लाइव न्यूज़ :

ब्लॉग: चीन के मंसूबे वही हैं, भरोसा कैसे बने ?

By शोभना जैन | Updated: August 4, 2023 09:45 IST

Open in App

भारत-चीन सीमा विवाद के बीच एक तरफ जहां अपुष्ट समाचारों के  अनुसार चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के ‘सकारात्मक माहौल’ में अक्तूबर में जी-20 शिखर बैठक में भारत आने की चर्चाएं हैं, ऐसे माहौल में भारत की तमाम सकारात्मकता  के बावजूद चीन ने एक बार फिर भारत के साथ रिश्तों में वही नकारात्मकता दिखाई है, जिसकी आशंका रहती है.

चीन ने पिछले दिनों अपने यहां  होने वाले अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयीन खेलों में हिस्सा लेने जा रहे जा रहे अरुणाचल प्रदेश की टीम के खिलाड़ियों को एक बार फिर सामान्य वीजा नहीं देकर नत्थी (स्टेपल) वीजा देकर भारत के साथ अपने रिश्तों को लेकर फिर वही नकारात्मकता दिखाई.

भारत ने  नत्थी वीजा के इस कदम को पूरी तरह से अस्वीकार्य बताते हुए इसको लेकर चीन से आधिकारिक रूप से विरोध जताया और दो टूक शब्दों में कहा है कि अगर चीन इन खेलों के लिए हमारे अरुणाचल प्रदेश के खिलाड़ियों  को सामान्य वीजा देने से इंकार करता है तो हम भी उचित जवाब देंगे. चीन भारत के अविभाज्य अंग अरुणाचल प्रदेश को विवादास्पद क्षेत्र बताते हुए वहां के नागरिकों को स्टेपल वीजा देने की कोशिश करता रहा है, जिस पर भारत हमेशा आपत्ति उठाता रहा है.

चीन ने यह पैमाना जम्मू-कश्मीर के नागरिकों पर भी लागू कर रखा है. चीन के इस कदम के बाद भारत ने अरुणाचल प्रदेश के इन तीनों खिलाड़ियों को इन खेलों में हिस्सा लेने से मना कर दिया था. गौरतलब है कि चीन ने वुशु मार्शल आर्ट्स वर्ग में हिस्सा लेने वाले अरुणाचल प्रदेश के खिलाड़ियों को नत्थी वीजा दिया है. भारत सरकार की नीति रही है कि भारतीय पासपोर्ट धारकों के साथ उनके निवास वाले प्रदेशों को लेकर किसी प्रकार का भेदभाव या अलग तरीके का व्यवहार नहीं किया जाए. ऐसे में चीन ने एक बार फिर नत्थी वीजा विवाद के जरिये रिश्तों को एक कदम पीछे धकेलने का ही काम किया है.

इसी पृष्ठभूमि में अगर चीन के बेभरोसे वाले  आक्रामक रवैये को देखें तो एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम बतौर चीन ने हाल ही में एक बयान जारी करके कहा कि नवंबर 2022 में बाली- इंडोनेशिया में हुई शिखर बैठक के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच रिश्ते सामान्य बनाने के लिए कुछ अहम मुद्दों पर सहमति बनी. बाद में चीन के बयान को लेकर  संवाददाताओं द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, ‘बातचीत सिर्फ दुआ सलाम तक ही सीमित नहीं थी, दोनों नेताओं ने संबंध सामान्य बनाने की जरूरत पर चर्चा की.’

बाली शिखर बैठक के लगभग आठ माह बाद चीन के एकाएक आए इस बयान को लेकर राजनयिक क्षेत्रों में खासी हैरानी जाहिर की जा रही है क्योंकि बाली शिखर सम्मेलन के दौरान भारत के विदेश मंत्री ने ऐसी किसी ठोस बातचीत  के बारे में कुछ नहीं कहा. उस वक्त पीएम मोदी रात्रि भोज में शी से कुछ बातचीत करते हुए दिखे थे.

लद्दाख के गलवान में जून 2020 के दौरान चीन के हिंसक हमले में 20 निहत्थे भारतीय सैनिकों के शहीद होने के बाद दोनों शिखर नेता पहली बार आमने-सामने थे. यह बात अहम है कि  चीन के बयान के बाद पहली  बार भारत ने आधिकारिक तौर पर बातचीत को लेकर खुलासा किया. प्रवक्ता ने कहा, ‘दोनों देशों के बीच संबंध सामान्य बनाने के लिए सबसे जरूरी है कि वस्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति बनाई जाए.’

