Harda Blast Updates: क्यों नहीं थमते पटाखा कारखानों में हादसे?, बिहार, आंध्र प्रदेश, केरल, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, दिल्ली और पंजाब से ऐसी घटनाओं की खबरें हर साल सामने...

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: February 9, 2024 11:31 AM2024-02-09T11:31:00+5:302024-02-09T11:31:48+5:30

Harda Blast Updates: बिहार, आंध्र प्रदेश, केरल, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, दिल्ली और पंजाब जैसे राज्यों से ऐसी घटनाओं की खबरें हर साल सामने आती हैं, और कानून के रखवाले इन घटनाओं से कोई सबक सीखते हों, ऐसा नहीं लगता.

Harda Blast Updates Why do accidents in firecracker factories not stop? News of such incidents come to light every year from states like Bihar, Andhra Pradesh, Kerala, West Bengal, Tamil Nadu, Delhi and Punjab | Harda Blast Updates: क्यों नहीं थमते पटाखा कारखानों में हादसे?, बिहार, आंध्र प्रदेश, केरल, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, दिल्ली और पंजाब से ऐसी घटनाओं की खबरें हर साल सामने...

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Highlightsयह कोई पहली दुर्घटना नहीं है, जब किसी पटाखा कारखाने में आग लगी हो.कारखाना कम से कम एक एकड़ की जमीन पर बना होना चाहिए और आसपास रिहाइशी इलाका नहीं होना चाहिए.रिपोर्ट के अनुसार 2022 में करीब 60 पटाखा कारखानों में आग लगी थी, जिसमें 66 जानें गईं.

Harda Blast Updates: मध्य प्रदेश के हरदा में पटाखा कारखाने में लगी आग और विस्फोट ने कई घरों के चिराग बुझा दिए और कई सवाल भी खड़े कर दिए हैं. सुबह कारखाने में आए कई लोगों ने घर से निकलते समय यह नहीं सोचा था कि आज घर नहीं लौटेंगे. स्थानीय लोग बार-बार उस पटाखा कारखाने को हटाने की मांग कर रहे थे, लेकिन प्रशासन आंखें मूंदे रहा. वहां पहले भी ऐसे एक हादसे में कई लोगों की जान जा चुकी है. एक बार लाइसेंस भी सस्पेंड हुआ, लेकिन कारखाने के मालिक ने कोर्ट में जाकर स्टे ऑर्डर ले लिया था. मुख्यमंत्री डाॅ. मोहन यादव के घटनास्थल के हवाई दौरे के बाद कलेक्टर व एसपी को हटाने का आदेश जारी हो गया है. पटाखा फैक्टरी के मालिक राजेश अग्रवाल को गिरफ्तार कर लिया गया है. यह कोई पहली दुर्घटना नहीं है, जब किसी पटाखा कारखाने में आग लगी हो.

पटाखा कारखाने के संचालन के लिए कई नियम बनाए गए हैं, जिनमें सबसे जरूरी यह है कि कारखाना कम से कम एक एकड़ की जमीन पर बना होना चाहिए और आसपास रिहाइशी इलाका नहीं होना चाहिए. अवैध पटाखे बनाने के खिलाफ देश में कानून बहुत कड़े हैं. लेकिन बिहार, आंध्र प्रदेश, केरल, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, दिल्ली और पंजाब जैसे राज्यों से ऐसी घटनाओं की खबरें हर साल सामने आती हैं, और कानून के रखवाले इन घटनाओं से कोई सबक सीखते हों, ऐसा नहीं लगता.

एक रिपोर्ट के अनुसार 2022 में करीब 60 पटाखा कारखानों में आग लगी थी, जिसमें 66 जानें गईं. 2021 में भी 64 हादसे हुए और 96 लोगों की मौत हो गई. इस तरह के भीषण हादसे होने के बाद ही शासन-प्रशासन की नींद खुलती है. नेता-अधिकारी घटनास्थल का दौरा करते हैं, आरोप-प्रत्यारोप और मुआवजों की घोषणा होती है, राहत की बात होती है.

जांच समितियां गठित होती हैं और फिर कुछ दिनों बाद लोग घटना को भूल जाते हैं. सरकारी दफ्तरों से लेकर राजनीतिक गलियारों तक सबकुछ सामान्य हो जाता है. कुछ महीनों बाद फिर कहीं कोई हादसा हो जाता है. देश के विभिन्न शहरों के पटाखा कारखानों में मजदूरों के मरने का सिलसिला चलता रहता है.

शासन दिशा-निर्देश जारी करता है, फिर भी न हादसे थमते हैं, न मौतें. बार-बार होने वाले इन हादसों की जिम्मेदारी आखिर किसकी है? ऐसी घटनाओं के बाद कारखानों को बंद कर देना कोई सही उपाय नहीं है, क्योंकि इससे तो गरीब मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का सवाल खड़ा हो जाएगा. सरकारी व्यवस्था को चाक-चौबंद करना होगा और जिन लोगों पर ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने की जवाबदारी है, यदि वे लोग अपना काम ईमानदारी से नहीं कर रहे तो उन पर कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए.

Web Title: Harda Blast Updates Why do accidents in firecracker factories not stop? News of such incidents come to light every year from states like Bihar, Andhra Pradesh, Kerala, West Bengal, Tamil Nadu, Delhi and Punjab

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