जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: भारतीय प्रतिभाओं की अहमियत
By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Published: January 21, 2019 03:55 PM2019-01-21T15:55:08+5:302019-01-21T15:55:08+5:30
आईटीएमडी बिजनेस स्कूल की रिपोर्ट में भारत 63 देशों की सूची में पिछले वर्ष के 51वें स्थान से दो पायदान फिसलकर 53वें स्थान पर आ गया है.
कुछ समय पहले तक भारतीय पेशेवरों के लिए दुनिया के जो देश दरवाजे बंद करते दिखाई दे रहे थे, वे स्वागत के साथ फिर से दरवाजे खोलते दिखाई दे रहे हैं. हाल ही में 11 जनवरी को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ट्वीट करके एच-1बी वीजा धारकों को आश्वासन दिया कि उनका प्रशासन वर्ष 2019 में जल्द ही ऐसे बदलाव करेगा जिससे उन्हें अमेरिका में रुकने का भरोसा मिलेगा और जिससे उनके लिए नागरिकता लेने के लिए संभावित रास्ता सरल बनेगा.
अमेरिका के ऐसे एकाएक परिवर्तित रुख ने पूरी दुनिया को चौंका दिया है. अमेरिका के इस रुख के दो बड़े कारण हैं. एक, अमेरिका के उद्योग-कारोबार प्रतिभाओं की कमी के कारण आर्थिक मुश्किलों का सामना कर रहे हैं और दो, पहली बार अमेरिका स्वयं प्रतिभाओं के पलायन की चिंताओं से घिर गया है. निश्चित रूप से आने वाले वर्षो में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के कारण उच्च कौशल प्रशिक्षित भारत की नई पीढ़ी को देश और दुनिया में चमकीले मौके मिलने की संभावना रहेगी. शोध संगठन मैकिंसे ग्लोबल इंस्टीट्यूट की रोजगार से संबंधित अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया में 2030 तक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के कारण 80 करोड़ नौकरियां खत्म हो जाएंगी.
लेकिन भारत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और उच्च कौशल विकास में बहुत पीछे है. इस संबंध में आईएमडी बिजनेस स्कूल स्विट्जरलैंड द्वारा प्रकाशित ग्लोबल टैलेंट रैंकिंग 2018 तथा भारत सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्नालय की आईटी पेशेवरों में रोजगार योग्यता की कमी से संबंधित रिपोर्ट में चिंताजनक संकेत दिए गए हैं.
आईटीएमडी बिजनेस स्कूल की रिपोर्ट में भारत 63 देशों की सूची में पिछले वर्ष के 51वें स्थान से दो पायदान फिसलकर 53वें स्थान पर आ गया है. इस टैलेंट रैंकिंग सूची के प्रकाशन के साथ सूची में शामिल विभिन्न देशों में टैलेंट की स्थिति के बारे में भी टिप्पणियां की गई हैं. भारत के बारे में कहा गया है कि टैलेंट पूल की गुणवत्ता के मामले में भारत का प्रदर्शन औसत से बेहतर है.
लेकिन अपनी शैक्षणिक प्रणाली की गुणवत्ता और सरकारी शिक्षा के क्षेत्न में निवेश की कमी के कारण निवेश और विकास के मामले में भारत सूची में शामिल देशों में सबसे पीछे है. भारत सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्नालय की हालिया रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में 91 फीसदी आईटी पेशेवर नौकरी के योग्य नहीं हैं. वस्तुत: आईटी क्षेत्न में नई तकनीकों के मद्देनजर भारतीय आईटी पेशेवर उपयुक्त रूप से प्रशिक्षित नहीं हैं. उपयुक्त नए तकनीकी प्रशिक्षण के बाद ही इन लोगों को रोजगार मिल पाएगा.