Delhi Coaching Centre Deaths: भ्रष्टाचार ने ले ली तीन युवा प्रतिभाओं की जान
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: July 30, 2024 10:18 AM2024-07-30T10:18:41+5:302024-07-30T10:20:09+5:30
हादसे के लिए जिम्मेदार बलि के बकरे के तलाश की जा रही है ताकि बड़ी मछलियां बच जाएं. कोचिंग सेंटर की फायर एनओसी रद्द करने की घोषणा की जा रही है. संस्थान के मालिक तथा को-आर्डिनेटर को गिरफ्तार कर लिया गया है. कुछ दिन तक शोर मचता रहेगा और बाद में सबकुछ पहले की तरह चलने लगेगा.
कोचिंग सेंटर में भविष्य को उज्ज्वल बनाने की आस में दाखिला लेनेवाले विद्यार्थी वस्तुत: अपनी जान हथेली पर रखते हैं. दिल्ली में शनिवार की रात ओल्ड राजेंद्र नगर इलाके में चल रहे राव आईएएस स्टडी सर्किल में पानी में डूबकर तीन युवा प्रतिभाओं की मौत से तो यही लगता है. तलघर में जहां पार्किंग होना चाहिए थी, वहां लाइब्रेरी बना दी गई थी और आईएएस बनकर अपने भविष्य को संवारने, माता-पिता का सपना साकार करने तथा देश की सेवा करने का सपना देख रहे तीन युवा मौत के मुंह में समा गए. इतने बड़े हादसे के बाद प्रशासन सक्रिय हुआ और दिल्ली सरकार के सभी विभाग अब सख्त कार्रवाई करने का दिखावा कर रहे हैं.
हादसे के लिए जिम्मेदार बलि के बकरे के तलाश की जा रही है ताकि बड़ी मछलियां बच जाएं. कोचिंग सेंटर की फायर एनओसी रद्द करने की घोषणा की जा रही है. संस्थान के मालिक तथा को-आर्डिनेटर को गिरफ्तार कर लिया गया है. कुछ दिन तक शोर मचता रहेगा और बाद में सबकुछ पहले की तरह चलने लगेगा. अगली कार्रवाई के लिए नए हादसे का इंतजार किया जाता रहेगा. भारत में प्रशासनिक मशीनरी बेहद सुस्त, लचर, लापरवाह और भ्रष्ट है. रिश्वत देकर अब गैरकानूनी ढंग से सबकुछ करने की अनुमति हासिल कर सकते हैं. शनिवार की रात जो हादसा हुआ, उसने प्रशासनिक मशीनरी में जैसे भ्रष्टाचार की पोल ही खोलकर रख दी है. बेसमेंट (तलघर), जिसका उपयोग आमतौर पर पार्किंग के लिए किया जाता है, वहां न केवल लाइब्रेरी बनाई गई थी बल्कि अक्सर यहां कक्षाएं भी होती थीं. कई तरह के अनापत्ति प्रमाणपत्र देकर प्रशासन यह सोचकर खामोश हो गया कि सब ठीक चल रहा है.
अधिकारियों ने मौके पर जाकर जांच करने की जहमत नहीं उठाई. दिल्ली प्रशासन को तो बेहद चौकन्ना रहना था क्योंकि दिल्ली में कोचिंग सेंटर से जुड़ा यह कोई पहला हादसा नहीं था. पिछले साल जून में दिल्ली के ही मुखर्जी नगर की ज्ञान बिल्डिंग में चल रहे कोचिंग सेंटरों में आग लग गई थी. आग के वक्त इन कोचिंग सेंटरों में तीन सौ बच्चे थे. चार बच्चे जख्मी हुए. सौभाग्य से किसी की जान नहीं गई लेकिन तीन सौ जिंदगियां खतरे में जरूर आ गई थीं. उस वक्त भी प्रशासन हलचल में आया था.
दिखावे के तौर पर कुछ कदम उठाए गए. जांच में पाया गया कि मुखर्जी नगर की उस बिल्डिंग में आग बुझाने वाले उपकरण ही नहीं लगे थे और न ही पर्याप्त हवा और बिजली का प्रबंध था. तीन सौ जिंदगियों से खेलनेवाले ज्ञान बिल्डिंग के उन कोचिंग सेंटर के संचालक बेखौफ घूम रहे हैं. उन्हें आज तक सजा नहीं हुई. उस बिल्डिंग में पहले की तरह नियमों को ताक पर रखकर कोचिंग क्लासेस चल रही हैं और लाखों की फीस देकर बच्चे मौत के मुंह में बैठकर पढ़ रहे हैं.
पांच साल पहले सूरत में 24 मई 2019 को एक व्यस्त व्यावसायिक इलाके में चल रहे कोचिंग केंद्र में आग लग गई थी. उसमें 21 बच्चों और एक शिक्षिका समेत 22 लोगों की जान गई थी. कार्रवाई हुई, जांच हुई, यह पता भी चला कि अवैध निर्माण कर कोचिंग सेंटर को जगह दी गई थी, वहां आग बुझाने के उपकरण नहीं थे, आपात निकासी द्वार नहीं था, वेंटिलेशन की भी व्यवस्था नहीं थी. आग लगने के बाद जान बचाने के लिए 10वीं और 12वीं की कोचिंग कर रहे बच्चे चौथी मंजिल से कूदे और जान गंवा बैठे. 22 लोगों की जान लेनेवाले उस कोचिंग सेंटर को कुछ दिन के लिए बंद कर दिया गया और अब वह पहले की तरह चल रहा है. गुजरात सरकार के अधिकारियों को शायद अगले हादसे की प्रतीक्षा है. जिन छोटे अफसरों को निलंबित किया गया, वे सूरत नगर निगम के थे. वे अपने पद पर बहाल हो गए हैं.
दिल्ली के राव आईएएस कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में लाइब्रेरी तथा कक्षाओं के संचालन के बारे में दिल्ली सरकार के पोर्टल पर 26 जून, 15 जुलाई और 22 जुलाई को एक सजग नागरिक ने शिकायत दर्ज कराई थी मगर भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे अफसरों के कानों में जूं तक नहीं रेंगी क्योंकि उन्हें ‘उपकृत’ किया गया था. सूरत के हादसे के बाद तो देश के सभी छोटे-बड़े शहरों में चल रहे कोचिंग सेंटर की जांच राज्य सरकारों को करवानी थी, दिल्ली में मुखर्जी नगर की घटना से सबक लेना चाहिए था लेकिन अफसरों को मालूम है कि चाहे कुछ हो जाए, उनका बाल भी बांका नहीं होगा. शुक्रवार को तीन युवा प्रतिभाओं की जान लेनेवाली दुर्घटना के लिए आपराधिक प्रशासनिक लापरवाही जिम्मेदार है. अगर जिम्मेदारी तथा जवाबदेही तय कर सजा दोषियों को मिले तो ऐसे हादसों की पुनरावृत्ति टल सकती है.