लाइव न्यूज़ :

ब्लॉग: सरकारी अस्पतालों की लापरवाही का नतीजा नागरिक न भुगतें

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: May 18, 2024 10:35 IST

केरल में कोझिकोड स्थित सरकारी अस्पताल के चिकित्सकों द्वारा चार साल की बच्ची का गुरुवार को उंगली की जगह जीभ का ऑपरेशन करने का जो मामला सामने आया है, वह निश्चय ही बेहद चिंताजनक है.

Open in App
ठळक मुद्दे सरकारी अस्पतालों को सरकार की तरफ से फंड भी अच्छा-खासा मिलता हैअच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधा पाना लोगों का अधिकार हैलचर प्रदर्शन के कारण ही निजी स्कूल और निजी अस्पताल आज खूब फल-फूल रहे हैं

केरल में कोझिकोड स्थित सरकारी अस्पताल के चिकित्सकों द्वारा चार साल की बच्ची का गुरुवार को उंगली की जगह जीभ का ऑपरेशन करने का जो मामला सामने आया है, वह निश्चय ही बेहद चिंताजनक है. बच्ची के एक हाथ की छठी उंगली को हटाने के लिए सर्जरी की जानी थी, लेकिन सर्जरी के बाद परिजनों ने जब बच्ची के मुंह में रुई देखी तो उन्होंने इस बारे में पूछताछ की. हद तो यह है कि संबंधित डाक्टर ने इस मामले में अपनी गलती मानने के बजाय जवाब दिया कि बच्ची के मुंह में सिस्ट बन गई थी, जिसके चलते जीभ का ऑपरेशन करना पड़ा. जबकि बच्ची के परिजनों का कहना है कि उसकी जीभ में कोई दिक्कत ही नहीं थी. 

बाद में अस्पताल ने परिजनों को बताया कि गलती हुई है, क्योंकि  उसी दिन दो बच्चों की सर्जरी की जानी थी. सरकारी अस्पतालों में लापरवाही की यह कोई इकलौती घटना नहीं है. हाल ही में पंजाब के संगरूर जिले के एक सरकारी अस्पताल में एक युवक पीलिया का इलाज कराने के लिए भर्ती हुआ था लेकिन उसे बताया गया कि उसकी किडनी खराब हो चुकी है. जबकि दूसरी प्रयोगशाला में उसने जांच कराई तो पता चला कि किडनियां सामान्य हैं और उसे केवल पीलिया है. 

मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में सरकारी अस्पताल में इलाज कराने आई एक महिला का पैर ही चूहे ने कुतर दिया. कुछ माह पहले बदायूं के जिला महिला अस्पताल में प्रसव के लिए भर्ती एक महिला के ऑपरेशन के दौरान महिला के पेट में ही ग्लव्स और कुछ कपड़े छोड़ दिए जाने की बात सामने आई थी. सरकारी अस्पतालों में इस तरह की लापरवाहियों की खबरें आए दिन सामने आती ही रहती हैं. इसमें कोई शक नहीं कि सरकारी अस्पतालों में योग्यता के मापदंडों पर खरा उतरने वाले काबिल डाॅक्टरों की ही नियुक्ति होती है, लेकिन कुछ डाक्टरों की लापरवाही के कारण सरकारी अस्पतालों की छवि लोगों के मन में बहुत अच्छी नहीं रह गई है और ज्यादा पैसा खर्च होने के बावजूद लोग अक्सर निजी अस्पतालों में ही इलाज कराना पसंद करते हैं. 

सरकारी अस्पतालों को सरकार की तरफ से फंड भी अच्छा-खासा मिलता है लेकिन लापरवाही के चलते ही वे निजी अस्पतालों में दी जाने वाली सुविधा और साफ-सफाई का मुकाबला नहीं कर पाते हैं. अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधा पाना लोगों का अधिकार है, लेकिन यह विडंबना ही है कि सरकारी स्कूलों और सरकारी अस्पतालों के लचर प्रदर्शन के कारण ही निजी स्कूल और निजी अस्पताल आज खूब फल-फूल रहे हैं. जहां तक सरकारी अस्पतालों में लापरवाही का सवाल है, इसे हर्गिज बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए और दोषी पाए जाने वालों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए.

टॅग्स :केरलHealth and Family Welfare Department
Open in App

संबंधित खबरें

स्वास्थ्य1,738 पुरुषों की जांच, क्या दवा हिंसा और घरेलू हिंसा को कम कर सकती?, देखिए रिपोर्ट में बेहद दिलचस्प खुलासा

स्वास्थ्यखांसी-जुकामः कफ सीरप की बिक्री पर लगाम कसने की कोशिश

क्रिकेटकमाल संजू सैमसन, 15 गेंद, 5 छक्के और 43 रन की धांसू पारी, 10.3 ओवर में हासिल किए 121 रन, 56 गेंद शेष रहते जीत

क्राइम अलर्टकांग्रेस के निलंबित विधायक राहुल ममकूट्टथिल ने की हैवानियत, गर्भावस्था के समय कई बार रेप, रिश्ता सार्वजनिक किया तो वीडियो करेंगे वायरल, कार में गर्भपात की गोलियां दीं

क्राइम अलर्टKerala: पलक्कड़ विधायक राहुल ममकूटाथिल के खिलाफ यौन उत्पीड़न का केस दर्ज, महिला का जबरन अबॉर्शन कराने का आरोप

भारत अधिक खबरें

भारतदिल्ली-एनसीआर में जहरीले स्मॉग की चादर, कई इलाकों में एयर क्वालिटी बहुत खराब, देखिए लिस्ट

भारतIndiGo Crisis: 6 दिन में 2000 से अधिक फ्लाइट कैंसिल, दिल्ली एयरपोर्ट ने यात्रियों के लिए एडवाइज़री जारी की, एयरपोर्ट जाने से पहले लेटेस्ट स्टेटस चेक कर लें

भारतनागपुर विधानमंडल शीतकालीन सत्रः 8000 से अधिक पुलिस कर्मी तैनात, पक्ष-विपक्ष में इन मुद्दों पर टकराव

भारतSIR Registered: एसआईआर पर राजनीतिक विवाद थमने के नहीं दिख रहे आसार

भारतसिकुड़ता नागपुर विधानसभा सत्र और भंग होतीं अपेक्षाएं!