Blog: इस चेहरे के दर्द को आप नहीं समझेंगे , क्योंकि इसके पास हंसी का खजाना जो है
By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: February 23, 2018 02:29 PM2018-02-23T14:29:58+5:302018-02-23T16:26:16+5:30
अक्सर हंसते हुए चेहरे दिल से रोते हैं...ये बात हम सब अकसर सुनते और पढ़ते हैं या फिर कभी खुद से महसूस भी करते हों।
अक्सर हंसते हुए चेहरे दिल से रोते हैं...ये बात हम सब अकसर सुनते और पढ़ते हैं या फिर कभी खुद से महसूस भी करते हों। लेकिन इसका सबसे बड़ा रूप महिलाओं में खास कर यूथ में देखने को मिल रहा है। जो डिप्रेशन को जन्म दे रहा है। इसके आंकड़े(3,410) ऐसे आ रहे हैं जो हिलाकर रखने वाले हैं। ये डिप्रेशन महिलाओं को अंदर तक तोड़ने का काम कर रहा है।
अधिकतक लोगों को ये नहीं पता है कि उनकी मोहतरमा का मूड कितना बदलता है, वह क्या चाहती हैं, आपको उनको कितना समझते हैं। या फिर इन दिनों आपकी मां किसी भी चीज में रुचि नहीं लेती? चाहरदीवारी को घर में बदल देने वाली महिलाएं घर की खुशहाली के लिए हर संभव प्रयास करती हैं लेकिन वह कब डिप्रेशन में होती हैं, यह हमें पता ही नहीं पड़ पाता। अक्सर हम अपने आप पास की उन महिलाओं की मानसिक स्थिति नहीं समझ पाते हैं जो हमारे जीवन में एक सकारात्मक सहयोग देती हैं। घर या घर के बाहर रहने वाली ये महिलाएं हमेशा अपने चेहरे पर हंसी रखती हैं लेकिन उनके मन में कब कौन सी बात घर कर जाए ये जानने बेहद जरुरी हो रहा है। कई बार एक छोटी सी सॉरी की अभिलाषा रखने वाली औरत को अगर वो समय पर ना मिले तो वह इस सोच को मन में दबाए कहीं घुट सी जाती हैं।
अमेरिका के द्वारा किए गए एक शोध में ये बात सामने आई है कि भारत में 65 फीसली महिलाएं किसी न किसी लेविल पर डिप्रेशन का शिकार हो रही हैं। इस रिसर्च में ये बात सामने आई कि छोटे शहरों की और घर में रहने वाली महिलाओं इसका शिकार अधिक हो रही हैं। वहीं, ये भी पाया गया है कि कामकाजी महिलाएं 48 फीसदी अपनी सैलरी के कारण डिप्रेशन में घिरी होती हैं। ऐसे में अब सवाल ये उठता है कि जो हमेशा खुश दिखती हैं वह इस तरह का शिकार कैसे हो जाती हैं। तो ये बात सामने आ चुकी है कि महिलाएं अकसर परिवार/ दोस्तों के साथ वो बारें शेयर नहीं कर पा रहीं जो वह करना चाहती हैं, जिस कारण से वह डिप्रेशन का शिकार हो रही हैं।
सेक्स, पति , दोस्त,परिवार, बच्चे, ऑफिस ऐसे कई पहलू हैं जो महिलाओं को अवसाद का शिकार हो रही हैं। ये परेशानी अब यूथ में अधिक देखी जा रही है। ऐसे में अब सवाल ये भी उठता है कि ये परेशानी हो क्यों रही है। इसका एक कारण ये भी कि परिवार, पति या फिर प्रेमी ऐसी महिलाओं के साथ वो तालमेल नहीं बिठा पा रहे जो एक लड़की को जीवन के अहम पड़ावों पर चाहिए होते हैं।
दरअसल महिलाओं में डिप्रेशन के लक्षण पुरुषों की अपेक्षा बहुत अलग होते हैं। ऐसे में इन लक्षणों को सही समय पर भांपना बहुत जरूरी है जिससे डिप्रेशन को खत्म करने में आसानी मिले। हमारे देश में अधिकतर महिलाएं यह स्वीकार करने में हिचकती हैं कि वे किसी प्रकार के डिप्रेशन का सामना कर रही हैं। सच्चाई यह है कि हर चार में से एक महिला को जीवन में कभी कभी गंभीर डिप्रेशन का सामना करना पड़ता है। महिलाओं में डिप्रेशन के बढ़ते खतरे को हॉर्मोन के स्तर में बदलाव से जोड़ा जाता है।
एक बार साफ है कि अगर आपको कोई अपनी जानने वाली जो लगता है इस तरह की परेशानी का शिकार हो सकती हैं इससे बाहर निकाने की कोशिश करना चाहिए। साथ ही परिवार को भांपना होगा कि उनके घर की मुसकाने वाली को कली कहीं अंदर से कांटों को नहीं झेल रही। मुझे लगता है कि हंसते हुए चेहरों के पीछे के दर्द को समझ कर एक बार उनको खुशी देने की कोशिश करनी चाहिए। ''डिप्रेशन किसी की जान भी ले सकता हैं, चलो चलते हैं कुछ अपनों का गम लें और उनको खुशियों का घरौंदा दें.....''