ब्लॉग: प्रचंड गर्मी बन रही जानलेवा, 49 साल से भारत में लगातार बढ़ रहा है गर्मी का प्रकोप
By प्रमोद भार्गव | Published: April 19, 2023 08:08 AM2023-04-19T08:08:38+5:302023-04-19T08:11:52+5:30
भारत में इस बार अप्रैल का महीना आते-आते गर्मी झुलसाने लगी है. मुंबई में ‘महाराष्ट्र भूषण’ पुरस्कार समारोह के दौरान तेज धूप से 14 लोगों की मौत हो गई. उत्तर समेत पूर्वी भारत में भी गर्मी लोगों को झुलसा रही है.
देश में भीषण गर्म हवाएं चल पड़ी हैं. ये हवाएं मुंबई में कहर बनकर टूट भी पड़ी हैं. यहां आयोजित ‘महाराष्ट्र भूषण’ पुरस्कार समारोह के दौरान तेज धूप के कारण कुल चौदह लोगों की मौत हो चुकी है. इस आयोजन में भागीदारी करने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आए थे. खारघर में एक खुले मैदान में अप्पासाहब धर्माधिकारी को सम्मानित किया गया था. इसी बीच 38 डिग्री तापमान में बैठे लोग तेज धूप से व्याकुल होने लगे और देखते-देखते कई लोग काल के गाल में समा गए. कई लोगों का उपचार अस्पताल में चल रहा है.
दिल्ली में भी गर्मी बेहाल करने के हालात पैदा करने लगी है. 40.4 डिग्री सेल्सियस से 42.4 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचे तापमान ने पूरी दिल्ली में लू के हालात उत्पन्न कर दिए हैं. पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में भी यह गर्मी कहर बरपा रही है. हैदराबाद विश्वविद्यालय के मौसम विभाग के ‘जर्नल ऑफ अर्थ सिस्टम साइंस’ में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार पिछले 49 साल में भारत में गर्मी का प्रकोप निरंतर बढ़ रहा है.
लू चलने की घटनाएं हर दशक में बीते दशक से 0.6 बार अधिक हुई हैं. जबकि इसके विपरीत शीत लहर चलने की घटनाएं प्रत्येक दशक में बीते दशक से 0.4 मर्तबा कम हुई हैं. गर्मियों में जब लगातार तीन दिन औसत से ज्यादा तापमान रहता है तो उसे ‘लू’ कहते हैं. यदि सर्दियों में तीन दिन तक निरंतर औसत से कम तापमान रहता है तो उसे ‘शीतलहर’ कहा जाता है.
किसी भी क्षेत्र का औसत तापमान, किस मौसम में कितना होगा, इसकी गणना एवं मूल्यांकन पिछले 30 साल के आंकड़ों के आधार पर की जाती है. वायुमंडल में गर्म हवाएं आमतौर से क्षेत्र विशेष में अधिक दबाव की वजह से उत्पन्न होती हैं. वैसे तेज गर्मी और लू पर्यावरण और बारिश के लिए अच्छी होती है. अच्छा मानसून इन्हीं आवारा हवाओं का पर्याय माना जाता है, क्योंकि तपिश व बारिश में अंतर्संबंध है.
धूप और लू के इस जानलेवा संयोग से कोई व्यक्ति पीड़ित हो जाता है, तो उसके लू उतारने के इंतजाम भी किए जाते हैं. दरअसल लू सीधे दिमागी गर्मी को बढ़ा देती है. अतएव इसे समय रहते ठंडा नहीं किया तो यह बिगड़ा अनुपात व्यक्ति को बौरा भी सकता है.
वैसे शरीर में प्राकृतिक रूप से तापमान को नियंत्रित करने का काम मस्तिष्क में ‘हाइपोथैलेमस’ अर्थात ‘अधश्चेतक’ क्षेत्र करता है. इसका सबसे महत्वपूर्ण कार्य पीयूष ग्रंथि के माध्यम से तंत्रिका तंत्र को अंतःस्रावी प्रक्रिया के माध्यम से तापमान को संतुलित बनाए रखना होता है. इसे चिकित्सा शास्त्र की भाषा में हाइपर-पीरेक्सिया कहते हैं. इसकी चपेट में बच्चे और बुजुर्ग आसानी से आ जाते हैं.