डॉ. संजीव मिश्र का ब्लॉग: पर्यावरण भी है रामराज्य की कसौटी

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: June 5, 2019 08:26 AM2019-06-05T08:26:46+5:302019-06-05T08:26:46+5:30

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान का मानना है कि तापमान में औसतन तीन डिग्री सेल्सियस की वृद्धि गेहूं के उत्पादन में 15 से 20 प्रतिशत तक की कमी कर देगी. भारत 2050 तक दुनिया में सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश हो जाएगा.

Dr. Sanjeev Mishra blog: Environmental crisis is also the criterion of Ramrajya | डॉ. संजीव मिश्र का ब्लॉग: पर्यावरण भी है रामराज्य की कसौटी

डॉ. संजीव मिश्र का ब्लॉग: पर्यावरण भी है रामराज्य की कसौटी

सफल रसाल पूगफल केरा।
रोपहु वीथिन्ह पुर चहुं फेरा।।

रामचरित मानस की यह चौपाई, श्रीराम के विवाहोपरांत राज्याभिषेक की तैयारियों के बीच गुरु वशिष्ठ के निर्देशों का हिस्सा है. वे सभी मार्गो के किनारे पौधरोपण का निर्देश दे रहे हैं. पांच जून को हम भी बड़े-बड़े वादों-दावों के साथ विश्व पर्यावरण दिवस के हिस्सेदार बनेंगे, किंतु यह भूल जाएंगे कि सही अर्थो में पर्यावरण संरक्षण के लिए हमें ईमानदार प्रयास करने होंगे. देश का मौजूदा राजनीतिक नेतृत्व रामराज्य को अपना आधार स्तंभ मानता है, उसे भी याद रखना होगा कि रामराज्य की कसौटी के तमाम बिंदुओं में से पर्यावरण भी बेहद महत्वपूर्ण बिंदु है.

इस समय पूरी दुनिया में जलवायु संरक्षण को लेकर चल रही मुहिम में भी अधिकाधिक भागीदारी पर जोर दिया जा रहा है. दुनिया बार-बार चिल्ला रही है कि हम खतरे के मुहाने पर हैं. भारत के मौसम चक्र  में स्पष्ट बदलाव दिखने भी लगा है. बिगड़ा जलवायु चक्र हमारी व सरकारों की ढिलाई का नतीजा है. इसका प्रभाव खेती पर भी प्रतिकूल पड़ने लगा है. 

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान का मानना है कि तापमान में औसतन तीन डिग्री सेल्सियस की वृद्धि गेहूं के उत्पादन में 15 से 20 प्रतिशत तक की कमी कर देगी. भारत 2050 तक दुनिया में सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश हो जाएगा. ऐसे में प्राकृतिक संसाधनों की कमी निश्चित रूप से समस्या बनेगी. पर्यावरण व जलवायु संरक्षण पर पर्याप्त ध्यान न दिए जाने के कारण देश में पानी की कमी भी होती जा रही है. 

वर्ष 2001 में भारत में प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता 1820 घन मीटर थी, जो 2011 में घटकर 1545 घन मीटर प्रति व्यक्ति रह गई. भारत सरकार के जल संसाधन मंत्नालय की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता 2025 में 1341 घन मीटर रह जाएगी. यह स्थिति भीषण जल संकट का कारण बनेगी. जल प्रदूषण की भयावहता के कारण उपलब्ध जल भी पूरी तरह उपयोग की स्थिति में नहीं है. वायु प्रदूषण के मामले में तो हम दुनिया का नेतृत्व कर ही रहे हैं. देश का वन क्षेत्न लगातार कम हो रहा है.

तुलसी ने रामराज्य में पौधरोपण व पर्यावरण संरक्षण के लिए सभी की भागीदारी को महत्वपूर्ण करार दिया है. मौजूदा सरकार का नेतृत्व कर रही भाजपा ने लोकसभा चुनाव के अपने संकल्प पत्न में पर्यावरण को लेकर थोड़ी-बहुत चिंता जताई है. सरकार ने अलग जलशक्ति मंत्नालय बनाया है. इससे उम्मीदें बढ़ी हैं. हम अभी नहीं चेते तो संकट तय है.

Web Title: Dr. Sanjeev Mishra blog: Environmental crisis is also the criterion of Ramrajya

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