और कांग्रेस को हाशिये पर डाल सकता है जैसा कि पश्चिम बंगाल में देखा गया था. इसी संदर्भ में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने यूपी को तीन भागों में बांटने का विचार रखा था. 10 जून को जब शाह ने योजना का खुलासा किया तो योगी अवाक रह गए. 

उन्होंने कहा कि विधानसभा सत्र बुलाकर प्रस्ताव पारित कर इसे लागू किया जाना चाहिए. यूपी, पश्चिम बंगाल और अन्य बड़े राज्यों को तीन भागों में बांटने की योजना संघ परिवार के दृष्टिकोण का हिस्सा रही है क्योंकि उसे लगता है कि लगभग 20 प्रतिशत आबादी भाजपा को वोट नहीं देती है. 

आलाकमान को लगता है कि यूपी को बचाए रखने के लिए यह जीत का मंत्र होगा. लेकिन बताया जाता है कि योगी ने अनिच्छा व्यक्त करते हुए कहा कि पार्टी को अगले आठ महीनों के लिए उनके नेतृत्व पर विश्वास रखना चाहिए. उन्होंने लंच के बाद की 90 मिनट की असामान्य रूप से लंबी बैठक के अंत में कहा कि अगर आलाकमान अभी भी योजना पर आगे बढ़ना चाहता है तो वे अपने गोरखपुर मठ में वापस जाना पसंद करेंगे. 

अगले दिन जब वे प्रधानमंत्री से मिले तो इस मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं हुई. उन्होंने कोविड से लड़ने और राज्य में प्रधानमंत्री की योजनाओं को लागू करने में अपनी सरकार की उपलब्धियों को सूचीबद्ध करते हुए 60 मिनट की ऑडियो-वीडियो प्रस्तुति दी. अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री ने उन्हें पार्टी में सभी को साथ लेकर चलने और विभिन्न सामाजिक समूहों के हितों की रक्षा करने की सलाह दी. 

किसी नाम पर चर्चा नहीं हुई. भाजपा अध्यक्ष जे. पी. नड्डा के आवास पर 110 मिनट की बैठक में नामों के साथ विस्तृत योजनाओं पर चर्चा हुई. आलाकमान ने योगी को राहत दी तो योगी दिल्ली के चहेतों को जगह देने के लिए राजी हो गए. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रलय ने मीडिया के सामने यूपी की कोविड के खिलाफ लड़ाई की प्रशंसा की.

जी-23 नेताओं के साथ अंतत: शांति समझौता

कांग्रेस में अंतत: संघर्ष विराम हो गया है. राहुल गांधी ने पार्टी के असंतुष्ट नेताओं के समूह जी-23 के साथ शांति समझौता कर लिया है और अब उन नेताओं की बहाली की संभावनाएं बढ़ गई हैं. कांग्रेसी चाहते हैं कि जल्द से जल्द मतभेद भुलाकर एकजुट हुआ जाए ताकि पार्टी आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा को टक्कर दे सके. 

इसी व्यवस्था के अंतर्गत गुलाम नबी आजाद को फिर से बहाल किया जा रहा है. राहुल गांधी ने दिग्गज नेता से बात की और गांधी परिवार ‘भूल जाओ और माफ करो’ की भावना के साथ आगे बढ़ रहा है. पार्टी को पंजाब को बरकरार रखने, उत्तराखंड और गोवा में जीत हासिल करने और मणिपुर में भी उल्लेखनीय प्रदर्शन करने का संभावित मौका नजर आ रहा है.

Web Title: Harish Gupta Blog: BJP Need booster dose for Maharashtra

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