ब्लॉग: म्यांमार सीमा पर केंद्रीय बलों की बढ़ती मुश्किलें

By शशिधर खान | Published: February 5, 2024 11:48 AM2024-02-05T11:48:05+5:302024-02-05T11:55:04+5:30

भारत-बांग्लादेश सीमा की तरह भारत-म्यांमार सीमा को भी कंटीले बाड़ लगाकर सुरक्षित रखने का फैसला नरेंद्र मोदी सरकार ने किया है।

Blog: Increasing difficulties for central forces on Myanmar border | ब्लॉग: म्यांमार सीमा पर केंद्रीय बलों की बढ़ती मुश्किलें

फाइल फोटो

Highlightsभारत-बांग्लादेश सीमा की तरह भारत-म्यांमार सीमा पर भी लगेगा कंटीला बाड़ पूर्वोत्तर से लगी भारत-म्यांमार अंतरराष्ट्रीय सीमा कई कारणों से विवादास्पद बनी हुई हैमोदी सरकार म्यांमार से खुली आवाजाही समझौते की बेहद गंभीरता से समीक्षा कर रही है

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुवाहाटी में कहा कि उनकी सरकार खुली भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने और दो देशों के बीच खुली आवाजाही समझौता खत्म करने का काम सुनिश्चित करेगी। असम पुलिस की 5 कमांडो बटालियन की पासिंग आउट परेड की सलामी लेने के बाद उस अवसर पर आयोजित समारोह में अमित शाह ने यह भरोसा दिलाया।

उन्होंने कहा कि भारत-बांग्लादेश सीमा की तरह भारत-म्यांमार सीमा को भी कंटीले बाड़ लगाकर सुरक्षित रखने का फैसला नरेंद्र मोदी सरकार ने किया है। गृह मंत्री ने 20 जनवरी को गुवाहाटी में कहा कि सरकार म्यांमार से खुली आवाजाही समझौते की समीक्षा कर रही है और इस व्यवस्था को खत्म करने जा रही है।

उसके अगले दिन मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. वीरेन सिंह ने केंद्रीय बलों पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा कि उन्हें राज्य में जारी हिंसा की स्थिति पर काबू पाने के लिए बुलाया गया है, सिर्फ मूकदर्शक बने रहने के लिए नहीं। मणिपुर को राज्य का दर्जा मिलने के 52वें वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह में मणिपुर के मुख्यमंत्री ने राज्य में बेकाबू चल रही जातीय हिंसा के लिए केंद्रीय बलों को जिम्मेदार ठहराया लेकिन साथ-साथ राज्य पुलिस, पुलिस कमांडो, इंडिया रिजर्व बटालियन (आईआरबी) और मणिपुर राइफल्स को 24 घंटे अलर्ट और सावधान रहने की भी अपील की।

मणिपुर में 8 महीने से जारी जातीय हिंसा पर काबू पाने में एन. वीरेन सिंह सरकार की अपनी ही भूमिका सवालों के घेरे में है। केंद्र सरकार से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक के लिए मणिपुर के हिंसा प्रभावित लोगों का दु:ख-दर्द चिंता का विषय बना हुआ है। राज्य पुलिस का भेदभावपूर्ण रवैया यानी हिंसा में शामिल कुछ विशेष जाति, समुदाय के प्रति नरम रुख अपनाना भी किसी से छिपा नहीं है।

केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी मणिपुर की भाजपा सरकार की नीतियों के प्रति जताई है, केंद्रीय बलों को इसके लिए दोषी नहीं ठहराया लेकिन मुख्यमंत्री ने सारा ठीकरा केंद्रीय बलों के मत्थे मढ़ते हुए सीधा उन्हीं जवानों/अधिकारियों को निशाना बनाया जिन्हें सुरक्षा के लिए बुलाया गया है।

पूर्वोत्तर से लगी 1600 किमी भारत-म्यांमार अंतरराष्ट्रीय सीमा जिन कारणों से विवादास्पद बनी हुई है, उनमें सबसे महत्वपूर्ण सुरक्षा का मामला है। कंटीले बाड़ लगाकर इस सीमा पर खुली आवाजाही रोकने का रास्ता भी कांटों से भरा है। भारत-म्यांमार सीमा ही नहीं, इस सीमा से लगी उत्तर पूर्वी क्षेत्र के चार राज्यों की सीमा पर कोई भी कदम उठाने का रास्ता राजनीतिक कारणों से कंटीला है।

 

Web Title: Blog: Increasing difficulties for central forces on Myanmar border

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