वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः अयोध्या-विवाद पर सरकार पहल करे
By वेद प्रताप वैदिक | Published: December 10, 2018 11:13 AM2018-12-10T11:13:04+5:302018-12-10T11:13:04+5:30
अयोध्या-विवाद को खत्म करे. इस प्रदर्शन के वक्ताओं ने सरकार से दो-टूक शब्दों में राम मंदिर बनाने का आग्रह किया है. हम जरा कल्पना करें कि दिल्ली में आज भाजपा के बजाय कांग्रेस की सरकार होती तो क्या होता? वक्ता यह भी कहते कि ऐसी सरकार को 2019 के चुनाव में एक भी सीट नहीं मिलनी चाहिए.
राम मंदिर के लिए दिल्ली के रामलीला मैदान में आज जितनी बड़ी रैली हुई है, उतनी बड़ी रैली पिछले 50 साल में कम ही हुई हैं. रामभक्तों की संख्या कोई दस लाख बता रहा है, कोई पांच लाख तो कोई डेढ़-दो लाख! संख्या जो भी हो, इस प्रदर्शन ने भाजपा सरकार के लिए भयंकर दुविधा खड़ी कर दी है. विश्व हिंदू परिषद, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और अन्य हिंदू संगठनों ने मिलकर यह ऐतिहासिक प्रदर्शन किया है. ये सभी संगठन भाजपा के मूलाधार हैं. इन संगठनों ने मांग की है कि सरकार कानून लाए और मंदिर बनाए.
अयोध्या-विवाद को खत्म करे. इस प्रदर्शन के वक्ताओं ने सरकार से दो-टूक शब्दों में राम मंदिर बनाने का आग्रह किया है. हम जरा कल्पना करें कि दिल्ली में आज भाजपा के बजाय कांग्रेस की सरकार होती तो क्या होता? वक्ता यह भी कहते कि ऐसी सरकार को 2019 के चुनाव में एक भी सीट नहीं मिलनी चाहिए. लेकिन ये हिंदू संगठन मोदी को क्या कहें? क्या चुनाव जीतने का यही एकमात्न पैंतरा अब भाजपा के पास बचा हुआ है? यदि सरकार ने मंदिर का कानून पास नहीं किया तो क्या ये हिंदू संगठन इस सरकार को उलटने के लिए तैयार होंगे?
सच तो यह है कि इस सरकार के पास अपनी कोई सोच नहीं है. वह नौकरशाहों के इशारे पर नाचती है. नौकरशाहों ने पहले ही नोटबंदी, जीएसटी और विदेश नीति में सरकार को गच्चा खिला दिया है. अयोध्या-विवाद का हल तो 1993 के नरसिंहराव सरकार के अध्यादेश में ही लिखा हुआ है.
70 एकड़ जमीन में भव्य राम मंदिर तो बने ही, वहां सर्वधर्म संग्रहालय बन जाए तो राम की अयोध्या विश्व-तीर्थ बन जाएगी. इसमें अदालत और संसद का क्या काम है? इसमें सरकार का भी कोई काम नहीं है. धर्मनिरपेक्ष सरकार मंदिर बनाने का जिम्मा कैसे ले सकती है? सरकार का एक ही काम है. वह यह है कि तीनों याचिकाकर्ताओं को उक्त कार्य के लिए सहमत करे और सर्वसम्मति से सर्वधर्मतीर्थ का कानून बनाए.