पंकज चतुर्वेदी का ब्लॉग: सावधान! पूर्वोत्तर सुलग रहा है

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: January 11, 2019 08:20 AM2019-01-11T08:20:45+5:302019-01-11T08:20:45+5:30

उल्लेखनीय है कि नए नागरिकता बिल में मुसलमानों के अलावा अन्य किसी भी धर्म के ऐसे विदेशी जो कि छह साल से भारत में रह रहे हैं, उन्हें यहां की नागरिकता की पात्रता का प्रावधान है।

citizenship amendment bill 2016: assam and other ne states are opposing move | पंकज चतुर्वेदी का ब्लॉग: सावधान! पूर्वोत्तर सुलग रहा है

पंकज चतुर्वेदी का ब्लॉग: सावधान! पूर्वोत्तर सुलग रहा है

संसद में प्रस्तुत नागरिकता बिल के विरोध में गत मंगलवार को समूचे पूर्वोत्तर राज्यों में जो बंद हुआ, वह एक बानगी मात्र है कि यदि विदेश से अवैध तरीके से आ कर भारत में बसे लोगों को धर्म-जाति के आधार पर बांटा गया तो यह एक बड़ी अशांति का कारण हो सकता है। उल्लेखनीय है कि नए नागरिकता बिल में मुसलमानों के अलावा अन्य किसी भी धर्म के ऐसे विदेशी जो कि छह साल से भारत में रह रहे हैं, उन्हें यहां की नागरिकता की पात्रता का प्रावधान है। शायद नई युवा पीढ़ी की याददाश्त में न हो कि किस तरह  28 साल पहले अवैध आव्रजकों के मामले में असम सुलगता रहा था और उसके बाद हुए समझौते के बाद वहां शांति आई थी। हाल ही की एनआरसी यानी नागरिकता रजिस्टर की कवायद में भी धर्म-जाति के आधार पर विदेशियों के नाम नहीं रखे गए थे।

असम, मणिपुर, अरुणाचल, त्रिपुरा और मेघालय की असली समस्या घुसपैठियों की बढ़ती संख्या है। असल में यह पूर्वोत्तर ही नहीं पूरे देश की समस्या है। तभी मेघालय सरकार ने नागरिकता बिल पर विरोध दर्ज किया है। जान लें कि यदि अब और चूक हो गई तो आने वाले दो दशकों में असम सहित पूर्वोत्तर के कई राज्य भी कश्मीर की तरह देश के लिए नासूर बन जाएंगे। यह इलाका न केवल संवेदनशील सीमावर्ती है, बल्कि यहां वनोपज, तेल जैसे बेशकीमती भंडार भी हैं। यहां किसी भी तरह की अशांति पूरे देश के लिए बेहद खतरनाक है।
 
असम के मूल निवासियों की बीते कई दशकों से मांग है कि बांग्लादेश से अवैध तरीके से घुसपैठ कर आए लोगों की पहचान कर उन्हें वहां से वापस भेजा जाए। इस मांग को लेकर ऑल असम स्टूडेंट यूनियन(आसू) की अगुवाई में सन 1979 में एक अहिंसक आंदोलन शुरू हुआ था जिसमें सत्याग्रह, बहिष्कार, धरना और गिरफ्तारियां दी गई थीं। 

यह एक विडंबना है कि बांग्लादेश को छूती हमारी 170 किमी की जमीनी और 92 किमी की जल-सीमा लगभग खुली पड़ी है। इसी का फायदा उठा कर बांग्लादेश के लोग बेखौफ यहां आ रहे हैं, बस रहे हैं और अपराध भी कर रहे हैं। अदालत किसी व्यक्ति को गैरकानूनी बांग्लादेशी घोषित कर देती है, लेकिन बांग्लादेश की सरकार यह कह कर उसे वापस लेने से इंकार कर देती है कि भारत के साथ उसका इस तरह का कोई द्विपक्षीय समझौता नहीं है। असम में बाहरी घुसपैठ एक सदी से पुरानी समस्या है। बाहरी लोगों के स्थानीय संसाधन पर कब्जे की समस्या मणिपुर और त्रिपुरा में भी गंभीर है। 

Web Title: citizenship amendment bill 2016: assam and other ne states are opposing move

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