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ब्लॉग: सुरंग में श्रमिकों को बचाने वाली रेस्क्यू टीम को सलाम

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: December 7, 2023 11:53 IST

उत्तराखंड के उत्तरकाशी के सिलक्यारा में अचानक एक सुरंग खुदाई के दौरान ढह गई और 41 मजदूर इसमें फंस गए।

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ठळक मुद्देजीवन में कभी-कभी ऐसे क्षण आते हैं जब कोई भी आम या खास मुसीबत में फंस जाता हैमुसीबत से बच निकलने के लिए सबसे बड़ी चीज है अपना हौसला बनाए रखनादूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि मुसीबत में आपको मजबूत विल पॉवर ही बचा सकती है

जीवन में कभी-कभी ऐसे क्षण आते हैं जब कोई भी आम या खास मुसीबत में फंस जाता है। मुसीबत से बच निकलने के लिए सबसे बड़ी चीज है अपना हौसला बनाए रखना। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि मुसीबत में आपको मजबूत विल पॉवर ही बचा सकती है।

उत्तराखंड के उत्तरकाशी के सिलक्यारा में अचानक एक सुरंग खुदाई के दौरान ढह गई और 41 मजदूर इसमें फंस गए। मुसीबत के वक्त पूरा देश इन सबके समर्थन में एक हो गया और रेस्क्यू करने वाली सभी एजेंसियां एक ऑपरेशन में जुट गईं, जिसका नाम था ‘मिशन जिंदगी’ आप जानते ही हैं कि सभी श्रमिक सुरंग से बाहर निकाल लिए गए और इस पर पूरे मीडिया जगत की और चेनल्स की एक ही टिप्पणी थी कि पहाड़ का सीना चीरकर जिंदगी जीत गई।

मीडिया जगत में सबकुछ पॉजिटिव रहा जो अच्छी बात है परंतु हमारी लेखनी रेस्क्यू ऑपरेशन टीम, उस कंपनी और मोदी सरकार को भी सैल्यूट करती है जिन्होंने मजदूरों को 17 दिन तक फंसे रहने के बाद बचाने के लिए एक मुहिम छेड़ दी और सभी मजदूरों की सुरक्षा के साथ ही इसे अंजाम दिया।

यहां मैं विशेष रूप से एनडीआरएफ, एसडीएमएफ, ओएनजीसी समेत 10 राहत टीमें जो 24 घंटे इस ऑपरेशन में जुटी रहीं, की तारीफ करना चाहती हूं लेकिन मुसीबत की इस घड़ी में असली काम हमारे उन ‘रैट माइनर्स’ ने किया जो उस समय बुलाए गए जब मशीनें टूट गईं और फिनिशिंग के वक्त खुदाई यानी कि ड्रिलिंग रोकनी पड़ी।

ऐसे में ‘रैट माइनर्स’ ग्रुप की टीम ने सुरंग में पाइपों के जरिये घुस कर हाथों से मिट्टी खोदी और उसे तेजी से बाहर फेंका। यह काम बहुत कठिन था लेकिन 10 मीटर की इस खुदाई ने मजदूरों तक पहुंचने का एक मार्ग तैयार कर दिया जिससे श्रमिक सुरंग से बाहर निकले। उनके इस साहस, मेहनत की जितनी प्रशंसा की जाए कम है।

जब टनल में सबसे बड़ी ऑगर मशीन ने काम करना बंद कर दिया तो भी ऑस्ट्रेलियाई टनल विशेषज्ञ डिक्स और उनके सहयोगी क्रिस कूपर डटे रहे और मिशन को सही दिशा देते रहे, जब सब कुछ कठिन से कठिनतम होने लगा तो एक इंजीनियर प्रवीण कुमार ने मशीन के टूटने पर धातु के गर्डर से 40 मीटर से अधिक रेंग कर टनल में एंट्री मारी और मजदूरों की लोकेशन का पता लगाया।

वहीं नेशनल हाइवे इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन के महमूद अहमद सारे ऑपरेशन की मॉनीटरिंग के साथ-साथ डाटा से फीडबैक देते रहे। इसी कड़ी में पीएम मोदी ने अपने प्रमुख सचिव पीके मिश्रा को सिल्क्यारा जाने को कहा। जिन्होंने ऑपरेशन के बारे में मुख्यमंत्री धामी और पीएम मोदी के बीच पुल का काम किया। रेस्क्यू टीम के सभी सदस्य न केवल बधाई के पात्र हैं बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक उदाहरण हैं।

टॅग्स :उत्तराखण्डनरेंद्र मोदीपुष्कर सिंह धामी
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