जावेद आलम का ब्लॉग: इंसानियत और भाईचारे का संदेश देती है ईद
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: May 3, 2022 05:28 PM2022-05-03T17:28:53+5:302022-05-03T17:30:17+5:30
हमदर्दी, त्याग व समर्पण इंसान को अंदर से बहुत मजबूत बनाते हैं. इनके सहारे हम अपने भीतर के शैतान को परास्त करने के साथ समाज के नासूरों से भी निपट सकते हैं. हमारा यही ध्येय है कि इंसानियत, हमदर्दी व मानव मात्र की गमख्वारी यानी दुख-दर्द बांटने की कोशिशों में लगे रहेंगे. यही तो ईद की सच्ची खुशी होती है.
देखते ही देखते एक और ईद आ गई. वायु-वेग से दौड़ते समय में कायनात के खालिक (रचयिता) व मालिक ने हमें ईद-उल-फितर की शक्ल में एक और बड़ी खुशी इनायत कर दी. माहे-रमजान में की गई इबादतों का इनाम है यह ईद. रोजे के जरिये तमाम जायज इच्छाओं के परित्याग, रब के सामने पूर्ण समर्पित भाव से तरावीह की नमाजों में हाजिरी, सूरज उगने से पहले अर्ध निद्रा में डूबे, लंबी इबादतों के बाद अलसाये से जैसे-तैसे सहरी खाने वालों को ईद के दिन अल्लाह तआला की जानिब से खुसूसी इनामात मिलते हैं.
जब रब की तरफ से अपने इबादतगुजार बंदों के लिए इनामात का वादा है, तो उसके नेक बंदे क्यों पीछे रहें? वे अपने माबूद यानी पूज्य के हुक्म की तामील करते हुए ईद से पहले गरीबों तक उनका हिस्सा याद से पहुंचाते हैं. दरअसल छोटे-बड़े, अमीर-गरीब इस सालाना त्याैहार की खुशियों में अच्छे से शरीक हों, इसीलिए इस ईद में सदका-ए-फित्र का सिलसिला रखा गया है. सदका-ए-फित्र या फितरा वह रकम है, जो ईद की नमाज से पहले हर साहिबे-हैसियत मुस्लिम परिवार द्वारा गरीबों के घर तक पहुंचाई जानी जरूरी है. यह इसलिए कि समाज का कमजोर वर्ग भी सबके साथ ईद मना सके.
इसी सदका-ए-फित्र की बदौलत यह ईद-उल-फितर है. धार्मिक निर्देशों के मुताबिक अगर सदका-ए-फित्र ईद की नमाज से पहले अदा नहीं किया गया तो रमजान की इबादतें आसमान तक नहीं पहुंचतीं, इसलिए समझदार लोग सदका-ए-फित्र बहुत सावधानी से समय के पहले ही अदा कर देते हैं.
हम ऐसे दौर में जी रहे हैं, जो आशंकाओं-कुशंकाओं से भरा हुआ है. नफरत व हिंसा फैलती जा रही है. इस पवित्र माह की इबादतों के बदले इनामस्वरूप मिली ईद-उल-फितर पर हमें यह संकल्प लेना होगा कि घृणा के जहर में डूब चुकी किसी भी विध्वंसक शक्ति के खिलाफ हम पूरी मजबूती से खड़े होंगे.
उपद्रवी तत्वों की उकसाने वाली हरकतों पर हम सब्र व धैर्य का मुजाहिरा करते हुए उन्हें कानूनी रूप से जवाब देंगे. हम ऐसी किसी कार्रवाई का हिस्सा नहीं बनेंगे, जिससे इंसानियत व देश का नुकसान हो. यह अलग तरह का इम्तिहान है, जिसमें हमें खरा उतरना है. इसमें हम मानवता का उदाहरण पेश करेंगे. टकराव पर आमादा लोगों को जवाब देने के लिए हम किसी विध्वसंक तरीके, गतिविधि का सहारा नहीं लेंगे, बल्कि हम उन्हें बताएंगे कि कानून के दायरे में रहकर भी कैसे निपटा जाता है.
हमदर्दी, त्याग व समर्पण इंसान को अंदर से बहुत मजबूत बनाते हैं. इनके सहारे हम अपने भीतर के शैतान को परास्त करने के साथ समाज के नासूरों से भी निपट सकते हैं. हमारा यही ध्येय है कि इंसानियत, हमदर्दी व मानव मात्र की गमख्वारी यानी दुख-दर्द बांटने की कोशिशों में लगे रहेंगे. यही तो ईद की सच्ची खुशी होती है.