ब्लॉग: किसानों के हित में सरकार की नई पहल

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: March 9, 2024 09:47 AM2024-03-09T09:47:18+5:302024-03-09T09:47:24+5:30

अमेरिका सहित कई विकसित राष्ट्र खाद्यान्न के लिए भारत में दिए जा रहे एमएसपी कार्यक्रम पर सवाल उठा रहे हैं, उनका कहना है कि इस पर दी जा रही सब्सिडी डब्ल्यूटीओ व्यापार नियमों के तहत स्वीकृत सीमा से करीब तिगुनी हो गई है।

Government's new initiative in the interest of farmers | ब्लॉग: किसानों के हित में सरकार की नई पहल

ब्लॉग: किसानों के हित में सरकार की नई पहल

एक ओर जब इन दिनों देश में किसानों के द्वारा अपनी मांगों को लेकर लगातार विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर भारत सरकार के द्वारा किसानों के हित में उठाए गए दो महत्वपूर्ण कदम दुनियाभर में रेखांकित हो रहे हैं।

एक, हाल ही में भारत के द्वारा संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के अबुधाबी में आयोजित विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के 13वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में खाद्य सुरक्षा, खाद्यान्नों के सार्वजनिक भंडारण एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के स्थाई समाधान के लिए प्रभावी पहल की गई, जिसके कारण इस सम्मेलन में इन मुद्दों पर कई विकसित देश भारत के किसानों के हितों के प्रतिकूल कोई प्रस्ताव आगे नहीं बढ़ा पाए।

ऐसे में अब भी भारत अपने किसानों के उपयुक्त लाभ के लिए नीतियां बनाने में सक्षम है। दो, 24 फरवरी को सरकार ने सहकारी क्षेत्र में दुनिया की सबसे बड़ी खाद्यान्न भंडारण योजना के लिए प्रायोगिक परियोजना लॉन्च की है।

यह प्रायोगिक परियोजना 11 राज्यों में प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) को लक्षित कर रही है, जिनके माध्यम से पैक्स की किसानों के हित में बहुआयामी भूमिका होगी।

गौरतलब है कि कृषि पर अबुधाबी मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में भारत ने जी-33 देशों के समूह, अफ्रीकी देशों और प्रशांत देशों के समूह की आवाज के साथ पब्लिक स्टॉक होल्डिंग (पीएचएस) के स्थाई समाधान को अंतिम रूप देने के लिए मजबूती से पक्ष प्रस्तुत करते हुए कहा कि अब डब्ल्यूटीओ को केवल निर्यातक देशों के व्यापारिक हितों तक ही अपना ध्यान सीमित नहीं रखना चाहिए, असली चिंता दुनिया के करोड़ों लोगों की खाद्य सुरक्षा और आजीविका की होनी चाहिए।

वस्तुतः खाद्य सुरक्षा एवं सार्वजनिक भंडारण के लिए भारत सरकार गेहूं और चावल मोटे अनाज को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की पहले से तय कीमत पर खरीदती है और फिर उन्हें गरीबों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिये सस्ते दाम या मुफ्त में वितरित करती है। यह भारत के द्वारा वर्ष 2030 तक देश में भूख व गरीबी मिटाने के लक्ष्य से जुड़ा मुद्दा भी है।

ज्ञातव्य है कि वर्तमान में डब्ल्यूटीओ के नियमों के मुताबिक 1986-88 के मूल्यों को आधार मानते हुए उत्पादन मूल्य का 10 प्रतिशत से अधिक किसानों को सब्सिडी नहीं दी जा सकती है। भारत इसमें बदलाव चाहता है ताकि किसानों को अधिक सब्सिडी देने पर वैश्विक मंच पर उसका विरोध नहीं हो सके।

अमेरिका सहित कई विकसित राष्ट्र खाद्यान्न के लिए भारत में दिए जा रहे एमएसपी कार्यक्रम पर सवाल उठा रहे हैं, उनका कहना है कि इस पर दी जा रही सब्सिडी डब्ल्यूटीओ व्यापार नियमों के तहत स्वीकृत सीमा से करीब तिगुनी हो गई है।

ज्ञातव्य है कि वर्ष 2013 में बाली में हुए मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में सार्वजनिक भंडारण और खाद्य सुरक्षा को लेकर एक पीस क्लॉज पर हस्ताक्षर किए गए थे, जिसके तहत अन्न भंडारण कार्यक्रम का स्थायी हल नहीं निकलने तक किसी भी देश के द्वारा अनाज की खरीदारी और उसे कम दाम पर लोगों को देने का विरोध नहीं किया जाएगा। 

Web Title: Government's new initiative in the interest of farmers

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