डॉ. विशाला शर्मा का ब्लॉग: मधुमय पीड़ा की अनुभूति कराने वाली कवयित्री हैं महादेवी वर्मा

By डॉ. विशाला शर्मा | Published: March 26, 2021 11:36 AM2021-03-26T11:36:00+5:302021-03-26T11:38:08+5:30

महादेवी वर्मा वेदना प्रधान कवयित्री हैं. उनकी काव्य चेतना आध्यात्मिक है. साधारणत: वेदना तथा पीड़ा मधुमयी नहीं होती लेकिन महादेवी ने अपनी पीड़ा को मधुमयी पीड़ा कहकर संबोधित किया. अत: यह पीड़ा प्रेम की पर्यायवाची कही जा सकती है.

Blog of Dr. Vishala Sharma: Mahadevi Verma is a poetess who experiences honeymoon agony. | डॉ. विशाला शर्मा का ब्लॉग: मधुमय पीड़ा की अनुभूति कराने वाली कवयित्री हैं महादेवी वर्मा

महादेवी वर्मा (फाइल फोटो)

ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित छायावाद की आधार स्तंभ महादेवी वर्मा का व्यक्तित्व वह क्षितिज है जहां पर हिंदी काव्य का आकाश चित्रमय होकर मूर्त स्वरूप में परिलक्षित होता है.

महादेवी वर्मा वेदना प्रधान कवयित्री हैं. उनकी काव्य चेतना आध्यात्मिक है. साधारणत: वेदना तथा पीड़ा मधुमयी नहीं होती लेकिन महादेवी ने अपनी पीड़ा को मधुमयी पीड़ा कहकर संबोधित किया. अत: यह पीड़ा प्रेम की पर्यायवाची कही जा सकती है.

वह अपनी पीड़ा को सुरक्षित रखने के लिए प्रियतम के मिलन तक को ठुकरा देती हैं और ‘नीर भरी दुख की बदली’ बन जाती हैं. जीवन की मधुमयी बेला में उनका परित्याग का कारण जो भी रहा हो, उसकी अनुभूति पाठक को द्रवित कर देती है और महादेवी का क्रंदन मूर्त रूप ग्रहण कर लेता है.

महादेवी दुख अथवा विषाद को भी आनंद की तरह शाश्वत मानती हैं. उनके काव्य में करुणा सरस सजल हो जाती है. जीवन की मार्मिकता का संवेदनात्मक उद्घाटन उनकी रचनाओं में हम देख सकते हैं. महादेवी की दृष्टि आंसू और हंसी दोनों को एक साथ देखती थी. संवेदना की गहराई और व्याप्ति पर उनकी निगाह एक साथ जाती है.

यही कारण रहा कि विरह की शाश्वत अनुभूति के एक के बाद एक जो चित्न हम उनके काव्य में पाते हैं वह उनकी अतृप्ति की तरह तृप्तिदायक भी हैं. उन्हें अपनी प्रणय वेदना से जितना अनुराग है उतना ही उन्हें अपने करुणा भाव से स्नेह भी है.

वह इसे पूर्ण स्वीकार करते हुए मानती हैं कि दुख मेरे निकट जीवन का ऐसा काव्य है जो सारे संसार को एक सूत्न में बांध रखने की क्षमता रखता है मनुष्य सुख को अकेला भोगना चाहता है परंतु दुख सबको बांट कर. विश्व जीवन में अपने जीवन को, विश्व वेदना में अपनी वेदना को इस प्रकार मिला देना जैसे एक जलबिंदु समुद्र में मिल जाता है, यही कवि का मोक्ष है.

महादेवी वर्मा ने भाषा और शिल्प में नवाचार की बुनियाद रखी. करुणा की अभिव्यक्ति के लिए उनके द्वारा नए और सहज शब्दों के प्रयोग का ही यह चमत्कार था कि उनकी रचनाओं ने हर दिल को छुआ. मिलन के मधुर सपनों की कल्पना करती हुई वे लिखती हैं- जब असीम से हो जाएगा मेरी लघु सीमा का मेल/ देखोगे तुम देव, अमरता खेलेगी मिटने का खेल.

महादेवी प्रकृति को विराट का अंग मानती हैं. वे प्रकृति में मानवीय रूप भी देखती हैं. मनुष्य के हृदय और प्रकृति के कोमल संबंधों में प्राण डालने का कार्य महादेवी के काव्य ने किया.

Web Title: Blog of Dr. Vishala Sharma: Mahadevi Verma is a poetess who experiences honeymoon agony.

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