वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: कोरोना के इस दौर में यूरोप से बेहतर है भारत

By वेद प्रताप वैदिक | Published: November 25, 2021 11:01 AM2021-11-25T11:01:56+5:302021-11-25T11:01:56+5:30

भारत में सत्तारूढ़ और विपक्षी नेता कितनी ही राजनीतिक तू-तू मैं-मैं करते रहें लेकिन कोरोना की महामारी से लड़ने में सब एक थे। भारत की जनता ने महामारी के दौरान अद्भुत अनुशासन का परिचय दिया है। वह अब भी सतर्क रहे, यह जरूरी है।

During Covid-19 Pandemic India is Better than Europe | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: कोरोना के इस दौर में यूरोप से बेहतर है भारत

कोरोना के इस दौर में यूरोप से बेहतर है भारत

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक का दावा है कि कोरोना के तीसरे हमले से डरने की जरूरत नहीं है। भारतीय कोवैक्सीन का असर लोगों को काफी सुरक्षा दे रहा है। यह तो उनकी तकनीकी राय है लेकिन भारत की आम जनता का बर्ताव भी यही बता रहा है कि उसे अब कोरोना का डर ज्यादा नहीं रह गया है।

दिल्ली में मैं देख रहा हूं कि नेता लोग बड़ी-बड़ी सभाएं करने लगे हैं, ब्याह-शादियों में सैकड़ों लोग इकट्ठे होने लगे हैं, बाजारों में भीड़ जुटने लगी है और होटलों में लोग खाना भी खाने लगे हैं लेकिन ज्यादातर लोग न तो मुखपट्टी लगा रहे हैं और न ही शारीरिक फासला रख रहे हैं। 

जिन लोगों ने दो टीके लगवा लिए हैं, वे तो बेफिक्र हो गए हैं। रेलवे स्टेशनों और हवाईअड्डों पर भी भीड़ बढ़ गई है लेकिन आप जरा यूरोपीय देशों का हाल देखें तो थर्रा उठेंगे। यूरोप के जर्मनी, फ्रांस, हालैंड, स्पेन आदि देशों में कोरोना का हमला तीसरा और चौथा है और वह इतना तेज है कि कुछ राष्ट्रों ने कड़ी तालाबंदी घोषित कर दी है। स्कूल, कॉलेज, होटल, सभा-स्थल, सिनेमा घर जैसे सब सार्वजनिक स्थल बंद कर दिए गए हैं।

जो कोरोना का टीका नहीं लगवाएगा, उस पर कुछ देशों ने हजारों रुपए का जुर्माना ठोंकने की बात कही है। हालैंड में इतने मरीज बढ़ गए हैं कि उसके अस्पतालों में उनके लिए जगह ही नहीं है। उन्हें बसों और रेलों में लिटाकर जर्मनी ले जाया जा रहा है। यूरोपीय देश अपने यहां फैली तीसरी और चौथी लहर से इतने घबरा गए हैं कि वे पड़ोसी देशों के नागरिकों को अपने यहां घुसने नहीं दे रहे हैं। अगले कुछ माह में वहां मरनेवालों की संख्या 7 लाख तक पहुंचने का अंदेशा है।

यूरोपीय महाद्वीप में कोरोना से अगले साल तक शिकार होने वालों की संख्या 22 लाख तक जा सकती है। भारत में कोरोना से मरनेवालों की संख्या 5 लाख के आसपास है जबकि उसकी आबादी सारे यूरोपीय देशों से लगभग दोगुनी है। भारत के मुकाबले यूरोपीय देश कहीं अधिक साफ-स्वच्छ हैं और वहां चिकित्सा सुविधाएं भी कहीं बेहतर हैं। यूरोपीय देश में शिक्षितों की संख्या भी भारत से ज्यादा है। फिर भी उसका हाल इतना बुरा क्यों हो रहा है? 

इसका एकमात्र कारण जो मुझे दिखाई पड़ता है, वह यह है कि यूरोपीय लोग अहंकारग्रस्त हैं। वे अपने डॉक्टरों और नेताओं से भी खुद को ज्यादा प्रामाणिक मानते हैं। वे समझते हैं कि दुनिया में सबसे अधिक सभ्य और स्वस्थ कोई है तो वे हैं। इसीलिए तालाबंदी और टीके के विरुद्ध वे प्रदर्शन कर रहे हैं, अपने नेताओं को कोस रहे हैं और अपने डॉक्टरों के इरादों पर संदेह कर रहे हैं।

भारत में सत्तारूढ़ और विपक्षी नेता कितनी ही राजनीतिक तू-तू मैं-मैं करते रहें लेकिन कोरोना की महामारी से लड़ने में सब एक थे। भारत की जनता ने महामारी के दौरान अद्भुत अनुशासन का परिचय दिया है। वह अब भी सतर्क रहे, यह जरूरी है।

Web Title: During Covid-19 Pandemic India is Better than Europe

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