गौरतलब है कि भारत और चीन की सेनाएं सीमा क्षेत्र लद्दाख में तीन वर्ष  से अधिक समय से आमने-सामने टिकी हैं और भारत के सतर्कतापूर्ण कदमों के साथ  सकारात्मकता बरतने के बावजूद चीन ऐसे बेभरोसे वाले  नकारात्मक कदम उठाता रहा है. हाल का नत्थी वीजा इसी का परिचायक है.

अगर चीन की परिस्थितियों की बात करें तो मौजूदा समय में चीन तमाम आंतरिक एवं बाहरी चुनौतियों से जूझ रहा है. अपने विदेश मंत्री चिन गांग को हटाने के बाद वह बड़ी उलझन में अटका हुआ है. चीन की अर्थव्यवस्था इस समय खराब दौर से गुजर रही है. अमेरिका और पश्चिमी यूरोपीय बाजारों में इस समय मांग में कमी का सिलसिला जारी है.

यही बाजार चीन की निर्यात केंद्रित अर्थव्यवस्था के प्रमुख खरीददार हैं. आंतरिक स्तर पर भी चीन में विरोध के स्वर मुखर हो रहे हैं, जिनकी अभिव्यक्ति कोविड महामारी के दौर में ही शुरू हो गई थी. इन परिस्थितियों में वैश्विक महाशक्ति बनने की चीन की आकांक्षाओं को झटका लग सकता है.

बहरहाल, भारत सरकार स्पष्ट रूप से कह चुकी है कि जब तक चीन सीमा पर शांति बहाल नहीं करता है, उसके साथ रचनात्मक वार्ता संभव नहीं है. चीन कभी सीमा पर झड़प को बढ़ावा देता है तो कभी अरुणाचल का मुद्दा छेड़ता है या मनमाने तरीके से भारतीय इलाकों के नाम बदल देता है, कभी नत्थी वीजा का अनावश्यक पैंतरा चलता है.

यानी चीन के मंसूबे पहले जैसे ही हैं. जैसा कि कहा जाता है, दो देशों के रिश्ते इस बात से आंके जा सकते हैं कि उन की सीमा रेखाओं पर रिश्ते कैसे हैं.भारत की तमाम सकारात्मकता के बावजूद चीन की नकारात्मकता को सीमा के इसी पैमाने से आंकना पड़ेगा.

टॅग्स :चीनअरुणाचल प्रदेश
Open in App

संबंधित खबरें

विश्वदुनियाभर में आफत?, हांगकांग में आग, 128 मरे, थाईलैंड में बाढ़ से 145 की मौत और श्रीलंका में बाढ़-भूस्खलन से 56 की मौत

विश्वHong Kong Fire: भीषण आग की चपेट में दर्जनों जिंदगियां, हांगकांड में इमारतों में लगी आग में मरने वालों की संख्या 94 हुई, कई लोग अब भी लापता

विश्वHong Kong fire: मरने वालों की संख्या बढ़कर 65, 279 लोग अब भी लापता, अस्पताल में जूझ रहे 68

भारतविश्व मुक्केबाजी कप फाइनल्स में 20 पदक, सोना ही सोना?, 09 स्वर्ण, 06 रजत और 05 कांस्य, भारतीय मुक्केबाजों ने चीन और इटली को धुना

कारोबारPM Modi in Bhutan: पीएम मोदी की भूटान यात्रा का चीन पहलू 

भारत अधिक खबरें

भारतजमीनी कार्यकर्ताओं को सम्मानित, सीएम नीतीश कुमार ने सदस्यता अभियान की शुरुआत की

भारतसिरसा जिलाः गांवों और शहरों में पर्याप्त एवं सुरक्षित पेयजल, जानिए खासियत

भारतउत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोगः 15 विषय और 7466 पद, दिसंबर 2025 और जनवरी 2026 में सहायक अध्यापक परीक्षा, देखिए डेटशीट

भारतPariksha Pe Charcha 2026: 11 जनवरी तक कराएं पंजीकरण, पीएम मोदी करेंगे चर्चा, जनवरी 2026 में 9वां संस्करण

भारत‘सिटीजन सर्विस पोर्टल’ की शुरुआत, आम जनता को घर बैठे डिजिटल सुविधाएं, समय, ऊर्जा और धन की बचत