Blog: शादी ही तो है इसे अपनी सोच के तराजू से ना तौलें

By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: April 12, 2018 03:13 PM2018-04-12T15:13:25+5:302018-04-12T15:46:02+5:30

सोनम कपूर की शादी की खबरें हर ओर जमकर चर्चा बटोर रही है, लेकिन जितना सुर्खियों में 63 साल के विजय माल्या की शादी रही, उतनी तो शायद ही किसी और की रही हो। 

Blog: Marriage is not weigh the scales of thinking | Blog: शादी ही तो है इसे अपनी सोच के तराजू से ना तौलें

Blog: शादी ही तो है इसे अपनी सोच के तराजू से ना तौलें

पिछले कई दिनों से सेलेब्स की शादी को लेकर खबरें जोर पर हैं। कभी विजय माल्या की शादी तो कभी रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण की शादी की चर्चा हो रही है। अब सोनम कपूर की शादी की खबरें हर ओर जमकर चर्चा बटोर रही है, लेकिन जितना सुर्खियों में 63 साल के विजय माल्या की शादी रही, उतनी तो शायद ही किसी और की रही हो। 

हर तरफ मीडिया में माल्या की तीसरी शादी करने की खबर ने सुनामी ला दी। मीडिया ने तो विजय माल्या की शादी को ऐसे परोसा, मानों ना जानें माल्या किसी के साथ सात फेरों के बंधन में नहीं मर्डर करने जा रहे हो। ऐसा लग रहा है कि जैसे तीसरी शादी नहीं माल्या तीसरी बार किसी का मर्डर कर रहे हों और इस मर्डर की सजा उनके लिए फांसी करारी जाती है।

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क्या कहूं क्या विडंबना है कोई शादी कर रहा है, इसलिए परेशानी है और कोई नहीं कर रहा इसलिए परेशानी है,अबे परेशानी के सिवाए इन पर सोचने वालों के पास कोई काम है भी कि नहीं। समझ ये नहीं आता है 21वीं सदी में भी शादी को लेकर इतने बवाल क्यों हो रहे हैं। अगर मैं या मेरी जैसी सोच रखने वाले कुछ लोग ये कहते हैं कि यार इंसान की अपनी मर्जी है उसकी जिंदगी है जीने दो जनाब हम भी किसी हिंदी फिल्मों के बिलेन बन जाते हैं। अक्सर सुना है शादी दो लोगों में नहीं दो परिवारों में होती है तो भाई फेरे भी परिवार के ही पड़वा दो जब दो लोगों से ज्यादा उनकी जरुरत होती है।

बड़े सवाल हैं मेरे मन में जिनके जवाब हैं तो हर किसी के पास, लेकिन हम ठहरे समाज के ठेकेदार हम कैसे सच कह दें। अगर कोई अपनी मर्जी से पहली, दूसरी या तीसरी कोई भी शादी करे, समझ नहीं आता बाकियों को क्या दिक्कत होती है। सच कहूं मन कर रहा है कि छात्रों के लिए पीएचडी में एक रिसर्च का विषय शादी भी होना चाहिए। कसम से सारे सवालों के जवाब मिल जाएंगे। 

अगर रिसर्च में किसी ने लिख दिया कि लव मैरेज करना सबसे अच्छा होता है, (क्योंकि जब शादी में गारंटी है ही नहीं तो अपनी गलती के साथ जी कर रोना अच्छा है। कम से कम खुद को कोस तो सकते हैं।) तो कसम से दुनिया का सबसे बड़ा विलेन उसी को माना जाएगा और अगर किसी ने ये रिसर्च में ये बता दिया कि इश्क जाति, धर्म, उम्र, दूसरी-तीसरी, ऊंच-नीच, सही गलत देखकर नहीं होता है ये बस होता जाता है इसको रोकना नहीं चाहिए। तो उस रिसर्च करने वाले इंसान को जीते जी गालियां दे देकर लोग मार देंगे। अबे दिक्कत कहां पर है मेरी समझ में ये नहीं रहा कि सोच में या समझ में ?

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हो सकता है मेरे इस लेख को भी सब अपने-अपने तरीके से लेंगे। कुछ अच्छा कहेंगे तो बहुत से लोग इसको भी कहेंगे ज्ञान दे रही। लेकिन एक बात और जिस दिन हर किसी को ये समाज छूट दे देगा ना कि आप जिससे मन हो शादी करें, प्रेम करें। उस दिन शायद सब विरोध में जाने वाला प्रेम और शादी भी करना बंद कर दें, तो समझ बदलो सोच खुद बदल जाएगी। ये बस किसी को ज्ञान देना या किसी बात को सही करना नहीं है क्योंकि जनाब हम भी आशिक-मिजाज कम नहीं हैं कुछ तो आशिकी के लिए लिखेंगे ही.....

Web Title: Blog: Marriage is not weigh the scales of thinking

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