सारंग थत्ते का ब्लॉग: लौह पुरुष के सान्निध्य में देश की सुरक्षा और रक्षा नीति पर मंथन
By सारंग थत्ते | Published: March 6, 2021 02:56 PM2021-03-06T14:56:15+5:302021-03-06T21:04:32+5:30
सैन्य कमांडर हर वर्ष देश की रक्षा जरूरतों, स्वदेशी निर्माण, कार्यप्रणाली में बदलाव एवं नवीनीकरण के विशेष मुद्दों पर मंथन करते हैं. तीनों सेना मंथन के दौर में एक साथ शामिल होती रही हैं.
देश और दुनिया का ध्यान एक बार फिर गुजरात के केवडिया में मौजूद लौह पुरु ष सरदार वल्लभभाई पटेल की विशाल प्रतिमा के परिसर की ओर खिंच गया है. इस वर्ष का सालाना वरिष्ठ सैन्य कमांडरों का चर्चासत्न केवडिया में हो रहा है. प्रधानमंत्नी मोदी इस सम्मेलन में 6 मार्च को मौजूद रहेंगे. प्रधानमंत्नी को विशेष रूप से एयर डिफेंस कमांड की रचना और सेना में होने वाले बड़े बदलाव के बारे में विस्तार से बताया जाएगा.
भारत के आसपास मौजूद सभी देशों के साथ बदलते परिप्रेक्ष्य में भारत की स्थिति से प्रधानमंत्नी को अवगत किया जाएगा, विशेष रूप से चीन और पाकिस्तान की बदलती सैन्य ताकत पर गौर किया जाएगा.2014 से पहले यह चर्चासत्न नई दिल्ली के साउथ ब्लॉक में होता रहा था, नरेंद्र मोदी ने इस सम्मेलन को 2014 में पहली बार संबोधित किया था.
इसके उपरांत यह मंथन समुद्र में भारतीय नौसेना पोत आईएनएस विक्रमादित्य, भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून और वायुसेना के जोधपुर एयरबेस में हुआ था. इस बार इसे गुजरात ले जाने का फैसला हुआ और शायद लौह पुरुष के सान्निध्य में देश को अपनी सुरक्षा और रक्षा नीति पर विचार-विमर्श करने का यह एक बेहतरीन अवसर रहेगा. 182 मीटर ऊंची सरदार पटेल की प्रतिमा भी एक तरह से सभी का मनोबल ऊंचा करने में सहायक ही सिद्ध होगी.
रक्षा मंत्नी 5 मार्च को इस सम्मेलन में पहुंच चुके हैं और सीडीएस और तीनों सेनाओं के प्रमुख के साथ कई मुद्दों पर चर्चा सत्न हो चुका है. प्रधानमंत्नी को देश की मौजूदा स्थिति पर सीडीएस जनरल बिपिन रावत अवगत कराएंगे. विशेष रूप से चीन के साथ चल रहे गतिरोध एवं बचे हुए स्थानों से दोनों देशों की सेनाओं के लद्दाख से पीछे लौटने के समय चक्र की जानकारी प्रधानमंत्नी को इस सम्मेलन में दी जाएगी.
प्रधानमंत्नी के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल भी मौजूद रहेंगे. प्रधानमंत्नी स्वयं इस सम्मेलन में अपनी बात भी रखेंगे. प्रधानमंत्नी ने चीनी गतिरोध के चलते पिछले वर्ष लेह में जवानों को संबोधित किया था. इसके अलावा प्रधानमंत्नी हर वर्ष सैनिकों के साथ दीपावली का पर्व मनाते रहे हैं. यह भी उम्मीद की जा रही है कि प्रधानमंत्नी अपने उद्बोधन में देश के सैन्य कमांडरों से एकांत में बातचीत कर अपने मन की बात बताएं.
सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ इस बार कुछ चुनिंदा जेसीओ और एनसीओ भी इस सम्मेलन में शिरकत करेंगे. प्रधानमंत्नी का सैनिकों के साथ इस सम्मेलन में मिलना एक तरह से सेना के लिए विशेष अवसर रहेगा, इसका प्रभाव सैनिकों के मनोबल को नए जोश से भरने में सहायक ही रहेगा. जिस यूनिट और फॉरमेशन से ये चुने हुए अधिकारी, जीसीओ और एनसीओ आ रहे हैं, उनके लिए भी यह एक गर्व की बात रहेगी.
पुख्ता खबर के अनुसार चुने हुए अधिकारी एवं सैनिकों की संख्या लगभग 30 रहेगी. यह भी कहा जा सकता है कि कहीं न कहीं ये मुद्दे जो सैनिक उठाएंगे वे परोक्ष रूप से यूनिट या फॉरमेशन की सोच भी हो सकती है, जिसे अब आवाज ये ओहदेदार सैनिक दे रहे हैं. दिए हुए विषय को पॉवर पॉइंट की स्लाइड्स पर उपस्थित जनरलों को समझाना टेढ़ी खीर ही रहेगा. अभी तक मीडिया को सैनिकों को दिए गए टॉपिक की जानकारी नहीं है, इसलिए यह सभी के लिए उत्सुकता का विषय रहेगा - किसने किस विषय पर अपने मन की बात शनिवार को रखी.
इस सम्मेलन में एक और विशेष मुद्दा रहेगा जिसके अंतर्गत चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत थियेटर कमांड के प्रारूप के अनुसार आने वाले समय में क्या कदम लिए जाएंगे, के बारे में विस्तार से बताएंगे. थिएटर कमांड्स के गठन से युद्ध और शांति के दौरान तीनों सेनाओं की क्षमताओं और युद्ध क्षमता का तालमेल सही पैमाने पर रहेगा. इस तीन दिन के संयुक्त कमांडरों के आयोजन में रक्षा मंत्नालय के विभिन्न विभागों के सचिव स्तर के अधिकारी भी मौजूद रहते हैं. राष्ट्र निर्माण एवं सेना की जरूरतों को बारीकी से समझने के लिए रक्षा मंत्नालय के इन अधिकारियों से सभी को मदद मिलती रही है.
सचिव स्तर के अधिकारी भी इस सम्मेलन में अपना पक्ष रखते हैं. चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ-सीडीएस के अंतर्गत आने वाला सैन्य मामलों का विभाग, रक्षा मंत्नालय का रक्षा विभाग, रक्षा उत्पादन विभाग, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन और भूतपूर्व सैनिक कल्याण विभाग भी इस चर्चा सत्न में शामिल होते हैं. आत्मनिर्भर भारत के अगले कदम तथा मेक इन इंडिया की नीति में बदलाव के मुद्दे भी इस सम्मेलन का प्रमुख हिस्सा रहेंगे.