केंद्रीय सूचना आयोग को लचर न बनाएं
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: August 6, 2018 07:47 IST2018-08-06T07:47:07+5:302018-08-06T07:47:07+5:30
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और सात राज्यों को गत हफ्ते वैसे समय में यह निर्देश जारी किया है, जब केंद्रीय सूचना आयोग को लचर बनाने की चर्चा गर्म है।

केंद्रीय सूचना आयोग को लचर न बनाएं
शशिधर खान
केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) में, केंद्रीय सूचना आयुक्त कार्यालय में और राज्य सूचना आयोग में कई महीनों से खाली पड़े रिक्त पदों पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से जवाब तलब किया है। जस्टिस ए.क़े सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ ने केंद्र सरकार से हलफनामा दायर करके चार हफ्ते के अंदर यह बताने को कहा है कि कितने समय में ये नियुक्तियां हो जाएंगी। सुप्रीम कोर्ट पीठ के जजों ने कहा है कि केंद्रीय सूचना आयोग में इस वक्त चार पद रिक्त हैं और दिसंबर में चार अन्य रिक्त हो जाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और सात राज्यों को गत हफ्ते वैसे समय में यह निर्देश जारी किया है, जब केंद्रीय सूचना आयोग को लचर बनाने की चर्चा गर्म है। आरटीआई एक्ट, 2005 के अंतर्गत जनता को दिया गया सूचना का अधिकार न तो रद्द किया जा सकता है, न वापस लिया जा सकता है। इसलिए सरकार ने आरटीआई संशोधन बिल का ऐसा मसौदा तैयार किया ताकि केंद्रीय सूचना आयोग संवैधानिक संस्था की जगह एक सरकारी संस्था की तरह काम करे। इसका प्रारूप अभी गोलमटोल रखा गया है। लेकिन संशोधन बिल में ऐसे नियम जोड़े गए हैं ताकि सीआईसी सरकार के पूर्ण नियंत्रण में हो और वैसी कोई सूचना सार्वजनिक करने का आदेश मुख्य सूचना आयुक्त या सूचना आयुक्त किसी सरकारी विभाग को न दे पाएं जो सरकार न चाहे।
दरअसल मार्च, 2017 में ही आरटीआई एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव सरकार ने उछाला। जब तीखी प्रतिक्रिया हुई तो केंद्रीय कार्मिक और जन शिकायत मंत्रलय ने सफाई दी कि ‘ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है.’ लेकिन अंदर-अंदर सीआईसी को लचर बनाने की तैयारी चलती रही। केंद्रीय सूचना आयोग को सीमित दायरे में रखने के पक्ष में सभी दल हैं क्योंकि सूचना आयोग पार्टियों के अंदरूनी चुनाव फंड, चंदा कारोबार पर उंगली उठाकर उसे सार्वजनिक करने का आदेश जारी कर चुका है।
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों के लिए यहाँ क्लिक करे. यूट्यूब चैनल यहाँ सब्सक्राइब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट!