गौरीशंकर राजहंस का ब्लॉग: चुनाव पर हावी होता जा रहा काला धन

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: September 27, 2018 08:48 PM2018-09-27T20:48:52+5:302018-09-27T20:48:52+5:30

मुख्य चुनाव आयुक्त ने यह भी कहा कि हाल के वर्षों में ‘सोशल मीडिया’ का रोल बहुत अधिक बढ़ गया है।  वह झूठी और मनगढंत कहानियां बनाकर दिखाता रहता है जिससे मतदाता प्रभावित हो जाते हैं। 

Gaurishankar Rajhans blog: black money going to dominate elections | गौरीशंकर राजहंस का ब्लॉग: चुनाव पर हावी होता जा रहा काला धन

गौरीशंकर राजहंस का ब्लॉग: चुनाव पर हावी होता जा रहा काला धन

गौरीशंकर राजहंस 
चुनाव सुधार के बारे में समय-समय पर चुनाव आयोग ने कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं।  परंतु सबसे अधिक महत्वपूर्ण सुझाव हाल में मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने दिया है। 

 जिन्होंने दो टूक कहा है कि आज की तारीख में जो कानून है उससे चुनाव प्रक्रिया में काले धन की बढ़ती भूमिका को रोका नहीं जा सकता है।  इसके लिए आवश्यक है कि सभी राजनीतिक दल मिलकर कोई प्रभावशाली कदम उठाएं और चुनाव की प्रक्रिया में कालेधन की भूमिका को समाप्त करें।  

उन्होंने कहा कि जिस तरह से काला धन चुनाव प्रक्रिया में हावी हो रहा है उससे भारत की आम जनता लोकतंत्र के भविष्य के प्रति बहुत ही आशंकित हो गई है।  
जिन्होंने लोकसभा और विधान सभा के चुनावों को नजदीक से देखा है वे अच्छी तरह जानते हैं कि कदम कदम पर भ्रष्टाचार व्याप्त है और चुनाव में खुलकर कालेधन का की गंगा बहती रहती है।  

स्थिति ऐसी है कि अब एक ईमानदार व्यक्ति को जो गरीब या मध्यम वर्गीय परिवार से आता है उसके लिए अपने बलबूते पर चुनाव लड़ना प्राय: असंभव है।
  
मुख्य चुनाव आयुक्त ने यह भी कहा कि हाल के वर्षों में ‘सोशल मीडिया’ का रोल बहुत अधिक बढ़ गया है।  वह झूठी और मनगढंत कहानियां बनाकर दिखाता रहता है जिससे मतदाता प्रभावित हो जाते हैं। 

 ईमानदार प्रत्याशी के खिलाफ अनेक झूठे इल्जाम लगाए जाते हैं और दागी प्रत्याशी की जय जयकार की जाती है।  लाख प्रयासों के बाद भी ‘सोशल मीडिया’ की इस प्रवृत्ति को नहीं रोका जा सका है और इस प्रवृत्ति से चुनाव पूरी तरह दूषित हो जाता है।  

मुख्य चुनाव आयुक्त ने यह भी कहा है कि  झूठी खबरों को विज्ञापन के रूप में नहीं दिखाकर समाचार के रूप में दिखाया जाता है जिससे स्वच्छ  छवि के प्रत्याशी को भारी नुकसान होता है और दागी प्रवृत्ति का प्रत्याशी आसानी से जीत जाता है।  

इस तरह का दागी प्रत्याशी करोड़ों रुपए जमा कर लेता है और हर चुनाव में उसकी मदद से दुबारा चुनकर आ जाता है।  दागी प्रत्याशी एक चुनाव के बाद दूसरे चुनाव में जो अपनी संपत्ति का विवरण देते हैं उसे देखकर दांतों तले उंगली दब जाती है।  आखिर रातों रात उस प्रत्याशी ने इतनी संपत्ति अर्जित कहां से कर ली और वह पांच वर्षों में अरबपति कैसे बन गया। 
 
यह बात कम लोगों को मालूम है कि इस तरह के जघन्य अपराध करने वाले गुंडों को राजनेता संरक्षण देते हैं।  यह एक तरह का मकड़जाल है जिससे निकल पाना बहुत ही कठिन है।  राजनेताओं को अपना चुनाव जीतने के लिए तथा विकास के मद से पैसा लूटने के लिए गुंडों की जरूरत होती है। 

 ये राजनेता इंजीनियरों और दूसरे अफसरों को डरा धमकाकर विकास का अधिकतर पैसा मार जाते हैं।  इन गुंडों की मदद से ही वे इंजीनियरों और अफसरों को डराते धमकाते रहते हैं।  

कुल मिलाकर स्थिति यह बनती है कि मुख्य चुनाव आयुक्त ओ पी रावत ने ठीक कहा है कि आज की तारीख में चुनाव प्रकिया कालेधन के कारण विषाक्त हो गई है और वर्तमान कानून से इसमें सुधार संभव नहीं है। 

 लाख टके का प्रश्न यह है कि क्या हमारे राजनेता छोटे-छोटे स्वार्थों से ऊपर उठकर लोकतंत्र की रक्षा के लिए ऐसा कानून बनाएंगे जिससे चुनाव में काला धन हावी नहीं हो सके।  

Web Title: Gaurishankar Rajhans blog: black money going to dominate elections

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