भारतीय वैज्ञानिक दुनिया में किसी से कम नहीं, निरंकार सिंह का ब्लॉग

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 12, 2020 02:23 PM2020-12-12T14:23:24+5:302020-12-12T14:25:05+5:30

भारत बायोटेक इंटरनेशनरल कोवैक्सीन नाम से स्वदेशी कोरोना वैक्सीन विकसित कर रहा है, जिसके तीसरे चरण के परीक्षण (ट्रायल) में उत्साहजनक परिणाम मिले हैं.

coronavirus covid vaccine Britain America RussiaIndian scientist is no less than anyone in the world blog Nirankar Singh | भारतीय वैज्ञानिक दुनिया में किसी से कम नहीं, निरंकार सिंह का ब्लॉग

भारत में कोरोना वायरस वैक्सीन का विकास कार्य काफी तेजी से जारी है. (file photo)

Highlightsभारत दुनिया में बड़ा वैक्सीन निर्माता बनकर उभर रहा है.दुनिया की नजर कम कीमत वाली सबसे सुरक्षित वैक्सीन पर है.पूरी दुनिया की नजर भारत पर भी है.

ब्रिटेन, अमेरिका, रूस के साथ-साथ भारत ने भी कोरोना वायरस की वैक्सीन एक साल के भीतर बना कर नया इतिहास लिख दिया है. अब यह कुछ ही हफ्तों में बाजार में आने वाली है.

यह भारतीय वैज्ञानिकों की बड़ी कामयाबी है. इसका अर्थ है कि यदि लक्ष्य निर्धारित हों और  समुचित सहायता उपलब्ध कराई जाए तो वे बड़ा से बड़ा काम कर सकते हैं. भारत दुनिया में बड़ा वैक्सीन निर्माता बनकर उभर रहा है. भारत बायोटेक इंटरनेशनरल कोवैक्सीन नाम से स्वदेशी कोरोना वैक्सीन विकसित कर रहा है, जिसके तीसरे चरण के परीक्षण (ट्रायल) में उत्साहजनक परिणाम मिले हैं.

वैज्ञानिकों की हरी झंडी का इंतजार है. अभी दूसरे देशों की कई वैक्सीन के नाम हम बाजार में सुन रहे हैं. लेकिन दुनिया की नजर कम कीमत वाली सबसे सुरक्षित वैक्सीन पर है और इसलिए पूरी दुनिया की नजर भारत पर भी है. भारत में कोरोना वायरस वैक्सीन का विकास कार्य काफी तेजी से जारी है.

160 देशों को भारत में बन रही कोवैक्सीन का इंतजार है. इसी बीच तेलंगाना के हैदराबाद में पिछले दिनों 64 देशों के राजदूतों ने यहां के भारत बायोटेक और बॉयोलॉजिकल ई फैसिलिटी का दौरा किया, जहां कोरोना वायरस के लिए टीके विकसित किए जा रहे हैं.

भारत बायोटेक में प्रतिनिधिमंडल को अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक डॉ. कृष्णा ईला द्वारा कंपनी के टीका विकास कार्यक्रम के बारे में बताया गया. प्रतिनिधियों को भारत बायोटेक की शोध प्रक्रिया, विनिर्माण क्षमता आदि के बारे में बताया गया. अमेरिकी दवा कंपनी फाइजर के बाद अब सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने भी वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति मांगी है. इस कदम के साथ ही सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया देश की पहली स्वदेशी कंपनी बन गई है. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सीरम ने भारतीय दवा महानियंत्रक से अपनी कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड के इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति मांगी है.

मालूम हो कि सीरम ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित वैक्सीन ‘कोविशील्ड’ का भारत में ट्रायल और उत्पादन कर रही है. वैक्सीन के आपात इस्तेमाल के लिए इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने महामारी के दौरान तात्कालिक चिकित्सा जरूरतों और व्यापक स्तर पर जनता के हित का हवाला दिया है. हाल ही में सीआईआई के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा था कि कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड परीक्षण में 90 फीसद तक असरदार साबित हुई है. जल्द सभी के लिए उपलब्ध होगी.

उन्होंने यह भी दावा किया था कि एस्ट्राजेनेका से 10 करोड़ डोज का समझौता किया गया है. जनवरी तक कोविशील्ड की न्यूनतम 100 मिलियन खुराक उपलब्ध होगी जबकि फरवरी के अंत तक इसकी सैकड़ों मिलियन डोज तैयार की जा सकती है. एस्ट्राजेनेका ने विश्व स्वास्थ्य संगठन से अनुरोध किया है कि वह कम आय वाले देशों में इसके आपात इस्तेमाल की मंजूरी दे. वहीं ऑक्सफोर्ड वैक्सीन ग्रुप के डायरेक्टर और ट्रायल चीफ एंड्रयू पोलार्ड ने कहा था कि ब्रिटेन और ब्राजील में जो नतीजे आए हैं उससे हजारों जिंदगियां बचाई जा सकती हैं.

हैदराबाद की डॉक्टर कृष्णा ईला के अनुसार भारत में क्लिनिकल ट्रायल एक बेहद मुश्किल काम है. इसमें समय लगेगा लेकिन हम वैश्विक मानदंडों का पालन कर रहे हैं. हर वैक्सीन के लिए प्रभावकारी परीक्षण का मतलब है कि जिन लोगों के समूह को वैक्सीन दी गई है, उनमें बीमारी में आई कमी का प्रतिशत. विशेषज्ञों का दावा है कि आनुवंशिक और जातीय पृष्ठभूमि के आधार पर यह रेंज अलग-अलग हो सकती है, इसलिए बड़ी फार्मा कंपनियां अलग-अलग देशों में एक साथ परीक्षण करती हैं.

इसलिए डॉक्टर रेड्डी की लैब रूसी वैक्सीन स्पुतनिक-वी के लिए परीक्षण कर रही है और यूके स्थित ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी टीम ने पुणो में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के साथ यहां परीक्षण करने के लिए करार किया है. भारत में उत्पादन की लागत बहुत कम है इसलिए इसका फायदा उपभोक्ताओं को  मिलेगा.  

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