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दक्षिण भारत में भी अपना विस्तार कर रही भाजपा, गौरीशंकर राजहंस का ब्लॉग

By गौरीशंकर राजहंस | Updated: December 10, 2020 12:19 IST

भाजपा ने टीआरएस को इतना बड़ा झटका दे दिया है कि ऐसा लग रहा है, इस झटके से वह जल्दी उबर नहीं पाएगी. ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम के चुनाव परिणाम में भाजपा, जिसके पास इससे पहले केवल चार सीटें थीं, ने 48 सीटें जीत ली हैं.

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ठळक मुद्देचुनाव परिणाम ने तेलंगाना राष्ट्र समिति के वर्चस्व को चुनौती दे दी है.तेलंगाना में विधानसभा चुनाव होंगे तब कोई आश्चर्य की बात नहीं कि भाजपा इस राज्य में भी अपनी सरकार बना ले.

हाल ही में संपन्न हुए ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव के परिणाम ने सबको आश्चर्यचकित कर दिया है. अब तक पूरे राज्य में तेलंगाना राष्ट्रीय समिति का ही वर्चस्व था, परंतु इस बार के चुनाव परिणाम ने तेलंगाना राष्ट्र समिति के वर्चस्व को चुनौती दे दी है.

भाजपा ने टीआरएस को इतना बड़ा झटका दे दिया है कि ऐसा लग रहा है, इस झटके से वह जल्दी उबर नहीं पाएगी. ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम के चुनाव परिणाम में भाजपा, जिसके पास इससे पहले केवल चार सीटें थीं, ने 48 सीटें जीत ली हैं.

राजनीतिक विश्लेषकों का मत है कि आगामी कुछ महीनों के बाद जब तेलंगाना में विधानसभा चुनाव होंगे तब कोई आश्चर्य की बात नहीं कि भाजपा इस राज्य में भी अपनी सरकार बना ले. हैदराबाद में यह चुनाव स्थानीय निकाय स्तर का था परंतु भाजपा ने राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चुनाव प्रचार में उतार कर लोगों को यह बता दिया कि भाजपा इसे राष्ट्रीय महत्व का समझती है. नड्डा और योगी ने आम जनता को बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके कल्याण के लिए क्या-क्या काम किए हैं और उन्हें क्या-क्या सुविधाएं दी गई हैं.

आम जनता ने इस बात को स्वीकारा कि धारा 370 के खात्मे से लोगों को क्या लाभ हुआ है. इस चुनाव के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने तेलंगाना की जनता को धन्यवाद देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूरे देश के साथ तेलंगाना का भविष्य भी स्वर्णिम होगा. तेलंगाना में टीआरएस में उसके मुखिया और उनके दामाद में भयानक लड़ाई चल रही है और राजनीतिक विश्लेषकों का मत है कि इसका जो भी परिणाम हो, लाभ भाजपा को मिलेगा.

ओवैसी की पार्टी एआईएम आईएम ने निश्चित रूप से 44 सीटें प्राप्त कर ली हैं परंतु उसका प्रभाव केवल मुस्लिम मतदाताओं पर ही पड़ा. सबसे आश्चर्य की बात तो यह हुई कि कांग्रेस पार्टी जो कभी तेलंगाना में टीआरएस के बाद सबसे मजबूत मानी जाती थी, उसे केवल दो स्थानों पर विजय मिली. चुनाव प्रचार के दौरान एक बड़ी बात यह उभर कर आई कि हैदराबाद में चारमीनार के पास भाग्यलक्ष्मी का महत्व लोगों ने समझा और योगी आदित्यनाथ ने यह मांग की कि अब हैदराबाद का नाम बदलकर ‘भाग्यलक्ष्मी नगर’ रख दिया जाए.

आम जनता ने योगी आदित्यनाथ द्वारा की गई इस मांग का समर्थन किया और कोई आश्चर्य नहीं कि कुछ वर्षो के बाद हैदराबाद का नाम बदलकर ‘भाग्यलक्ष्मी नगर’ रख दिया जाए. पिछले अनेक वर्षों से आम जनता में यह भावना थी कि दक्षिण भारत कांग्रेस का गढ़ है और वहां कांग्रेस को कभी झटका नहीं लगेगा. उदाहरण के लिए जब 1977 में आम चुनाव में इंदिरा गांधी रायबरेली से हार गई थीं, तब 1980 में दूसरे आम चुनाव में वह दक्षिण भारत के चिकमंगलूर से जीतकर पुन: संसद में पहुंची थीं.  

अब जब हैदराबाद के चुनाव के परिणाम आ गए हैं तो लगता यह है कि कुछ वर्षों में दक्षिण भारत में भाजपा छा जाएगी. पिछले कुछ वर्षो में हैदराबाद में भ्रष्टाचार की अनेक कहानियां उजागर हुई थीं.  अब उम्मीद है कि तेलंगाना में भ्रष्टाचार कम होगा.  सारी स्थिति पर गौर करने से यही लगता है कि तेलंगाना में इतिहास करवट बदल रहा है और लग रहा है कि भाजपा दक्षिण भारत में भी जल्दी ही पूरी तरह अपने पैर पसार लेगी.

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