वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: भौंसला गांव से सीखे सारा देश 

By वेद प्रताप वैदिक | Published: July 4, 2019 07:35 PM2019-07-04T19:35:07+5:302019-07-04T19:35:07+5:30

देश की सभी पार्टियों ने इस आंदोलन का समर्थन किया था. यदि देश से जातीयता खत्म करनी है तो जातीय उपनाम आदि हटाना तो बस एक शुरुआत भर है. ज्यादा जरूरी है कि जातीय आधार पर नौकरियों में आरक्षण को तत्काल खत्म किया जाए.

Blog of Ved Pratap Vaidik: All the countries learned from Bhosle village haryana | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: भौंसला गांव से सीखे सारा देश 

वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: भौंसला गांव से सीखे सारा देश 

हरियाणा में जींद के पास एक गांव है, भौंसला. इस गांव में आसपास के 24 गांवों की एक पंचायत हुई. यह सर्वजातीय खेड़ा खाप पंचायत हुई. इसमें सभी गांवों के सरपंचों ने सर्वसम्मति से एक फैसला किया. यह फैसला ऐसा है, जो हमारी संसद, सभी विधानसभाओं और देश की सभी पंचायतों को भी करना चाहिए. आजादी के बाद इतना क्रांतिकारी फैसला भारत की किसी पंचायत ने शायद नहीं किया है. अपने-अपने नाम के साथ इन गांवों के लोग अब अपना जातीय उपनाम और गोत्र उपनाम नहीं लगाएंगे. सिर्फ अपना पहला नाम लिखेंगे. जैसे सिर्फ बंसीलाल, भजनलाल, देवीलाल आदि! वे अपने मकानों, दुकानों, वाहनों पर से भी जातीय उपनाम हटाएंगे. 

मैं कहता हूं कि पाठशालाओं, कालेजों, अस्पतालों, धर्मशालाओं, प्याउओं आदि पर से जातीय नाम क्यों नहीं हटाए जाएं ? जातीय संगठनों पर भी प्रतिबंध लगना चाहिए. जातीय भेदभाव खत्म करने के लिए अब सारे देश को तैयार होना होगा. कुछ वर्ष पहले जब मनमोहन सिंह सरकार ने जातीय जन-गणना शुरू करवाई तो मैंने ‘मेरी जाति हिंदुस्तानी’ आंदोलन चलाया था.

देश की सभी पार्टियों ने इस आंदोलन का समर्थन किया था. यदि देश से जातीयता खत्म करनी है तो जातीय उपनाम आदि हटाना तो बस एक शुरुआत भर है. ज्यादा जरूरी है कि जातीय आधार पर नौकरियों में आरक्षण को तत्काल खत्म किया जाए. आरक्षण जरूर दिया जाए लेकिन सिर्फ शिक्षा में और उन्हें जो आर्थिक दृष्टि से कमजोर हों. 

विवाह करते समय वर-वधू की जाति देखना बंद करें, उनके गुण, कर्म और स्वभाव को ही कुंजी बनाएं. जाति-प्रथा ने भारत जैसे महान राष्ट्र को पंगु बना दिया है. यह हिंदू समाज का सबसे भयंकर अभिशाप है. जातिवाद के विरुद्ध आर्य समाज के प्रणोता महर्षि दयानंद ने जो मंत्र डेढ़ सौ साल पहले फूंका था, उसने हरियाणा में अपना रंग दिखाया है. 

इस मंत्र की प्रतिध्वनि सिर्फ भारत में ही नहीं, हमारे पड़ोसी देशों में भी हो. कुछ समाजसेवी, कुछ समाज सुधारक, कुछ साधु-संन्यासी और कुछ महान नेता उठें और दक्षिण एशिया के इन पौने दो अरब लोगों की जिंदगी में नई जान फूंक दें. 

Web Title: Blog of Ved Pratap Vaidik: All the countries learned from Bhosle village haryana

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